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How to Read Food Labels Without Being Tricked

हेल्दी स्नैक्स भी बढ़ा सकते हैं कोलेस्ट्रोल, मिसलीडिंग फूड लेबल्स ऐसे करते हैं स्वास्थ्य को प्रभावित

हम लोग हेल्दी फूड्स समझकर कुछ ऐसी चीजें ले लेते हैं, जो हमारी हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आइए आपको बताएं कि मिसलीडिंग फूड लेबल्स कैसे आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-08-08, 12:40 IST

आज के समय में, लोग काफी-ज्यादा हेल्थ कॉन्शियस हो रहे हैं। वे लोग बाजार से ऐसी चीजें लेना पसंद करते हैं, जिनके लेबल में No Sugar, Low Fat or No Cholesterol जैसे क्लेम होते हैं। ये फूड लेबल हमारी डाइट्री चॉइस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मगर क्या आपको पता है कि ये लेबल्स कितने भ्रामक हो सकते हैं।

ऐसे क्लेम करने वाले फूड लेबल्स असल में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सभी लेबल समान नहीं होते हैं। नो शुगर और लो फैट जैसे शब्दों का इस्तेमाल अक्सर उत्पादों को स्वस्थ विकल्पों के रूप में बेचने के लिए किया जाता है, लेकिन ये दावे सच को सकते हैं। न्यूट्रिशनिस्ट अंजलि मुखर्जी ने इस बारे में काफी बढ़िया जानकारी अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर शेयर किया है। आइए आपको बताएं कि इन क्लेम का सच क्या होता है।

1. लो फैट फूड का सच

low fat foods

वजन को मेनटेन या कम करने वाले लोग अक्सर ऐसे फूड्स की तलाश करते हैं, जिनमें लो फैट होता है। हालांकि, ये लो फैट फूड्स में  हाई कैलोरी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें शुगर डाली जाती है और रिफाइन्ड आटे का इस्तेमाल होता है।

फैट को हटाने पर स्वाद प्रभावित हो सकता है, इसलिए निर्माता अक्सर शुगर या रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट मिलाते हैं। ये ऐडेड शुगर वजन, टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को बढ़ाने और अन्य मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकती हैं।

आवश्यक पोषक तत्व: प्राकृतिक फैट एसेंशियल पोषक तत्वों का स्रोत है, जैसे कि विटामिन-ए, डी, ई और के, जो विभिन्न शारीरिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसे लो फैट फूड आइटम्स में इन पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। इसलिए ऐसे फूड आइटम्स चुनते हुए कैलोरी कॉन्टेंट के साथ एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स का भी ध्यान रखें।

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2. शुगर-फ्री क्लेम का सच

चीनी का सेवन कम से कम करने के लिए हम शुगर फ्री चीजों की ओर भागते हैं। क्या आपको इस फूड लेबल का सच पता है? डायबिटीज से पीड़ित लोगों को ध्यान में रखकर ये प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं, लेकिन ये असल में नुकसानदेय हो सकते हैं। इन फूड्स में फैट्स की मात्रा ज्यादा होती है। ये कैलोरी के लोड को बढ़ा देता है। 

शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स में आर्टिफिशियल स्वीटनर्स या शुगर अल्कोहल होते हैं। ये सब्स्टीट्यूट भले ही ब्लड शुगर लेवल को न बढ़ाएं, लेकिव अन्य हेल्थ संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकते हैं। कुछ शुगर अल्कोहल के कारण पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसके लॉन्ग-टर्म इफेक्ट्स भी होते हैं।

कैलोरिट कॉन्टेंट: शुगर फ्री होने का मतलब यह नहीं है कि फूड आइटम्स में कैलोरी भी कम हो। ये फैट्स की भरपूर मात्रा के साथ आते हैं, इसलिए ऐसे किसी भी तरह की चीज को लेने से पहले उसके लेबल को जांचें और कैलोरिक कॉन्टेंट पर ध्यान दें।

3. नो कोलेस्ट्रोल क्लेम का सच

plant based oil

किसी डिब्बे में नो कोलेस्ट्रोल देखकर ही मन खुश हो जाता है कि यह हेल्थ के लिए अच्छा है मगर ऐसा नहीं होता है। इसे हेल्दी हार्ट के लिए अच्छा माना जाता है। आमतौर पर प्लांट-बेस्ड ऑयल्स इसका क्लेम करते हैं, लेकिन उनमें फैट्स की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। 

कई सारे प्लांट-बेस्ड और प्रोसेस्ड फूड्स में ट्रांस फैट या सैचुरेटेड फैट्स का हाई लेवल हो सकता है, जो बैड कोलेस्ट्रोल को बढ़ा सकता है। इससे दिल संबंधी बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं। 

न्यूट्रिशन प्रोफाइल:  जरूरी है कि आप अपने प्रोडक्ट के न्यूट्रिशनल प्रोफाइल पर गौर करें। उसमें कोलेस्ट्रोल है या नहीं सिर्फ ये न देखें। हाइड्रोजेनेटेड ऑयल्स और सोडियम  के हाई लेवल के कारण आपकी हेल्थ को नुकसान पहुंच सकता है। 

फूड लेबल देखते हुए ध्यान रखें ये बातें-

इंग्रीडिएंट लिस्ट पढ़ें: फूड लेबल में इंग्रीडिएंट लेबल को गौर से पढ़ें। अनहेल्दी फैट और आर्टिफिशियल एडिटिव्स की जांच करें। 

पोषण संबंधी फैक्ट्स को एनालाइज करें: टोटल फैट, सैचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट, अतिरिक्त शुगर और सोडियम के बारे में जानकारी के लिए पोषण फैक्ट पैनल को पढ़कर एनालाइज जरूर करें। इससे आपको उत्पाद के ओवरऑल पोषण मूल्य के बारे में स्पष्टता से पता चलेगा।

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भाग के आकार को समझें: लेबल अक्सर प्रति सर्विंग पोषण संबंधी जानकारी के बारे में बताते हैं। सर्विंग साइज के बारे में सावधान रहें।

अब अगर आप भी इन फूड लेबल्स को देखें, तो ध्यान रखें कि यह भ्रामक लेबल्स आपके लिए कितने हानिकारक हो सकते हैं। ऐसे किसी भी क्लेम वाले फूड को आहार में शामिल करने से पहले अपने सलाहकार से बात करें।

 

 

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Image Credit: Freepik

 

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