"अरे चाय के साथ जरा भुजिया ले आना"... ये शब्द आपने भी सुने होंगे और खुद भी बोले हों। भुजिया नमकीन ऐसा स्नैक है, जो हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुकी है। आप बोर हो रहे हों या कुछ चटर-पटर खाने का मन हो। तीखा और चटपटा खाना हो या फिर चाय के साथ नमकीन खोज रहे हों, भुजिया हर कदम पर हमारा साथ देती है।
यह सदियों से हमारे लिए बेहतरीन नाश्ता रहा है। शाम को चाय के साथ परोसने से लेकर चाट और रायते की कुरकुरी टॉपिंग तक, भुजिया देश की सबसे अधिक मांग वाली और पसंद की जाने वाली नमकीन में से एक है। मगर सवाल है कि क्या यह हमेशा से हमारी संस्कृति का हिस्सा थी?
आखिर इसे बनाने के पीछे की क्या कहानी रही होगी। किस तरह से इसे बनाने का आइडिया किसी को आया होगा? क्या आपने कभी यह सोचा है? आइए आज इस आर्टिकल में हम भुजिया के इतिहास पर प्रकाश डालते हैं।
बीकानेर में बनाई गई भुजिया!
बीकानेर, राजस्थान में है और अपनी संस्कृति, नृत्य शैली और भोजन के लिए बखूबी जाना जाता है। पूर्व में बीकानेर रियासत की राजधानी रहे इस शहर की स्थापना राव बीका ने 1486 में की थी। इसके बाद यह राजस्थान के चौथे सबसे बड़े शहर के रूप में विकसित हुआ है। यह शहर अपने स्वादिष्ट स्नैक भुजिया और अन्य नमकीन के लिए प्रसिद्ध है। काफी सारी नमकीन यहीं बनाई जाती हैं और फिरदुनिया भर में बेची जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि सबकी पसंदीदा नमकीन भुजिया भी यहीं बनाई गई थी।
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बीकानेर राजघराने में हुआ आविष्कार
आज भले ही यह नमकीन आम हो गई है, लेकिन इसका ताल्लुक शाही खानदान से रहा है। कहानी यह है कि तत्कालीन बीकानेर रियासत के महाराजा डूंगर सिंह ने इसे सबसे पहले 1877 में अपने मेहमानों के लिए तैयार किया था। इसे खाने के बाद उनके मेहमानों को आश्चर्य हुआ। जब महाराज ने खुद इस स्नैक को चखा, तो वह खुद को इसे ज्यादा खाने से रोक नहीं पाए। मोठ और बेसन से बने हल्के या सुनहरे पीले रंग के स्नैक को मूंगफली के तेल में पकाया गया। इसमें अलग-अलग मसाले डाले गए और तब जाकर यह नमकीन तैयार हुई।
धीरे-धीरे बीकानेर शहर में हुई भुजिया लोकप्रिय
यह तो बस शुरूआत थी। इस कुरकुरे और स्वादिष्ट नाश्ते पता लोगों को लगने लगा। इसका पता जल्द ही शाही रसोई और कुलीन घरों से आम लोगों और परिवारों तक पहुंच गय। इसके बाद, बीकानेर में भी भुजिया नमकीन का डंका बजा और तो और बीकानेर से बाहर भी लोग इसे पसंद करने लगे। कुछ ही समय में, छोटे व्यवसाय और अन्य उद्यमियों ने इसका फायदा उठाया और भुजिया की लोकप्रियता देख भुजिया बनाने की दुकानें शुरू कर दीं।
बीकानेरी भुजिया में शामिल जरूरी इंग्रीडिएंट्स ने बनाया खास
इसे मोठ, गारबान्जो बीन, बेसन और मसालों के आटे से तैयार किया जाता है। इसमें पाउडर सेलूलोज, नमक, लाल मिर्च, काली मिर्च, इलायची, लौंग आदि जैसे मसाले शामिल होते हैं। इसे छलनी से दबाकर और वेजिटेबल तेल में डीप फ्राई करके कुरकुरी बनावट दी जाती है।
इसके लजीज स्वाद का रहस्य सामग्री के सही अनुपात में छिपा है जो बीकानेरी भुजिया को अन्य भुजिया की तुलना में अधिक पॉपुलर बनाता है। इसमें फिर धीरे-धीरे अन्य वैराइटीज भी तैयार की जाने लगीं। आलू भुजिया, रतलामी सेव और पंजाबी तड़का इसकी उन वैरायटी में शामिल नमकीन हैं। बीकानेरी भुजिया का स्वाद न केवल भारतीयों को पसंद है बल्कि इसकी मांग हमारे देश के बाहर भी है।
मिल चुका है GI Tag
समय के साथ, भुजिया के कई वैरायटी सामने आईं। इतना ही नहीं, इसकी खास पैकेजिंग भी इसकी लोकप्रियता में महत्वपूर्ण हिस्सा निभाती है। आज भी भुजिया क्रेज बहुत ज्यादा और यही कारण है कि हमारी सरकार ने इसे तथ्य को माना। साल 2020 में सरकार द्वारा इसे भौगोलिक संकेत टैग (GI Tag) भी दिया जा चुका है, तो इसकी स्थायी लोकप्रियता को प्रमाणित करता है।
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बीकानेरी बाजार में ज्यादातर भुजिया के शौकीनों और निर्माताओं का कब्जा रहता है, जहां भुजिया बनाने की तकनीक और कला दशकों से प्रसिद्ध है। इस बिजनेस में ढाई करोड़ से अधिक लोग कार्यरत हैं और इनके द्वारा लगभग पचास हजार टन भुजिया का निर्माण किया जाता है।
है न कितनी दिलचस्प बात, जिस भुजिया को हम आम समझते हैं असल में वह शाही परिवार से ताल्लुक रखती है। आपको यह जानकारी कैसी लगी, हमें कमेंट्स में जरूर बताएं। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। इसे लाइक और शेयर करें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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