वेट लॉस करते समय अगर रखेगी बॉडी टाइप का ख्‍याल तो 15 दिनों में हो जाएगीं स्लिम

अगर आप 15 से 20 दिनों में अपना वजन कम करना चाहती हैं तो अपनी बॉडी टाइप यानि वॉटर रिटेंशन और फैट रिटेंशन बॉडी के हिसाब से वजन कम करें। आइए एक्‍सपर्ट से जानें कैसे।

  • Pooja Sinha
  • Her Zindagi Editorial
  • Updated - 2018-06-07, 18:17 IST
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''हम जितना कम खांयेंगी, उतना ही वजन घटा पायेंगी'', वेट लॉस (मोटापा) को लेकर अधिकांश महिलाओं को यह गलतफ़हमी है। लेकिन सच्चाई यह है कि सही मात्रा में बैलेंस डाइट लेने और रेगलुर एक्‍सरसाइज करने आपको बेहतर मानसिक और मनोवैज्ञानिक हेल्‍थ मिलती है। मोटापा एक स्थापित सामाजिक रोग है और काफी अधिक संख्या में यह लोगों की सेहत के लिये एक खतरा है, जिनमें बच्चे और किशोर भी शामिल हैं। और यह सबसे ज्यादा चिंताजनक है। यह ना केवल खानपान की आदतों से जुड़ी मनोवैज्ञानिक समस्या है, बल्कि काफी हद तक मनोवैज्ञानिक सीमाओं से भी जुड़ा है, जिसका सामना हम तनावपूर्ण जीवनशैली में करते हैं। ऐसी जीवनशैली को हमने अपना लिया है।

बढता वजन

भारत में, हालिया अध्ययनों में इस बात की पुष्टि हुई है कि 70 प्रतिशत से भी अधिक स्कूल जाने वाले बच्चे मोटे हैं और जुवेनाइल डायबिटीज से पीड़ित हैं। यह इस लिहाज से चिंताजनक है कि हमारी 50 प्रतिशत आबादी आहार असंतुलन से संबंधित मनोवैज्ञानिक विकार के शिकार है। इसकी वजह से हम दुनिया में सबसे अधिक डायबिटीज, दिल की बीमारियों और अन्य मेटाबॉलिक बीमारियों के खतरे में हैं। वजन कम करना जोड़-घटाव के बारे में नहीं है, यह आंतरिक रूप से हमारे मनोविज्ञान, हमारी भावनाओं और हमारे विश्वास से जुड़ा है। अगर यह केवल गणित होता है तो बस 50 ग्राम प्रोटीन और 50 ग्राम फाइबर के साथ जरूरी विटामिन और मिनरल्स लेने से हम अपना वजन घटा लेते। लेकिन वजन कम करना केवल संख्या नहीं होती। वजन कम करने का प्रभाव देखने के लिये हमें तीन प्रमुख मनोवैज्ञानिक तथ्यों पर ध्यान केंद्रित करना होगा - तनाव, खुशी और व्यवहार।

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बढ़ते वजन से बीमारियां

हालांकि, क्रॉनिक बीमारियां, अत्यधिक शराब का सेवन, तंबाकू का इस्तेमाल और यहां तक कि तनाव भी खराब पोषण की स्थिति का कारक बनता है, यह सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त करने वाला कारक है, जोकि खान-पान की आदतों से जुड़ा है। पारंपरिक भारतीय समाज के भी वर्तमान तौर-तरीके, जिनमें अत्यधिक प्रोसेस किय गये और सुविधाजनक फूड शामिल हैं, उसके परिणामस्वरूप अत्यधिक मात्रा में कैलोरी, कोलेस्ट्रॉल, सैचुरेटेड फैट्स, नमक और डाइसैकेराइड ग्रहण कर लेते हैं। इस दौरान फाइबर की मात्रा ना के बरारबर होती है और माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स बहुत कम होता है।

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एक्‍सपर्ट की राय

दरअसल, दस में से नौ लोगों को ही ऐसे आहार संबंधी बदलावों के बारे में पता होता है, जिसकी वजह से उनका जीवन प्रभावित हो सकता है। इसके बावजूद कई सारे कारणों से, जिनमें आधुनिक खानपान की सुविधा और आधुनिक जीवन का प्रभाव शामिल है। वाकई, बहुत कम लोग ही ऐसे बदलावों को अपनाते हैं, जोकि वजन कम करने के लिये आवश्यक होते हैं और सेहतमंद जीवनशैली का निर्माण करते हैं। वजन कम करने की दिशा में कदम बढ़ाने से पहले किसी को भी अपने बॉडी टाइप के बारे में जानकारी होना जरूरी है। दो तरह की बॉडी होती है- वॉटर रिटेंशन और फैट रिटेंशन बॉडी। आइए बॉडी टाइप के हिसाब से वजन कम करने के तरीकों के बारे में चेज अरोमाथैरेपी कॉस्मैटिक्स के फाउंडर और लेखक डॉक्‍टर नरेश अरोड़ा से जानते हैं।

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वॉटर या फ्ल्यूड रिटेंशन बॉडी

हमारी बॉडी में तकरीबन 60 प्रतिशत पानी होता है, जोकि लाइफ के हर पहलू में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, पानी का अत्यधिक रिटेंशन (एडीमा) लंबे समय से हो रही सूजन का दुष्प्रभाव होता है। फ्ल्यूड रिटेंशन के नाम से भी ख्यात; एडीमा फूड इनटोलरेंस, खराब खान-पान, टॉक्सिन के संपर्क में आना और किडनी फेल्योर जैसी बीमारियां कारण हो सकती हैं। महिलाओं को अपने पीरियड्स के ल्यूटल चरण और प्रेग्‍नेंसी में वॉटर रिटेंशन की समस्या हो सकती है। ज्यादातर महिलाओं में पानी का अत्यधिक वजन गंभीर हेल्‍थ प्रॉबलम्‍स का कारण नहीं होता है। हालांकि, यह नेगेटिव रूप से आपके आकार और लाइफ की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।

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हमारी बॉडी का लिम्फेटिक सिस्टम बॉडी से टॉक्सिक पदार्थ को निकालने के लिये उपयुक्त रूप से सक्षम है। हालांकि, इस निकासी व्यवस्था में किसी प्रकार का अवरोध होने पर बॉडी में अवांछित रूप से टॉक्सिन जमा हो सकता है, जिसकी वजह से सूजन और एलर्जी की समस्या हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप अन्य शारीरिक परेशानियां पैदा हो सकती हैं। ऐसे में असामान्य रूप से बॉडी में होने वाली सूजन चिंता का कारण बन जाती है और आपकी बॉडी की बनावट और सोच में भी सूजन पैदा कर देती है।

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वॉटर रिटेंशन बॉडी के लिये टिप्‍स

  • सुबह-सुबह 2 लीटर पानी में दालचीनी का पानी (1-2 टेबलस्पून) लें। उसे उबालें और ठंडी जगह पर स्टोर करें। हर दिन 6-8 टेबलस्पून इसका लें।
  • नियमित रूप से 6-8 टेबलस्पून एलोवेरा जूस लें।
  • तुलसी, लेमनग्रास, ग्रीन टी, कालीमिर्च, इलायची, मेथीदाना, दालचीनी के साथ वजन कम करने वाली या हर्बल टी तैयार कर सकती हैं।
  • दोपहर का भोजन (बिना नमक के) - भोजन करने के एक घंटे पहले छाछ, लौकी का जूस, सब्जियों का सूप, वजन कम करने वाली चाय दो बिस्कुट के साथ, नारियल पानी, दाल, सलाद लें।
  • रात का भोजनः सब्जियों का सूप, खिचड़ी
  • नमक के सेवन को कम करें
  • हाई फाइबर फूड लें, जिनमें बीज, फल, साबुत अनाज शामिल हैं।

फैट रिटेंशन बॉडी

कुछ महिलाओं में वजन बढ़ने का कारण होता है, जोकि ज्यादा खाने या एक्‍सरसाइज की कमी के कारण नहीं होता है। एंडोक्राइनल सिस्टम, खासतौर से थायरॉयड की क्रियाशीलता कम हो जाने की वजह से एड्रिनल हार्मोन कोर्टिसोल का निर्माण होता है और हार्मोन इंसुलिन के प्रतिरोध से असामान्य रूप से वजन बढ़ सकता है। ज्यादातर महिलाएं, जिनका वजन बढ़ता है, खासतौर से पेट के आस-पास, उनमें इस तरह की कोई समस्या नहीं होती है। तो फिर उनका वजन क्यों बढ़ता है और उसे कम करना इतना मुश्किल क्यों होता है? हार्मोनल सिस्टम के असंतुलित होने का प्रभाव हमारे लीवर और डाइजेस्टिव पर पड़ता है, खासतौर से फैट/लिपिड के डायजेशन और उन्हें ग्रहण करने में, इसकी वजह से अपच, अत्यधिक एसिडिटी, कब्जियत होती है, इसके परिणामस्वरूप एडिपोज टिशू (एडमैंट फैट की अत्यधिक मात्रा) के रूप में फैट का जमाव होता है। एडिपोज टिशूज को गलाना और वजन कम करना मुश्किल हो जाता है, जिसकी वजह से और अधिक फैट का निर्माण होता है और हाई कार्ब भी फैट में बदल जाते हैं।

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फैट रिटेंशन के उपाय

  • बॉडी रैपः अरोमैटिक ऑयल, लैवेंडर, यूकेलिप्टस, बेसिल, रोज़मैरी, लेमन, लेमनग्रास, अदरक, कालीमिर्च, दालचीनी और जुनिपर बेरी।
  • दुबले होने के लिये बेस ऑयल - कैसे तैयार करें
  • एक चम्मच ग्रेप सीड ऑयल या एवोकाडो ऑयल या सोयाबीन ऑयल। उपरोक्त में से किसी भी तेल की 2-3 बूंदें मिलायें।
  • एक-एक दिन के अंतराल पर क्लीनिकल/रिफ्लेक्सोलॉकिल पैडीक्योर।
  • गुनगुने पानी से भरे टब में 1 चम्मच नमक और 2-3 बूंदें उपरोक्त में से किसी भी अरोमा ऑयल मिलाकर उनमें पैर डुबायें, (कम से कम 15 मिनट), तौलिये से पोछें और फिर उपरोक्त तरीके से तैयार अरोमा ऑयल से मसाज करें। 15 मिनट तक रिफ्लेक्सोलॉजी का डीप मसाज लें।
  • सही तरीके से मसाज लेने के बाद कुछ समय के लिये स्टीम लें।
  • हफ्ते में कम से कम दो बार फुल बॉडी मसाज करायें।
  • उपयुक्त डाइट के साथ, एक्‍सरसाइज करें और इसके जरिये पॉजिटीव माहौल बनायें।
  • परिणाम 15-20 दिनों में।

प्रतिदिन एक्‍सरसाइज को अपने रूटीन में शामिल करें, अपनी लाइफ में बदलाव और पॉजिटीव सोच निश्चित रूप से समस्याओं को दूर करने में मदद करेगा।
Image Courtesy: Shutterstock.com

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