
भारत में कई महिलाएं पैरों में दर्द या थकान को अक्सर मामूली समझती हैं। उन्हें लगता है कि यह लंबे समय तक काम करने, हाई हील पहनने, घर के कामकाज, उम्र बढ़ने या थकावट का असर है, लेकिन हार्ट हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि शरीर कई बार दिल की बीमारी के संकेत बहुत पहले से देने लगता है और कई बार ये संकेत चेस्ट पेन से पहले पैरों में दिखते हैं।
अगर आपके पैरों में दर्द, सूजन, सुन्नपन या घाव देर से भर रहे हैं, तो यह शरीर में ब्लड फ्लो कम होने का संकेत हो सकता है। यह कंडीशन दिल की बीमारी या हार्ट अटैक के खतरे की ओर इशारा करती है।
भारत में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, तनाव और प्रदूषण जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इसकी वजह से भारतीयों में हार्ट अटैक की उम्र विदेशियों की तुलना में करीब 10 साल पहले आ रहा है। महिलाओं में यह खतरा और भी बढ़ जाता है, क्योंकि उनके लक्षण अक्सर सामान्य थकान या कमजोरी समझ लिए जाते हैं।
आइए जानते हैं लिलावती हॉस्पिटल, मुंबई के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर अभिषेक शाह से कि पैरों के कौन से लक्षण दिल की बीमारियों की ओर इशारा करते हैं।

अगर चलते समय पिंडली या जांघों में दर्द होता है और आराम करने पर ठीक हो जाता है, तो यह पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) का संकेत हो सकता है। इस कंडीशन में धमनियों में चर्बी और कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है, जिससे पैरों तक ब्लड फ्लो कम हो जाता है। यही अवरोध आगे चलकर दिल की धमनियों में ब्लॉकेज और हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।
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पैरों या टखनों में बार-बार सूजन आना (जिसे परिफेरल एडेमा कहते हैं) दिल की समस्या, जैसे कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर (CHF) का संकेत हो सकता है। जब दिल ठीक से खून नहीं पंप कर पाता, तब शरीर में पानी जमने लगता है, जो सबसे पहले पैरों में दिखता है।
महिलाएं अक्सर महसूस करती हैं कि शाम तक उनके पैर या जूते तंग हो जाते हैं। साथ ही सांस फूलना, थकान या अचानक वजन बढ़ना जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। अगर ऐसे लक्षण हों तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

अगर आपके पैर ठंडे रहते हैं, सुन्न हो जाते हैं या रंग पीला या नीला पड़ जाता है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपकी धमनियों में ब्लड फ्लो रुक रहा है। जब ब्लड और ऑक्सीजन ठीक से पैरों तक नहीं पहुंचते, तो ये लक्षण दिखाई देते हैं। यह सिर्फ पैरों में ही नहीं, बल्कि दिल की धमनियों में भी रुकावट का संकेत हो सकता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
अगर आपके पैरों के घाव या छाले देर से भरते हैं, तो यह ब्लड वेसल्स में गंभीर रुकावट का संकेत है। यह पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) का आखिरी स्टेज माना जाता है। जिन महिलाओं को डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर है, उनमें यह समस्या ज्यादा होती है, क्योंकि उनकी नसें जल्दी खराब होती हैं। समय रहते इलाज न करने पर यह कंडीशन दिल के रोग का रूप ले सकती है।
अगर इन लक्षणों के साथ चेस्ट में दर्द, सांस फूलना, चक्कर या थकावट भी महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप कराना चाहिए।
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हमारे पैर दिल की सेहत का आइना हैं, जो परेशानी पैरों में शुरू होती है, वह आगे चलकर दिल की बीमारी में बदल सकती है। इसलिए, महिलाओं को चाहिए कि वे अपने शरीर के संकेतों को नजरअंदाज न करें, क्योंकि खुद की देखभाल ही परिवार की सेहत की असली चाबी है।
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