कर्नाटक इतिहास के भरा हुआ शहर है। यहां पर खूबसूरत जगहों से लेकर, साम्राज्यों का इतिहास और फूड का भंडार मौजूद है। जी हां, यह भारत का एक ऐसा राज्य है, जिसने कई साम्राज्यों को उगते और डूबते हुए देखा है।
यहां पर कई शासकों ने हुकूमत चलाई है और इसी वजह से यहां कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जो उस समय को प्रतिबिंबित करते हैं। यहां पर स्थित ऐतिहासिक इमारतें अपने भव्य आर्किटेक्चर को प्रदर्शित करती हैं, जो पर्यटन की दृष्टि से काफी सुदृढ़ हैं।
हालांकि, कर्नाटक प्राकृतिक सुंदरता में भी काफी आगे है, लेकिन आज हम आपको यहां के पारंपरिक फूड यानी करी के बारे में बताएंगे, जिसे आप अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। तो देर किस बात की आइए विस्तार से जानते हैं।
बिसी बेले भात का नाम कन्नड़ भाषा से लिया गया है, जिसमें बिसी का मतलब गर्म, बेले का मतलब दाल और भात का मतलब चावल होता है। यह व्यंजन मसालों के साथ हल्की आंच पर पकाया जाता है। ऐसा करने से इसका स्वाद और भी गहरा हो जाता है। इसे अक्सर घी, पापड़, या चटनी के साथ परोसा जाता है।
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बिसी बेले भात कर्नाटक के घरों में खासतौर पर त्योहारों, खास मौके और पारंपरिक समारोहों के दौरान बनाया जाता है और यह राज्य के सबसे व्यंजनों में से एक माना जाता है। अगर आप खाने के शौकीन हैं, तो बिसी बेले भात को तैयार कर सकते हैं।
मंगलोरियन फिश करी कर्नाटक के मंगलोर की एक खास और मशहूर डिश है। इस करी की खासियत यही है कि यह मसालेदार, तीखी और नारियल के स्वाद से भरी हुई होती है। साथ ही, इसे बनाने के लिए ताजी मछली का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें नारियल का दूध इमली और मसालों के साथ पकाया जाता है।
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इसके अलावा, करी में इस्तेमाल होने वाले मसाले जैसे कि लाल मिर्च, धनिया, हल्दी और सरसों के बीज इसे एक खास तीखा और गहरा स्वाद देते हैं। नारियल दूध की मलाईदार और इमली की हल्की खटास इस करी को एक बेहतरीन स्वाद देने का काम करती है।
यह करी आमतौर पर उबले चावल या नीर डोसा के साथ परोसी जाती है। अगर आप तीखे और मसालेदार व्यंजनों के शौकीन हैं, तो मंगलोरियन फिश करी आपके लिए एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है।
कर्नाटक के कुर्ग (कोडागु) क्षेत्र की लजीज करी है, जो अपने अनोखे स्वाद और मसालों के लिए जानी जाती है। यह करी कोडागु की पारंपरिक रसोई का हिस्सा है, जो कर्नाटक के हरे-भरे पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। कुर्गी चिकन करी बनाने में चिकन के टुकड़ों को मसालों के मिश्रण में मैरीनेट किया जाता है।
फिर नारियल का दूध, काली मिर्च का पाउडर, सरसों, करी पत्ते और मसाले के साथ पकाया जाता है। इस करी का स्वाद गहरा, मसालेदार और खुशबूदार होता है, जो इसे खास बनाता है। इसे अक्सर अक्की रोटी या गरमागरम चावल के साथ परोसा जाता है। इसे चखने के बाद आप कोडागु की सुंदरता और इसके खास स्वाद को महसूस कर सकते हैं।
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कर्नाटक के ग्रामीण और पहाड़ी इलाके में ज्यादा खाई जाती है। बता दें कि एरुली कन्नड़ भाषा में जंगली जानवरों के मांस को कहते हैं। यही वजह है कि इस करी को जंगलों या उसके आसपास के इलाकों में बनाया जाता है। हालांकि, आजकल इसे अलग-अलग मांस के साथ भी बनाया जाता है, जिसे बनाने के लिए हल्की आंच पर पकाया जाता है।
इसमें ताजे मसालों, नारियल और कभी-कभी ताड़ के फल का इस्तेमाल किया जाता है। वैसे इसे गरमा-गरम चावल या रोटी के साथ परोसा जाता है। एरुली करी अपनी अनोखी तैयारी और मजबूत स्वाद के कारण कर्नाटक की पारंपरिक भोजन संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है।
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