शिशु के जन्म के बाद एक महिला कई शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरती है। हालांकि, ज्यादातर पोस्टपार्टम समस्याएं अस्थायी होती हैं और कुछ समय बाद ठीक हो जाती हैं। लेकिन कई समस्याएं डिलीवरी के बाद लंबे समय तक महिलाओं को परेशान करती हैं। इसलिए पोस्टनेटल केयर बहुत जरूरी है।
इसके अलावा, पोस्टपार्टम के बाद अक्सर सेक्सुअल हेल्थ की उपेक्षा की जाती है। लंबे समय तक ऐसा करने से महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए डिलीवरी के बाद महिलाओं को अपने सेक्सुअल हेल्थ पर ध्यान देना चाहिए।
आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स के बारे में बता रहे हैं, जो डिलीवरी के बाद महिलाओं की सेक्सुअल लाइफ को सही रखने में मदद कर सकते हैं। इन टिप्स के बारे में हमें बैंगलोर, बेलंदूर के क्लाउडनाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की कंसल्टेंट ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी डॉक्टर अरुणा कुमारी बता रही हैं।
एक्सपर्ट का कहना है, "एक महिला के जीवन में पोस्टपार्टम सबसे सेंसिटिव समय होता है। वह हाल ही में डिलीवरी के दर्द से गुजरी होती है। जैसे ही वह ठीक होती है, उसे बच्चे की देखभाल और पोषण की चिंता सताने लगती है। ऐसे में सेक्सुअल लाइफ में वापस आना मुश्किल होता है।''
6 हफ्ते तक कोई सेक्सुअल एक्टिविटी नहीं
एक्सपर्ट का कहना है, ''कपल्स को डिलीवरी के 6 हफ्ते बाद तक सेक्सुअल एक्टिविटी से बचना चाहिए। ऐसी सलाह इसलिए दी जाती है क्योंकि डिलीवरी के बाद महिलाओं को पोस्टपार्टम ब्लीडिंग या लोकिया (प्रेग्नेंसी के बाद शरीर में बचे म्यूकस, ब्लड और टिश्यू वेजाइना से बाहर आते हैं। इस डिस्चार्ज को लोकिया कहते हैं।) होता है, जो पीरियड्स की तरह होता है। इसके अलावा, वेजाइना के आसपास के टिश्यू डिलीवरी के बाद सेंसिटिव होते हैं, इसलिए महिला को इंफेक्शन का खतरा ज्यादा होता है।''
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गर्भनिरोधक का इस्तेमाल
एक्सपर्ट ने आगे बताया, ''ब्रेस्टफीडिंग के दौरान शरीर में हार्मोन प्रोलैक्टिन का उत्पादन बढ़ जाता है। इस हार्मोन के हाई लेवल का मतलब फर्टिलिटी का कम होना है। यह हार्मोन ओव्यूलेशन और पीरियड्स को रोकता है। इसलिए माना जाता है कि ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिला प्रेग्नेंट नहीं हो सकती है। लेकिन यह सही नहीं है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माताओं में ओव्यूलेशन की प्रक्रिया ओैसतन 6 हफ्ते में शुरू हो जाती है, जिसकी वजह से ब्रेस्टफीडिंग कराने के बावजूद महिला में प्रेग्नेंट होने की संभावना होती है। इसलिए, यदि नई मां ब्रेस्टफीडिंग करा रही है, तो कपल्स को गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करना चाहिए।''
अच्छी नींद और हेल्दी भोजन
नींद की कमी और अनहेल्दी डाइट का असर महिला की सेक्सुअल इच्छा पर पड़ता है। कुछ हार्मोनल बदलाव से भी वेजाइना में ड्राईनेस और दर्द की समस्या होती है, जो महिला की लिबिडो को प्रभावित करती है। अच्छी नींद लेने और पौष्टिक भोजन खाने से सेक्सुअल ड्राइव को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
पेरिनियल हाइजीन
डॉ. कुमारी का कहना है, ''इंटरकोर्स से पहले और बाद में पेरिनियल हाइजीन को बनाए रखना जरूरी होता है। इसके लिए अपने पेरिनियल एरिया को पानी और साबुन से धोना चाहिए। अपने हाथों को धोना, इंटरकोर्स के बाद यूरिन करना जैसे हाइजीन टिप्स इंफेक्शन को रोकने में मदद करते हैं।
यूरिन को रोकने से बचना
एक्सपर्ट का कहना है, ''महिलाओं को लंबे समय तक अपने यूरिन को नहीं रोकना चाहिए। इससे यूरिन इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है और इसका सेक्सुअल स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है।''
पार्टनर सपोर्ट
पोस्टपार्टम के दौरान महिला को अपने पार्टनर से साइकोलॉजिकल सपोर्ट की जरूरत होती है। डिलीवरी के बाद महिलाएं वजन बढ़ने, स्ट्रेच मार्क्स जैसे कई शारीरिक बदलावों से गुजरती हैं, इससे उन्हें इंटरकोर्स के दौरान अनकंफर्टेबल महसूस होता है। लेकिन पार्टनर का सपोर्ट बहुत कुछ बदल सकता है।
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डिलीवरी के बाद महिलाओं को प्रेग्नेंसी से पहले वाले फेस में आने के लिए फिजिकल, इमोशनल और साइकोलॉजिकल सपोर्ट की जरूरत होती है। हालांकि, यह आसान नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे, वे ऐसा करने में कामयाब हो जाती हैं।
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