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दिल के लिए सबसे सेफ है ये ब्लड ग्रुप, हार्ट अटैक का खतरा होता कम; क्‍या कहती है र‍िसर्च?

द‍िल हमारे शरीर का सबसे जरूरी अंग है। इसे हेल्‍दी रखना बहुत जरूरी है। हालांक‍ि, एक ऐसा ब्‍लड ग्रुप भी है जो द‍िल के ल‍िए सेफ माना जाता है।
Editorial
Updated:- 2025-10-03, 15:04 IST

आजकल की भागदाैड़ भरी ज‍िंदगी में लोग अपनी सेहत का सही ढंग से ख्‍याल नहीं रख पा रहे हैं। इससे उन्‍हें कई तरह की बीमारि‍यां घेर रहीं हैं। द‍िल की बीमार‍ियां भी उन्‍हीं में से एक है, लेक‍िन क्‍या आप जानती हैं क‍ि कुछ खास ब्‍लड ग्रुप वाले लोगों में द‍िल का द‍ौरा यानी Heart Attack की संभावना काफी कम होती है। ऐसा हम नहीं, बल्‍क‍ि कुछ शोध बता रहे हैं। वैज्ञान‍िकों का कहना है क‍ि ब्लड ग्रुप और द‍िल की बीमार‍ी (Cardiovascular Disease) के बीच एक गहरा रिश्ता है।

आपको बता दें क‍ि जिन लोगों का ब्लड ग्रुप O होता है, उनमें दिल की बीमारी का खतरा बाकी ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में कम पाया गया है। Arteriosclerosis, Thrombosis and Vascular Biology में प्रकाशित एक स्टडी बताती है क‍ि जिनका ब्लड ग्रुप A, B या AB है, उनमें कोरोनरी हार्ट डिजीज (CHD) का खतरा ब्लड ग्रुप O वाले लोगों की तुलना में ज्यादा होता है।

ब्लड ग्रुप और कोरोनरी हार्ट डिजीज

शोध में पाया गया कि नॉन-O ब्लड ग्रुप (A, B, AB) वालों में हार्ट अटैक और हार्ट फेल‍ियर का रिस्क ज्यादा होता है, जबक‍ि O ब्‍लड ग्रुप वालों में ये खतरा कम देखा गया। इस स्‍टडी से पता चला कि नॉन-O ब्लड ग्रुप वालों में CHD का खतरा O ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में 6% से 23% तक ज्यादा होता है। औसतन, नॉन-O ब्लड ग्रुप वालों में ये खतरा करीब 11 प्रत‍िशत ज्यादा पाया गया।

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ऐसा माना जाता है कि O ब्‍लड ग्रुप वालों में खून जमाने वाले फैक्टर (जैसे von Willebrand factor और factor VIII) का लेवल कम होता है और कोलेस्ट्रॉल व इंफ्लेमेशन पर भी अच्‍छा असर देखा गया।

स्ट्रोक का खतरा

वहीं ब्लड ग्रुप का असर स्ट्रोक (Stroke) के खतरे पर भी देखा गया है। खासकर कम उम्र (60 साल से पहले) में होने वाले स्ट्रोक पर। रिसर्च से पता चला है कि ज‍िनका ब्लड ग्रुप A है, उनमें 60 साल से पहले स्ट्रोक का खतरा ज्यादा है। वहीं, दूसरी ओर O ग्रुप वालों में स्ट्रोक का खतरा कम पाया गया।

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दूसरी ओर Journal of Thrombosis and Haemostasis में छपी एक स्‍टडी बताती है क‍ि जो नॉन डायब‍िट‍िक हैं और उनका ब्‍लड ग्रुप AB है, उनमें स्‍ट्रोक का खतरा O ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में 1.6 से 7 गुना ज्यादा है।

क्यों होता है फर्क?

र‍िसर्च में देखा गया क‍ि अलग-अलग ब्लड ग्रुप में हार्ट डिजीज का रिस्क क्लॉटिंग और इंफ्लेमेशन के लेवल पर भी ड‍िपेंड करता है। नॉन-O ब्लड ग्रुप वालों में क्लॉटिंग फैक्टर (Factor VIII और von Willebrand factor) का लेवल ज्यादा होता है, जिससे खून के थक्के बनने की संभावना बढ़ जाती है। इनमें इंफ्लेमेशन मार्कर भी ज्यादा पाए जाते हैं, जो लंबे समय में द‍िल की बीमार‍ियों का कारण बन सकते हैं।

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वैज्ञान‍िक मानते हैं क‍ि ब्लड ग्रुप को बदला तो नहीं जा सकता है, लेकिन ये जानना जरूरी है कि O ग्रुप वालों में हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा थोड़ा कम होता है। वहीं बाकी ब्‍लड ग्रुप वालों को थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्‍हें न‍ियम‍ित रूप से अपना हेल्थ चेकअप करवाते रहना चाह‍िए। साथ ही डाइट पर ध्‍यान देना जरूरी है। इसके अलावा एक्‍सरसाइज करें और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें। O ग्रुप वालों में कम उम्र में भी हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना कम देखी गई है।

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अगर आपका ब्‍लड ग्रुप भी 'ओ' है तो आपमें द‍िल की बीमार‍ियों का खतरा बेहद कम होगा 

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Image Credit- Freepik

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