अपनी डिलीवरी से जुड़ा एक अहम वाकया मैं आपके साथ शेयर करना चाहती हूं। डिलीवरी से पहले मैं अपने आने वाले बच्चे को लेकर बहुत उत्साहित थी। एक तरफ मन में डर था, वहीं दूसरी तरफ ढेर सारा रोमांच कि उसके साथ मेरी दुनिया किस तरह बदल जाएगी। कितनी ही कल्पनाएं मेरे मन में हिलोरे मार रही थीं कि बच्चे के साथ मेरा वक्त कितना सुनहरा बीतेगा। लेकिन जब हकीकत से सामना हुआ तो चीजें बहुत अलग थीं। लेबर पेन के 22 घंटे, डिलीवरी का मुश्किल दौर, डिलीवरी के बाद की चुनौतियां और मेरे health issues मुझ पर इस कदर हावी हो गए कि मैं अपनी नन्ही सी जान के साथ होने के अहसास को उस तरह नहीं जी पाई, जैसे मैं चाहती थी। मुझे बहुद उदास सा लगने लगा। बच्चे की देखभाल में दिन-रात लगे रहना, शरीर को आराम न मिल पाना और उस पर अपने रोजमर्रा के काम पूरे करने की चुनौती। उन दिनों मैं बहुत चिड़चिड़ी हो गई थी। अपने कामों की चिंता मुझे इस कदर परेशान करती थी कि मैं अपनी केयर पर भी ध्यान नहीं दे पाती थी।
बहुत बाद में मुझे अपनी डॉक्टर से बात करने पर पता चला कि डिलीवरी होने के आसपास महिलाओं को इस तरह का तनाव हो जाता है, जो postpartum depression कहलाता है। मुझसे गलती यह हुई कि मैंने इस प्रॉब्लम के बारे में किसी से चर्चा नहीं की।
अगर मैं इस बारे में घर में या अपनी डॉक्टर से बात करती तो मेरी समस्या बहुद हद तक सुलझ जाती। यह आर्टिकल पढ़ने वाली सभी महिलाओं को मैं सुझाव देना चाहूंगी कि प्रेगनेंसी के मुश्किल वक्त और उसके बाद की complications के बारे में अपने दोस्तों या relatives से चर्चा जरूर करें और अगर डॉक्टर को दिखाने की जरूरत महसूस हो तो उसमें बिल्कुल देरी न करें।
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हम जितना सोच सकते हैं, उससे कहीं ज्यादा आम है यह समस्या। 10,000 न्यू मॉम्स पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि 7 में से एक महिला पोस्ट पार्टम डिप्रेशन की शिकार थी। इनमें से ज्यादातर महिलाओं ने पाया कि इलाज से इस समस्या में मदद मिलती है।
क्या होता है पोस्ट पार्टम डिप्रेशन?
Postpartum depression एक किस्म का तनाव है जो बच्चा होने के दौरान किसी भी समय हो सकता है। आमतौर पर यह डिप्रेशन डिलीवरी के पहले तीन हफ्तों में नजर आता है। अगर आप इस डिप्रेशन का शिकार होती हैं तो मुमकिन है कि आप उदास रहें, निराश महसूस करें या अपराधबोध महसूस करें, क्योंकि आप अपने बच्चे से ठीक तरह से connect न कर पा रही हों। यह समस्या सिर्फ पहली बार मॉम बनी महिलाओं को ही नहीं होती, दूसरा या तीसरा बच्चा होने के दौरान भी इस तरह का डिप्रेशन हो सकता है।
किन वजहों से होता है postpartum depression
यह डिप्रेशन कई वजहों से होता है। प्रेगनेंट होने के बाद हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, वहीं डिलीवरी के बाद हार्मोन का स्तर अचानक घट जाता है, इससे कुछ महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या हो जाती है।
अगर आपके परिवार में लोगों को डिप्रेशन की समस्या रही है तो आपको भी पोस्ट पार्टम डिप्रेशन होने की आशंका हो सकती है।
अगर आपकी प्रेगनेंसी planned न हो और आपको आपकी फैमिली की तरफ से सपोर्ट मिलने में मुश्किल आए तो भी नई मॉम बनना आपके लिए depressing हो सकता है। इसके अलावा अगर आपको फाइनेंशियल प्रॉब्लम है, ड्रग्स या एल्कोहॉल की प्रॉब्लम है तो ये भी स्ट्रेस की बड़ी वजह हो सकते हैं। युवा महिलाएं, जो बच्चे को संभालने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होती, उन्हें भी यह समस्या होने की आशंका रहती है।
इन लक्षणों को पहचानें
Postpartum depression में हर महिला को अलग तरह से डिप्रेशन की समस्या महसूस हो सकता है लेकिन आमतौर पर जो लक्षण नजर आते हैं, उनके बारे में आपको जागरूक होने की जरूरत है। मसलन महिलाएं हताश महसूस करती हैं, उन्हें बच्चे की देखभाल से जुड़े काम या रोजमर्रा के काम करने में मुश्किल महसूस होती है। कई बार ऐसी महिलाएं बिना वजह लंबे वक्त तक रोती रहती हैं। खानपान, अपनी देखभाल और अपने interest के कामों से ध्यान पूरी तरह हट जाता है, नींद बहुत ज्यादा आती है, किसी काम पर फोकस करने, सीखने या कुछ याद रख पाने में मुश्किल आती है।
डॉक्टरी सलाह लेने में ना करें देरी
अगर आपको खुद में पोस्ट पार्टम डिप्रेशन के लक्षण नजर आ रहे हैं तो जल्द से जल्द अपनी gynaecologist से मिलें क्योंकि वह ही निश्चित रूप से बता सकती है कि आपको यह समस्या है या नहीं। यह समस्या होने पर घबराएं नहीं, नियमित इलाज से आप जल्द ही आप पहले की तरह खुशहाल जिंदगी बिताने योग्य हो जाती हैं। आपके इलाज के लिए डॉक्टर आपको एंटीडिप्रेसेंट लेने की सलाह ले सकती हैं। इन दवाओं को लेने से दिमाग में डिप्रेशन क्रिएट करने वाले कई कैमिकल्स बैलेंस हो जाते हैं।
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Counselling से भी मिलती है मदद
Psychologist या therapist से बात करने से भी आपकी समस्याएं बहुत हद तक कम हो सकती हैं। इनसे बात करने पर आप सीख सकती हैं कि किस तरह अपने निगेटिव ख्यालों को कंट्रोल किया जाए। आप अपनी रिलेशनशिप्स को बेहतर बनाने के बारे में भी सलाह ले सकती हैं ताकि आपके past की वजह से आपकी आज की जिंदगी प्रभावित न हो।
इन चीजों से मिलती है मदद
पोस्टपार्टम डिप्रेशन diagnose होने पर आप improvement के लिए कई ऐसे काम कर सकती हैं, जिनसे आपको अच्छा feel हो और ट्रीटमेंट से भी जल्दी आराम महसूस हो जैसे कि रोजाना एक्सरसाइज करें, कुछ ऐसे कामों में खुद को involve करें, जिनमें आपको मजा आए, अपने लिए छोटे-छोटे goals, आराम के लिए वक्त निकालें, साथ ही ऐसे लोगों के बीच रहें जो आपका खयाल रखें ।
Rare और serious problem है Postpartum Psychosis
Postpartum depression की प्रॉब्लम अगर ज्यादा सीरियस हो जाए तो यह Postpartum Psychosis का रूप ले सकता है। इसके लक्षण बच्चे के पैदा होने के दो हफ्ते बाद नजर आ सकते हैं। आपको इससे सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि इसके लक्षण Postpartum depression से कहीं ज्यादा गंभीर होते हैं मसलन आपको सोने में परेशानी महसूस होती है, स्पष्ट सोचने में दिक्कत महसूस होती है। इस बीमारी में कई बार काल्पनिक चीजें असली जैसी महसूस होने लगती हैं। कई महिलाएं इस स्थिति में खाना खाने से मना कर देती हैं, वहीं कुछ महिलाओं को लगता है कि कोई उन्हें या उनके बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है। यह कंडिशन एक तरह से medical emergency कही जा सकती है। इसीलिए इसके लक्षण नजर आने पर फौरन डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।