भारत में स्नैक्स का बहुत बोल बाला है और लगभग हर प्रांत में अलग तरह के स्नैक्स मिलते हैं। इन्हीं में से हैं सेव और भुजिया जो लगभग पूरे उत्तर और मध्य भारत में प्रसिद्ध हैं। ये अलग-अलग तरह से खाए जाते हैं और टी-टाइम स्नैक की बात करें तब तो इन्हें ज्यादा ही पसंद किया जाता है। मैं मध्य प्रदेश से हूं और मध्य प्रदेश में खाने के साथ भी सेव खाए जाते हैं। पर दिक्कत वहां होती है जहां लोग भुजिया और सेव के बीच का अंतर नहीं कर पाते हैं।
देखिए खाने-पीने और सेव के मामले में मध्य प्रदेश वाले थोड़े टची हो सकते हैं और इसलिए ये जरूरी है कि मैं इस मामले में कुछ कहूं। चलिए आज आपको भुजिया और सेव के बीच का अंतर बताती हूं जो शायद कई लोगों को नहीं पता होता।
किसी भी बड़े नमकीन ब्रांड को ही ले लीजिए आपको भुजिया का पैकेट अलग और सेव का पैकेट अलग मिल जाएगा। इसके पीछे का कारण यही है कि भुजिया और सेव के बीच काफी अंतर होता है। तो इसके बारे में विस्तार से बात करते हैं।
इसे जरूर पढ़ें- योगर्ट और दही के बीच का अंतर नहीं जानते कई लोग, क्या आपको है पता
हर सेव भुजिया नहीं हो सकता
सबसे पहले मैं बता दूं कि भुजिया सेव का ही एक प्रकार है, लेकिन हर सेव भुजिया नहीं हो सकता है। ये मिक्सचर भी नहीं हो सकता है। सेव के अलग-अलग प्रकार होते हैं जैसे मोटा सेव, पतला सेव, लौंग सेव, पालक सेव, बेसन सेव आदि। भुजिया को हम एक प्रकार ही मानेंगे।
किस राज्य से आया सेव और कहां से आई भुजिया?
सेव मध्य प्रदेश का स्नैक माना जा सकता है। हालांकि, इसकी हिस्ट्री तो नहीं बताई जा सकती है, लेकिन इसका चलन मध्य प्रदेश से ही शुरू हुआ है। भुजिया राजस्थानी है और हां, बीकानेरी भुजिया का इतिहास 1877 में माना जाता है जब महाराजा श्री डुंगर सिंह ने बीकानेर में पहला भुजिया का बैच बनवाया था। इसलिए ही बीकानेरी भुजिया नाम प्रसिद्ध भी हुआ था। भुजिया हमेशा राजस्थान से रही है और सेव की अलग-अलग वेराइटी का श्रेय मध्य प्रदेश को जाता है।
साइज में अंतर
आलू भुजिया एक ही साइज की आती है, लेकिन सेव की बात करें तो हर तरह के सेव की अलग बनावट देखने को मिलती है। मोटे सेव, पतले सेव और अलग-अलग वेराइटी के सेव आपको भारत के लगभग हर हिस्से में मिल जाएंगे। भुजिया मीडियम आकार के पतले सेव को कहा जाता है जिसमें बहुत ज्यादा तीखापन नहीं होता। (ऐसे बनाएं अलग-अलग रंग के सेव)
बनाने के तरीके में अंतर
अब आता है सबसे बेसिक अंतर। सेव बेसन से बनते हैं जिसमें बहुत सारे मसाले डाले जाते हैं। भुजिया जरूरी नहीं कि वो बेसन से ही बने वो आलू भुजिया भी हो सकती है, दाल के आटे और बेसन को मिलाकर बनी भुजिया भी हो सकती है और उसमें कुछ और वेरिएशन भी मिल जाएंगे। दोनों को ही बनाने के लिए डीप फ्राई किया जाता है और दोनों में ही कई सारे मसाले मिलाए जाते हैं। हालांकि, भुजिया में तीखापन ज्यादा नहीं होता और सेव तीखे और फीके दोनों बनाए जा सकते हैं।
इसे जरूर पढ़ें- क्या आप जानते हैं सूजी और रवा के बीच का अंतर?
सेव या भुजिया कौन ज्यादा हेल्दी?
इसका सीधा सा जवाब है, दोनों में से कोई भी नहीं। सेव और भुजिया दोनों को ही डीप फ्राई किया जाता है और इनमें न्यूट्रिशनल वैल्यू बिल्कुल नहीं होती है इसलिए दोनों को ही हेल्दी नहीं माना जाता है। हां, कभी-कभी स्नैक के हिसाब से खाने के लिए ये दोनों ही अच्छे हैं, लेकिन इसके अलावा नहीं। दोनों में ही नमक और मसालों की मात्रा भी ज्यादा होती है और दोनों में ही कैलोरी भी ज्यादा होती है इसलिए इन्हें हेल्दी नहीं माना जाता है।
तो क्या आपको पता था भुजिया और सेव के बीच का अंतर? ऐसी ही खाने-पीने की कौन सी चीज का अंतर आपको आगे जानना है उसके बारे में हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आपको ऐसी ही अन्य चीजों के बीच का अंतर बताते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।