28 मई का दिन दुनिया भर में Menstrual Hygiene Day के तौर पर मनाया जाता है। पीरियड्स के दौरान हाइजीन की अहमियत समझाने और इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने में इस दिन की खास भूमिका है। पीरियड्स महिलाओं में हर महीने होने वाला एक सामान्य बायलॉजिकल प्रोसेस है, जो कंसीव करने के लिए जरूरी है। लेकिन, हमारे समाज के कुछ हिस्सों में आज भी इसे एक टैबू के तौर पर देखा जाता है और यही वजह से कि पीरियड्स से जुड़े कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब महिलाएं जानना तो चाहती हैं। लेकिन, वह इन सवालों को पूछने से कतराती है और यही कारण है कि उन्हें खुद भी पीरियड्स के बारे में सही जानकारी नहीं होती है। इस समय पर पैड कितने घंटों में बदलना चाहिए, इन दिनों में चिड़चिड़ापन क्यों महसूस होता है, पेट क्यों खराब हो जाता है..जैसे सवालों के जवाब हम आपके लिए लेकर आए हैं। यह जानकारी डॉक्टर अदिति बेदी दे रही हैं। वह कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट और आब्स्टिट्रिशन हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि पीरियड्स के दिनों में सेक्शुअल रिलेशन से प्रेग्नेंसी की संभावना कम होती है। लेकिन, इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप प्रेग्नेंट नहीं हो सकती हैं। इस समय पर भी कंडोम का अन्य किसी कॉन्ट्रासेप्शन का इस्तेमाल बेहतर रहेगा।
पीरियड्स के दौरान, सही हाइजीन मेंटेन करना जरूरी है। इस समय पर आपको हर 4-5 घंटे में पैड बदलने चाहिए वरना इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। अगर आपको फ्लो कम भी आ रहा है, तब भी पैड जरूर बदलें।
पीरियड्स के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के लेवल में उतार-चढ़ाव होता है। इस समय पर कुछ महिलाओं को कब्ज हो जाती है। वहीं, कुछ महिलाओं को लूजमोशन हो सकते हैं। ऐसा प्रोस्टाग्लैंडीन में बदलाव की वजह से भी होता है।
एक्सपर्ट का कहना है कि पीरियड्स से पहले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन कम हो जाता है और हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन का लेवल भी परिवर्तित होता है। वहीं, अगर आप पहले से स्ट्रेस में हैं, तो शरीर में कोर्टिसोल का लेवल भी बढ़ा होता है। इसी वजह से चिड़चिड़ापन, बिना बात के रोना और गुस्सा आना जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
यह विडियो भी देखें
पीरियड्स में आजकल काफी महिलाएं मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल कर रही हैं। यह कई कारणों से पैड की तुलना में बेहतर है। इससे इंफेक्शन की संभावना भी कम होता है और वजाइना में जलन या रैशेज नहीं होते हैं। हालांकि, इसे लगाने में कुछ असुविधा हो सकती है।
यह भी पढ़ें- पीरियड आने की डेट से कुछ दिन पहले से बंद कर दीजिए ये काम, आसान बनेंगे मुश्किल दिन
पीरियड्स और पीएमएस के दौरान कुछ महिलाओं को बहुत अधिक नींद आती है, तो वहीं कुछ को नींद आने में मुश्किल होती है। ऐसा हार्मोनल बदलावों के कारण होता है। इन दिनों में आपको थकान और सुस्ती महसूस हो सकती है, जिससे नींद पर असर पड़ता है।
इसका कोई मानक नहीं है। यह सभी महिलाओं के लिए अलग हो सकता है। आमतौर पर 3-5 दिन ब्लड फ्लो आना नॉर्मल माना जाता है। हालांकि, अगर आपको बहुत हैवी फ्लो आ रहा है या पीरियड में फ्लो न के बराबर या केवल 1-2 दिन आ रहा है, तो यह सही नहीं है और आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
बेशक इस समय पर सभी महिलाओं को दर्द होता है। लेकिन, पीरियड्स के दिनों में कुछ महिलाओं को बर्दाश्त के बाहर दर्द होता है और बिना पेनकिलर के उनके लिए रूटीन कामों को करना भी मुश्किल हो जाता है। यह सही नहीं है। इसके पीछे कई हेल्थ कंडीशन्स हो सकती हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
यह भी पढ़ें- अनियमित पीरियड्स का कारण बन सकती है शरीर में इस विटामिन की कमी
पीरियड्स से जुड़े किसी भी मिथ पर यकीन न करे। किसी भी सवाल का जवाब एक्सपर्ट से ही लें। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit:Freepik, Shutterstock
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।