हार्ट अटैक के बाद श्रेयस तलपड़े की हुई एंजियोप्लास्टी, जानिए क्या है यह इलाज और कब पड़ती है इसकी जरूरत

बॉलीवुड और मराठी एक्टर श्रेयस तलपड़े को दिल का दौरा पड़ा है, उन्हें एंजियोप्लास्टी दी गई है। जानिए क्या है यह इलाज और कब पड़ती है इसकी जरूरत

 
  • Aiman Khan
  • Editorial
  • Updated - 2023-12-18, 11:48 IST
Is angioplasty painful

What Is Angioplasty: बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता श्रेयस तलपड़े को हार्ट अटैक आया है। जानकारी के मुताबिक श्रेयस तलपड़े अपनी नई फिल्म वेलकम टू द जंगल फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। शूटिंग खत्म करने के बाद जब वह घर पहुंचे तो उन्हें सीने में दर्द महसूस हु और वो बेहोश हो गए। जिसके बाद फौरन उन्हें अस्पताल ले जाया गया। उन्हें मुंबई के अंधेरी पश्चिम में बेलव्यू अस्पताल में एडमिट कराया गया जहां उनकी एंजियोप्लास्टी की गई। फिलहाल उनकी स्थिति बेहतर बताई जा रही है। आइए जानते हैं कि आखिर एंजियोप्लास्टी होती क्या है और कैसे इस उपचार से जान बचाई जा सकती है। इस बारे में जानकारी दे रहे हैंDr Manish Aggarwal, Head of Interventional Cardiology, PSRI Hospital, Press Enclave New Delhi

क्या होती है एंजियोप्लास्टी? (What is the maximum life after angioplasty)

एंजियोप्लास्टी एक ऐसी प्रक्रिया है जो हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली अवरुद्ध या संकुचित धमनियों को खोलती है। यह ओपन हार्ट सर्जरी के बिना ही हृदय की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह को बहाल करता है। एक्सपर्ट के मुताबिक एक दिल का दौरा पड़ने जैसी आपातकालीन स्थिति में एंजियोप्लास्टी की जाती है। एक घंटे के भीतर मरीज को एंजियोप्लास्टी मिलने से मौत का जोखिम कम हो सकता है। इसे जितना जल्दी किया जाए मरीज के हार्ट फेलियर का खतरा कम होता है। जितनी जल्दी एंजियोप्लास्टी होगी दिल की मांसपेशियों को उतना ही नुकसान होगा। एंजियोप्लास्टी को परक्यूटीनियस कोरोनरी इंटरवेंशन भी कहा जाता है। बता दें कि एंजियोप्लास्टी तीन प्रकार की होती है। बैलून एंजियोप्लास्टी, लेजर एंजियोप्लास्टी और एथरेक्टॉमी एंजियोप्लास्टी (हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर)

कैसे की जाती है एंजियोप्लास्टी?

angioplasty

बैलून एंजियोप्लास्टी के दौरान एक लंबी, पतली ट्यूब कैथेटर को रक्त वाहिका में डाला जाता है और ब्लॉकेज को खोलने की कोशिश की जाती है। डॉक्टर एक्स-रे या वीडियो की मदद से वाहिकाओं में जाने वाली ट्यूब को मॉनिटर करते हैं। कैथेटर के धमनी में पहुंचने के बाद उसे फुलाया जाता है। ये बैलून प्लाक को दबाकर चपटा कर देता है, जिससे धमनी चौड़ी हो जाती है और मरीज का ब्लड सर्कुलेशन ठीक हो जाता है। (हार्ट को हेल्दी रखने के टिप्स)

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लेजर एंजियोप्लास्टी में भी कैथेटर का इस्तेमाल होता है इसमें बैलून की जगह पर लेजर की मदद ली जाती है। लेजर को प्लाक तक लेकर जाते हैं और बंद पड़ी धमनी को वेपराइज कर खोलने की कोशिश करते हैं। वहीं एथरेक्टॉमी उस वक्त किया जाता है जब बैलून या लेजर एंजियोप्लास्टी से भी प्लाक को नहीं हटाया जा सके।

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Image Credit- Freepik and Social Media

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