कहते हैं चिंता चिता के समान है। ये हिंदी मुहावरा शायद हम बचपन से सुनते आ रहे हैं, लेकिन भारत में अधिकतर लोग इसपर गौर नहीं करते हैं। स्ट्रेस हमें अंदर से तोड़ सकता है और ये इतना खतरनाक हो सकता है कि आपको डिप्रेशन तक ले जाए। भारत में अधिकतर ये सोचा जाता है कि मानसिक बीमारी सिर्फ वहम है या फिर अक्सर आपने चाचा, मामा, ताऊ आदि को ये कहते सुना होगा कि ये सब बच्चों को ज्यादा होता है और हमारे जमाने में तो ऐसा कुछ नहीं होता था।
कई लोगों का ये भी मानना होता है कि स्ट्रेस सिर्फ बाहरी कारणों से होता है, लेकिन घर पर होने वाले स्ट्रेस का क्या? कई बार घर में होने वाली छोटी-छोटी चीजें हमें इतना परेशान कर देती हैं कि उनकी वजह से स्ट्रेस होने लगता है। ये स्ट्रेस बढ़ते-बढ़ते इतना बढ़ जाता है कि गुस्सा, चिड़चिड़ाहट, मानसिक परेशानी या डिप्रेशन तक की ओर ले जाता है।
स्ट्रेस को कम करने के लिए लोगों की सलाह भी काफी अजीब होती है, सबसे पहले कहा जाता है कि आप उस चीज़ के बारे में सोचना छोड़ दें जो आपको स्ट्रेस दे रही है। पर क्या ये इतना आसान है? जो वाकई में इस तरह की परेशानी से जूझ रहा है उसे पता होता है कि ये न तो आसान है और न ही आप इसे इग्नोर कर सकते हैं।
अगर चिंता घर से ही शुरू हो रही है तो लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी हो सकती है। उठना, बैठना, सोना, जागना, कोई काम करना सब कुछ मुश्किल लगने लगता है। घर पर होने वाले स्ट्रेस को लेकर हमने Mpower मुंबई से जुड़ी ट्रेन्ड साइकोलॉजिस्ट नाजनीन चूनावाला से बात की। नाजनीन पिछले 15 सालों से इस फील्ड में काम कर रही हैं, वो साइकोलॉजी में एमए हैं और ट्रेन्ड REBT प्रैक्टिशनर हैं।
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नाजनीन के मुताबिक घर पर होने वाला स्ट्रेस बहुत ज्यादा परेशान कर सकता है और कई बार तो इंसान को इस बारे में पता भी नहीं होता कि ये कैसे शुरू हो रही है।
किन कारणों से घर पर शुरू हो सकता है स्ट्रेस?
घर पर स्ट्रेस के शुरू होने के कई कारण हो सकते हैं। घर के काम में सपोर्ट न मिलना, आपके काम का महत्व न होना, सिर्फ काम ही करते रहना और अपने लिए वक्त न निकालना, परिवार वालों के साथ सही तरह के रिश्ते न बना पाना, झगड़े और परेशानी होना, परिवार के किसी व्यक्ति से उम्मीद रखना और फिर उनका पूरा न होना, घर के किसी व्यक्ति की सुरक्षा को लेकर चिंतित होना, बच्चों के करियर या पढ़ाई को लेकर चिंतित होना, ऑफिस का काम घर पर लेकर आना आदि कई कारण हो सकते हैं। कई बार घर का स्ट्रेस फाइनेंस से भी जुड़ा होता है और ये और भी बढ़ जाता है अगर आपके घर में बच्चे हैं।
इस तरह के स्ट्रेस को कम करने के लिए क्या करें?
घर पर होने वाला स्ट्रेस किसी न किसी मोड़ पर सभी को होता है और इससे निजात पाना इतना आसान नहीं लगता है। उसका एक सीधा सा कारण ये है कि घर पर होने वाले स्ट्रेस को हम खुद से जोड़कर रखते हैं और घर छोड़ना या फिर लड़ना किसी भी चीज़ का हल नहीं हो सकता है। ऐसे में कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए-
परिवार के साथ समय जरूर बिताएं
आपको परिवार के साथ समय बिताने की आदत होनी चाहिए। आप कितना भी व्यस्त क्यों न हों थोड़ा समय निकाल कर परिवार वालों के साथ बैठें। धीरे-धीरे आप देखेंगे कि परिवार के साथ समय बिताने से आप ज्यादा खुलकर बात करना सीख गए हैं। ये पहले दिन से नहीं होगा बल्कि इसे करने के लिए थोड़ा सा समय देना होगा। अगर आप अपने लिए सपोर्ट चाहते हैं तो परिवार को भी सपोर्ट देना होगा।
इस बॉन्ड को एक पर्सनल फाइनेंस के निवेश के तौर पर देखिए जिसका रिटर्न आपको आने वाले समय में मिलेगा। हो सकता है कि आपके झगड़े हों, कहासुनी हो, अलग-अलग तरह की बातें सोची जाएं, लेकिन फिर भी आपको टिके रहना है। अगर आप एक पेरेंट हैं तो बच्चों के साथ कोई एक्टिविटी प्लान करें। ये आपका ध्यान हटाने का सबसे अच्छा तरीका साबित हो सकता है।
अपना मी-टाइम जरूर ध्यान रखें
ये बहुत जरूरी है कि आप बाकी लोगों के साथ टाइम बिताने के साथ-साथ खुद के लिए भी टाइम निकालें। भले ही घर पर 15 मिनट निकाल पाएं, लेकिन खुद के लिए निकालें। इस समय में आप जो चाहें वो कर सकते हैं। परिवार के साथ बॉन्डिंग बढ़ाने के साथ-साथ आपको खुद से रिश्ता बढ़ाना आना चाहिए। आप बस ये सोचिए कि किसी और से रिश्ता बनाने से पहले आपका खुद के साथ रिश्ता होना भी जरूरी है। दिन के ये सिर्फ 15 मिनट आपके मूड को ठीक करने के लिए बहुत सहायक होंगे। (वर्क स्ट्रेस से चेहरा हो गया है डल तो करें ये काम)
सेहत को गिरने न दें
आप अच्छा खाएं, सही खाएं, एक्सरसाइज टाइम पर करें भले ही थोड़ी सी वॉक ही क्यों न हो। घर का काम माइंड को रिलैक्स करने वाली एक्सरसाइज नहीं हो सकता है। हां, कई लोगों को इससे आराम मिलता है, लेकिन कई के लिए ये बोझ हो सकता है। इसलिए मॉर्निंग वॉक, रनिंग, मेडिटेशन, योग जैसी एक्सरसाइज को चुनें।
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बहुत ज्यादा उम्मीद न रखें
कई बार हम अपने परिवार वालों से ऐसी उम्मीद रख लेते हैं जो हमारे हिसाब से तो सही होती हैं, लेकिन असल में वो बहुत ज्यादा होती हैं। हर इंसान की अपनी अलग जिंदगी होती है और वो अपनी सोच रखता है। ऐसे में किसी और से जरूरत से ज्यादा उम्मीद रखना ठीक नहीं। छोटी-छोटी खुशियों में खुश हों और परिवार के किसी भी व्यक्ति पर ज्यादा प्रेशर न डालें।
परिवार के साथ समय बिताने की कोशिश के लिए आप पिकनिक, वेकेशन, फन गेम्स आदि प्लान कर सकते हैं। अगर आपको लगता है कि किसी तरह की प्रोफेशनल हेल्प की जरूरत है तो इसे लेने से हिचकिचाएं न। आपके लिए ये बहुत जरूरी है कि आप अपने हिसाब से काम करें।
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