
भारत में किडनी से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं और दुख की बात यह है कि इसकी सबसे बड़ी वजह हमारी ऐसी आदतें हैं, जो डेली लाइफस्टाइल का हिस्सा है। किडनी शरीर से टॉक्सिन निकालने, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने, इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस रखने और मेटाबॉलिज्म को ठीक रखने में अहम भूमिका निभाती है, लेकिन कुछ आदतें इन अंगों पर बेवजह दबाव डालकर किडनी डिजीज, किडनी स्टोन और अन्य गंभीर समस्याओं का कारण बनती हैं। आज हम आपको 5 ऐसी गलत आदतों के बारे में बताएंगे, जो किडनी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है और इसकी जानकारी हमारे साथ लीलावती हॉस्पिटल, मुंबई इंटरनल मेडिसिन स्पेशलिस्ट, डॉक्टर रोहित देशपांडे शेयर कर रहे हैं।
भारत में ज्यादातर लोग दिनभर में जरूरी 2-2.5 लीटर पानी नहीं पीते, जबकि चाय, कॉफी और शुगरी ड्रिंक ज्यादा लेते हैं। कम पानी पीने से यूरिन कम बनता है और शरीर में टॉक्सिन, यूरिक एसिड, कैल्शियम और ऑक्सलेट जमा होने लगते हैं। इससे किडनी स्टोन बनने का खतरा बढ़ता है।

चाय-कॉफी में मौजूद कैफीन शुरू में यूरिन बढ़ाती है, लेकिन बाद में शरीर को डिहाइड्रेट कर देती है और किडनी पर दबाव बढ़ाती है। यह ब्लड प्रेशर भी बढ़ा सकती है, जो किडनी के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
सिरदर्द, बुखार, शरीर में दर्द, पीरियड पेन आदि होने पर लोग बिना सोचे NSAIDs जैसे पेनकिलर ले लेते हैं। इन पेनकिलर्स को लंबे समय तक लेने से किडनी की नसों में ब्लड का फ्लो कम हो जाता है, किडनी के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है और यह 'Analgesic Nephropathy' जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है।
डायबिटीज, बीपी या पहले से किडनी में गड़बड़ी से परेशान मरीजों में खतरा दोगुना बढ़ जाता है। किसी भी दर्द में बार-बार दवा लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
भारतीय भोजन में नमक बहुत ज्यादा होता है। अचार, पापड़, चटनी और पैकेज्ड स्नैक्स और बाहर का खाना इसके लिए सबसे बड़े दोषी माने जाते हैं। ज्यादा नमक से ब्लड प्रेशर बढ़ता है, किडनी पानी सही तरीके से बाहर नहीं निकाल पाती और शरीर में सूजन और 'प्रोटीन लीकेज' (Proteinuria) होने लगता है, जो किडनी डैमेज का शुरुआती संकेत है।

रोज 5 ग्राम से कम नमक (1 चम्मच) लेना किडनी के लिए बेहद फायदेमंद है।
ये दोनों किडनी के सबसे बड़े दुश्मन हैं और भारत में सबसे ज्यादा लोग डायबिटिज और हाई बीपी के मरीज हैं, लेकिन बहुत कम लोग इसे रेगुलर चेक या कंट्रोल करते हैं। क्या आप जानते हैं कि अनियंत्रित बीपी से किडनी की नसें खराब (Hypertensive nephrosclerosis) होती हैं और अनियंत्रित शुगर से किडनी के फिल्टर खराब (Diabetic nephropathy) हो सकते हैं
इन समस्याओं के शुरू में कोई लक्षण नहीं होते। जब शरीर में सूजन, कमजोरी, पेशाब कम होना जैसी समस्याएं दिखती है, तब तक 70-80 प्रतिशत किडनी खराब हो चुकी होती है। इसलिए समय-समय पर क्रिएटिनिन, GFR, यूरिन एल्ब्यूमिन टेस्ट जरूर कराएं।
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आजकल लोग मैगी, चिप्स, रेडी-टू-मेक सूप, प्रोसेस्ड मीट, बेकरी प्रोडक्ट्स बहुत ज्यादा खाते हैं। इनमें नमक, प्रिजर्वेटिव और फॉस्फेट बहुत ज्यादा होते हैं, जो किडनी पर बोझ बढ़ाते हैं।

जिम जाने वाले लोग हाई-प्रोटीन डाइट और प्रोटीन सप्लीमेंट्स भी ज्यादा लेते हैं, जिससे शरीर में यूरिया बढ़ता है, किडनी को फिल्टर करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और पहले से कमजोर किडनी जल्दी खराब होती है।
किडनी को बचाना मुश्किल नहीं है, बस कुछ आदतें सुधारने की जरूरत है।
लाइफस्टाइल में छोटी-सावधानी आपकी किडनी को सालों तक हेल्दी रख सकती है। जागरूक बनें और अपनी किडनी की सुरक्षा अभी से शुरू करें।
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