सिर्फ कढ़ी ही नहीं, सावन में बेसन और दही से बनी इन चीजों को खाने की मनाही क्‍यों होती है?

सावन का महीने में खान-पान को लेकर खास सावधानियां बरती जाती हैं। इनमें से एक प्रमुख मान्यता यह है कि सावन में कढ़ी और दही-बेसन से बनी अन्य चीजें नहीं खानी चाहिए। क्या आप जानती हैं कि इसके पीछे सिर्फ धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक कारण भी है? 
why kadhi is avoided in sawan month

सावन का महीना भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिकता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। यह माह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी विशेष होता है। वर्षा ऋतु के इस पावन माह में खान-पान को लेकर कई परंपराएं और सावधानियां अपनाई जाती हैं। इन्हीं में से एक मान्यता यह है कि सावन में कढ़ी नहीं खानी चाहिए और न ही बेसन व दही से बनी अन्य चीजें। इसके पीछे केवल धार्मिक आस्था ही नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण भी मौजूद हैं। आइए, आयुर्वेदिक एक्सपर्ट सिद्धार्थ एस कुमार से जानते हैं कि आखिर सावन में कढ़ी खाने से क्यों परहेज करना चाहिए।

दही का पाचन पर बुरा असर

  • कढ़ी बनाने के लिए दही और बेसन का इस्तेमाल होता है। डॉक्‍टर सिद्धार्थ बताते हैं कि वर्षा ऋतु में वातावरण में नमी बढ़ जाती है और इस समय शरीर की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। ऐसे में, दही अपने एसिडिक गुणों के कारण पाचन पर बुरा असर डालता है। बारिश के मौसम में दही का सेवन गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है।
  • जब कमजोर पाचन तंत्र के दौरान दही से बनी कढ़ी खाई जाती है, तब इससे पेट में भारीपन, अपच, ब्‍लोटिंग या दस्त की समस्या भी हो सकती है। इसलिए, सावन में दही, बेसन और इनसे बनी कढ़ी या अन्य चीजों से परहेज करने की सलाह दी जाती है।
why we should not eat dahi in sawan

वायरल इंफेक्शन और बैक्टीरिया का खतरा

  • जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि बरसात का मौसम अपने साथ नमी और बैक्टीरिया के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण लाता है। इस समय कुछ फूड्स बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं और दही उनमें से एक है। इसमें बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं, खासकर यदि यह ताजा न हो या सही तरीके से स्टोर न किया गया हो।
  • यदि आप बासी दही से बनी कढ़ी खाते हैं, तो इससे फूड पॉइजनिंग और डायरिया जैसी पेट संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। कढ़ी जैसी चीजें, जिनमें नमी और डेयरी प्रोडक्‍ट्स होते हैं, यदि लंबे समय तक कमरे के तापमान पर रहते हैं, तो वे आसानी से दूषित हो सकते हैं, जिससे हेल्‍थ को खतरा बढ़ जाता है।

बेसन का देर से पचना

  • कढ़ी का दूसरा मुख्य घटक बेसन है, जो प्रकृति में भारी और देर से पचने वाला माना जाता है। जब इसे दही जैसे एसिडिक और नमी वाले पदार्थ के साथ पकाया जाता है, तब इसका पाचन और भी मुश्किल हो जाता है। जैसा कि पहले बताया गया है, सावन के मौसम में पाचन शक्ति पहले से ही कमजोर होती है।
  • ऐसे में कढ़ी जैसी भारी और गरिष्ठ चीज खाने से पेट से जुड़ी गंभीर समस्याएं जैसे ब्‍लोंटिग, गैस, बदहजमी और कब्ज की परेशानी बढ़ सकती है। यह आपके पेट पर एक्‍स्‍ट्रा बोझ डालता है, जिससे पाचन तंत्र बुरा असर होता है।
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कढ़ी में होते हैं कई मसाले

  • कढ़ी में स्वाद और सुगंध के लिए तड़के के रूप में हींग, राई, लाल मिर्च और अन्य कई मसालों का भरपूर इस्तेमाल होता है। एक्सपर्ट सिद्धार्थ के अनुसार, ''ये सभी तत्व शरीर में गर्मी पैदा करते हैं और वर्षा ऋतु में वात और पित्त दोष को बढ़ा सकते हैं।'' आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, सावन का महीना वात दोष के बढ़ने का समय होता है। जब वात और पित्त दोनों दोष असंतुलित हो जाते हैं, तब इससे स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं।
  • इनमें त्वचा रोग जैसे खुजली, दाने, सिरदर्द और जोड़ों में दर्द जैसी परेशानियां शामिल हैं, खासकर उन लोगों को जो पहले से ही वात-पित्त संबंधी रोगों से परेशान हैं। इन मसालों की तासीर गर्म होने के कारण ये शरीर में असंतुलन आ सकता है, जिससे आपकी सेहत खराब हो सकती है।

आयुर्वेद के अनुसार, सावन का मौसम वात दोष को बढ़ाता है, क्योंकि इस दौरान वातावरण में ठंडक और नमी होती है। इस ऋतु में शरीर की अग्नि मंद हो जाती है, इसलिए आयुर्वेद ताजे और हल्के भोजन के सेवन को ही सही मानता है।

कढ़ी जैसे एसिडिक, भारी और अधिक मसालों वाले भोजन से वात और पित्त दोनों दोष असंतुलित हो सकते हैं। यह असंतुलन शरीर की इम्यूनिटी को कमजोर करता है, जिससे आप मौसमी बीमारियों और इंफेक्‍शन के प्रति ज्‍यादा सेंसिटिव हो जाते हैं। इसलिए, सावन में ऐसे भोजन से बचना चाहिए जो आपके पाचन तंत्र पर बोझ डाले और दोषों को बढ़ाए।

why we should not eat kadhi in sawan

इसलिए, सावन के मौसम में कढ़ी और दही-बेसन से बनी चीजों से परहेज करना चाहिए। इस मौसम में आपको अपनी डाइट का खास ख्‍याल रखना चाहिए। हल्के, ताजे और आसानी से पचने वाला भोजन करें ताकि आप हेल्‍दी रह सकें और मौसमी बीमारियों से बचे रहें।

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Image Credit: Freepik & Shutterstock

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