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आखिर होली पर ही क्यों बनाई जाती है गुजिया? जानें इसके पीछे की दिलचस्प कहानी

Why is gujiya made only Holi: होली पर हर किसी के घर में गुजिया तो जरूर बनती होंगी। ऐसे में क्या अपने कभी सोचा है आखिर होली के मौके पर ही गुजिया क्यों बनाई जाती है और इसके पीछे आखिर क्या कारण है।
Editorial
Updated:- 2025-03-06, 17:42 IST

Holi 2025: हर साल फाल्गुन महीने में होली का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 14 मार्च, 2025 को पड़ रहा है। हर कोई रंगों के इस फेस्टिवल को पूरे उमंग और उत्साह के साथ सेलिब्रेट करता है। हर तरफ अबीर-गुलाल और पकवानों की महक से मन और वातावरण खुशहाल हो जाता है। सभी लोग इस-दूसरे के घर जाकर गले लगते हैं और गालों पर गुलाल लगाकर बधाई देते हैं। होली का पर्व दो दिनों तक चलता है। पहले दिन होलिका दहन और अगले दिन धुलेंडी यानि जिस दिन रंगों से होली खेली जाती है। होली का यह पर्व पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है, लेकिन ब्रज, मथुरा, वृंदावन, काशी और राजस्थान की होली काफी फेमस है।

यह तो रही होली खेलने की बात कोई भी त्योहार जब तक पूरा नहीं होता तब तक पकवानों की खुशबू नहीं आए। ऐसे में होली का मौका हो और घर में स्वादिष्ट व्यंजन न बने ऐसा तो हो नहीं सकता। हर किसी के घर में होली के खास मौके पर टेस्टी चीजें जरूर बनती हैं। इस त्योहार की तैयारियां तो कई दिनों पहले से हो जाती है, क्यूंकि होली का त्योहार रंगों और मिठाइयों के बिना अधूरा लगता है। वहीं मिठाई में होली वाले दिन सबसे पहला नाम गुजिया का आता है। मावा की स्टफिंग से तैयार होने वाली गुजिया का स्वाद जुबान पर आते ही दिल खुश हो जाता है। यह होली की पारंपरिक मिठाई है जिसका प्रचलन सदियों से चला आ रहा है। आप सभी के घरों में भी हर होली पर गुजिया जरूर बनती होंगी, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है आखिर क्यों होली पर गुजिया ही बनती हैं? अगर नहीं तो आज हम आपको इस लेख में बताएंगे इसका कारण और दिलचस्प कहानी।

होली पर क्यों बनती हैं गुजिया?

why make gujiya on holi

बताया जाता है वैसे तो गुजिया का चलन मुगल और राजपूत रसोई के समय चला आ रहा है। ऐसे में गुजिया का इतिहास सदियों पुराना है, लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गुजिया का चलन 13वीं और 17वीं शताब्दी में शुरू हुआ है, लेकिन अन्य मान्यता के अनुसार गुजिया का संबंध श्रीकृष्ण के समय से है। दरअसल, ब्रज क्षेत्रों में मीठे पकवानों का खास महत्व है। ऐसे में गुजिया  को भगवान कृष्ण की पसंदीदा मिठाइयों में से भी एक बताया गया है और होली ब्रज और मथुरा क्षेत्र की काफी फेमस भी है। ऐसे में होली पर गुजिया जरूर बनाई जाती हैं।

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साथ ही बताया जाता है ब्रज क्षेत्र से भी गुजिया का प्रचलन शुरू हुआ। पहली बार इसी क्षेत्र में होली पर गुजिया का भोग भगवान कृष्ण को अर्पित किया गया था। जिसके बाद से हर साल होली और गुजिया बनाई जाती हैं। इसके अलावा कुछ लोग गुजिया की उत्पत्ति यूपी के शहर बुंदेलखंड से बताते हैं। हालांकि इसके बारे में अभी कोई सही तथ्य नहीं हैं।

गुजिया के अन्य नाम

types of gujiya

गुजिया को भारत में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कहीं इसको गुजिया (Gujiya) की जगह गुंझिया भी कहते हैं। छत्तीसगढ़ में इसे कुसली, महाराष्ट्र में करंजी, गुजरात में घुघरा, कर्नाटक में करिगाडुबु, बंगाल में गोजा, गोवा में नेवरी, बिहार में पिड़की, तमिलनाडु में सोमासी और आंध्र प्रदेश में कज्जिकायालु कहते हैं।

गुजिया को मावा, ड्राई फ्रूटस, नारियल पाउडर, चीनी, सूजी और मैदा से तैयार किया जाता है। यह खाने में बेहद स्वादिष्ट लगती है। आजकल लोग इसको अलग-अलग तरह के फ्लेवर में भी बनाने लगे हैं। कई जगहों पर इसको बनाने के बाद चाशनी में डुबो दिया जाता है। इसको आप बनाकर काफी लंबे समय तक खा सकते हैं।

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Image Credit: Freepik

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