पुराने जमाने में हमेशा मिट्टी या लोहे के बर्तनों में खाना बनाने का रिवाज था। कहा जाता था कि इससे बहुत ज्यादा फायदा होता है और हमारा शरीर पर नॉनस्टिक कुकवेयर का असर कम भी करती है। करीना कपूर की न्यूट्रीशनिस्ट रुजुता दिवाकर ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट डाली थी जिसमें उन्होंने लिखा था, 'अगर आप अपने आस-पास देखें, तो आप नोटिस करेंगी कि आपकी कमर ज्यादा पतली तब रहती है जब किचन ज्यादा बड़े रहते हैं। अब हमारे घरों में बाथरूम किचन से ज्यादा बढ़े होते हैं क्योंकि रियल एस्टेट मार्केट्स को पता है कि लोग ज्यादा समय अपने बाथरूम में बिताते हैं किचन में नहीं।'
वो आगे लिखती हैं- 'तो यहां 3 आसान रूल हैं जो किचन पर फोकस करने पर हम अच्छी सेहत पा सकते हैं
1- प्लास्टिक का कम इस्तेमाल
2- लोहे की कढ़ाई को वापस लाएं
3- माइक्रोवेव की जगह पैन में खाना गर्म करें'
रुजुता दिवाकर की ये बातें यकीनन काफी असरदार हैं। प्लास्टिक के बारे में हम सभी जानते हैं कि वो कितनी हानिकारक होती है। खाना और पानी प्लास्टिक में स्टोर करने का मतलब है धीरे-धीरे सेहत को खराब करना। माइक्रोवेव का इस्तेमाल भी अभी होने लगा है, लेकिन आयरन कढ़ाई यानी लोहे के बर्तन में खाना पकाने की आदत हमारे देश में ही नहीं बल्कि कई देशों में है। विदेशों में ही कई लोग आयरन स्किलेट (लोहे का पैन) का इस्तेमाल करते हैं। हमारे घरों में भी एक दशक पहले तक लोहे की कढ़ाई का बहुत अहम योगदान रहता था, लेकिन अब सब कुछ नॉन स्टिक हो गया है।
तो चलिए एक बार इस कढ़ाई के फायदे भी जान लेते हैं। वैसे ऐसा नहीं है कि हर रोज़ लोहे की कढ़ाई में खाना बनाया जाए, लेकिन हफ्ते में अगर तीन चार बार भी इसे इस्तेमाल किया जाए तो ये अच्छा साबित हो सकता है।
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आजकल टेफलॉन कोटिंग वाले नॉन-स्टिक कुकवेयर आने लगे हैं, लेकिन खाना बनाते समय सावधानी अगर बरती जाए तो पता चलेगा कि ये कुकवेयर असल में कितना नुकसान कर सकते हैं। अगर लोहे की कढ़ाई को अच्छे से इस्तेमाल किया जाए तो ये नॉन स्टिक का काम करेगी। इसमें सिंथेटिक मटेरियल नहीं हैं जो खाने में कई तरह के कैमिकल लाते हैं। ऐसे में कम तेल में खाना बनाया जा सकेगा। यानी आपके वेट लॉस रूटीन में भी कोई नुकसान नहीं होगा।
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लोहे के तवे पर रोटी सेंक रही हों या फिर लोहे की कढ़ाई में खाना बना रही हों ये काफी फायदेमंद हो सकता है क्योंकि एक बार गर्म होने के बाद ये लंबे समय तक गर्म रहती है। ये नॉन स्टिक कुकवेयर आदि की तुलना में काफी गर्म रहती है।
आयरन की कमी से कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं। अगर आपके शरीर में किसी भी तरह से आयरन की कमी है तो लोहे के बर्तन में खाना बनाना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। एक वयस्क महिला को 18 mg आयरन हर रोज़ चाहिए होता है। ऐसे में लोहे की कढ़ाई काफी मदद कर सकती है।
ऐसा कितनी बार होता है कोई नॉन स्टिक कढ़ाई या बर्तन जल्दी खराब हो गया? लोहा काफी स्ट्रॉन्ग होता है इतना तो हमें पता है ऐसे में लोहे की कढ़ाई लंबे समय तक हमारे साथ रह सकती है।
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अब ये बात तो हमे माननी होगी कि नॉन-स्टिक बर्तनों की तुलना में लोहे की कढ़ाई या बर्तन थोड़ी ज्यादा सस्ते होते हैं।
लोहे की कढ़ाई काफी आसानी से साफ हो सकती है। आप मेटल के मांजे से इसे साफ कर सकती हैं और कोई दिक्कत नहीं होगी। इसके अलावा इसकी मेंटेनेंस भी बहुत मुश्किल नहीं है।
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