
हमारे शरीर का डायजेस्टिव प्रोसेस सही तरह से काम करे इसके लिए हमें सही डाइट लेना जरूरी है, लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और दुनिया भर की बीमारियों के खतरे के बीच ये सही तरह से काम नहीं कर पाता है। ऐसी स्तिथि में अगर हम अपने पेट को थोड़ा सा प्रोबायोटिक सपोर्ट दे दें तो पाचन प्रोसेस सही हो सकता है और गैस, ब्लोटिंग, खट्टी डकार जैसी कई समस्याएं एक बार में ही हल हो सकती हैं।
प्रोबायोटिक्स के लिए दही को बहुत अच्छा माना जाता है, लेकिन अगर दही खाना भी कोई ऑप्शन न हो तो? कई लोगों को मौजूदा समय में सर्दी-खांसी, कोविड रिकवरी, बुखार आदि के कारण दही खाना मना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दही इन सभी समस्याओं को बढ़ा सकता है और गला खराब होने पर भी इसे नहीं खाया जाता। ऐसे में क्यों न पके हुए चावल से ही हम अपने पेट की समस्या को हल कर लें।
पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशनिस्ट और डायटीशियन स्वाति बथवाल ने हमें इस रेसिपी के बारे में बताया और उनका कहना है कि ये एक ऐसी प्रोबायोटिक रेसिपी है जिससे आप अपने पेट की कई समस्याओं को हल कर सकते हैं।

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ओड़ीसा, बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसी कई जगहों पर इसे खाया जाता है और ये हर जगह अलग नाम से जाना जाता है। इसे पोखला भात, पोंटा भात, पखाला, पानी, पसई भात कुछ भी कहकर पुकारा जा सकता है। ये दरअसल, पके हुए चावल से बनाया जाता है जिसमें साफ पानी मिलाकर इसे फरमेंट करने के लिए रखा जाता है।
पके हुए चावल में साफ पानी मिलाकर 8-12 घंटों के लिए फरमेंट किया जा सकता है और इसे सुबह खाया जा सकता है।

ये अलग-अलग राज्य और जगह के हिसाब से अलग तरीके से खाया जा सकता है।
इसे खान का तरीका अलग हो सकता है लेकिन स्वाति जी का कहना है कि इसे सही समय पर खाना बहुत फायदा कर सकता है। जिन्हें पेट से जुड़ी बहुत सारी समस्याएं हैं वो इसे सुबह-दोपहर में लंच के पहले और शाम में डिनर के पहले भी खा सकते हैं।
आप तीन अलग-अलग ग्लास में सुबह-दोपहर-शाम के लिए पका हुआ चावल भिगा कर रख सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि इसे सिर्फ 8-12 घंटे के लिए ही भिगोना होता है।

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स्वाति जी का कहना है कि ये प्रोबायोटिक लेने का सही तरीका है। जब एंटीबायोटिक्स की वजह से आपका गट बैक्टीरिया भी खत्म हो जाता है और इसलिए हमेशा दस्त या कॉन्सटिपेशन जैसी समस्याएं होती हैं। उस स्थिति में भी ये हमारी मदद करता है। इसे खाने से ये समस्याएं हल हो सकती हैं-
अगर आपको कोई ऐसी परेशानी है जिसके लिए काफी लंबे समय से इलाज चल रहा हो या फिर किसी बीमारी के सीरियस स्टेज पर हों तो अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसे लें। इसके अलावा आप इसे कभी भी ले सकते हैं।
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