आज हम ऊष्मा, जीवन शक्ति और ब्रह्मांडीय निर्माण की देवी मां कूष्मांडा की पूजा करते हैं। मां के इस नाम (रूप) का अर्थ है कू (थोड़ा), ऊष्मा (ऊर्जा/गर्मी) और अंडा (ब्रह्मांडीय अंडा) है। यह ब्रह्मांड में जीवन का संचार करने की उनकी भूमिका को दर्शाता है। वह अनाहत चक्र (हृदय चक्र) को कंट्रोल करती हैं, जो रिश्तों में प्रेम, करुणा और सद्भाव का पोषण करता है। कूष्मांडा मां का प्रिय रंग नारंगी है, जो आनंद, ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है।
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। इस दिन मां के आशीर्वाद के साथ-साथ कूष्मांडा नामक इस पवित्र आयुर्वेदिक फल को खाना शुभ और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। कूष्मांडा को कुछ लोग सफेद पेठा या ऐश गॉर्ड के नाम से भी जानते हैं। मां कूष्मांडा जिस तरह ब्रह्मांड का पोषण करती हैं, उसी तरह कूष्मांडा हमारे शरीर और मन को भी पोषण देता है। आज नवरात्रि के खास मौके पर हम आपको कूष्मांडा यानी सफेद पेठा खाने के फायदे और तरीकों के बारे में बता रहे हैं। इसकी जानकारी डॉक्टर दीक्षा भावसार दे रही हैं। डॉक्टर दीक्षा, दिल्ली के आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स ब्रांड द कदंब ट्री की फाउंडर और BAMS (Bachelor of Ayurveda Medicine) हैं।
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कूष्मांडा खाने से शरीर और मन में शक्ति, शांति और जीवन शक्ति भर जाती है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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