खाना हमारे लिए कितना जरूरी है यह तो हम सभी जानते ही हैं। इसके बिना इंसान जिंदा नहीं रह सकता, उसे अपना पेट भरने के लिए कुछ न कुछ चाहिए ही होता है। मगर इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें दो वक्त का खाना नसीब नहीं होता, वो दो वक्त की रोटी के लिए दिन रात मेहनत करता है।
कुल मिलाकर खाना इंसान की जरूरत नहीं, बल्कि हमारा मौलिक अधिकार है। इन्हीं लोगों को ध्यान में रखकर हर साल 16 अक्टूबर यानी आज के दिन वर्ल्ड फूड डे मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर में मौजूद भूख और कुपोषण का शिकार हुए लोगों के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है।
हाल ही में ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 2024 की रिपोर्ट जारी हुई थी, जिसमें भारत 127 देशों में से 105 वें स्थान पर है। यह स्थान देश में हो रही भूख की समस्या को उजागर करता है। यह डेटा हमें मजबूर करता है कि हर साल वर्ल्ड फूड डे को मनाया जाए।
क्या है वर्ल्ड फूड डे का इतिहास?
वर्ल्ड फूड डे की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने मिलकर की थी। इसका पहला आयोजन 16 अक्टूबर 1981 को हुआ था। इसके बाद से हर साल यह दिन दुनिया भर में मनाया जाने लगा।
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इसे एक खास थीम के साथ मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य केवल खाद्य सुरक्षा और भूख के मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाना नहीं है, बल्कि दुनिया के सभी देशों को यह बताना भी है कि वो अपने देश के सभी लोगों के खाने का ध्यान रखें।
क्या था वर्ल्ड फूड डे लाने का उद्देश्य?
साल 1945, यह वो वक्त था जब पूरी दुनिया युद्ध से उबर रही थी, तब रोम में, खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की स्थापना हुई। इससे एक नई उम्मीद जगी, जिसका संगठन का जन्म हुआ ताकि दुनिया में हर व्यक्ति के पास पर्याप्त भोजन हो सके। विश्व खाद्य दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के 20वें महासम्मेलन में हुई थी।
एफएओ, दुनिया भर में भूख और कुपोषण से लड़ने के लिए समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। एफएओ ने 1981 से हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाने का निर्णय लिया। यही वजह है कि हर साल 16 अक्टूबर को यह मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य यह याद दिलाना है कि खाना सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं है, बल्कि यह स्वस्थ जीवन और बेहतर भविष्य का आधार है।
इस बार क्या है वर्ल्ड फूड डे की थीम?
हर साल वर्ल्ड फूड डे की थीम बदलती रहती है। इस बार की थीम भी कुछ अलग ही थी, जिसकी थीम Right to foods for a better life and a better future है। इसका मतलब यानी बेहतर लाइफ और बेहतर फ्यूचर के लिए खाने का अधिकार। इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि हर इंसान को पौष्टिक खाने का अधिकार है।
इसके लिए हमें एक खाद्य प्रणाली विकसित करनी चाहिए। यह न सिर्फ लोगों को खाना उपलब्ध करवाएगा, बल्कि ध्यान भी रखेगा कि यह प्रणाली टिकाऊ हो। हमें खाने की बर्बादी को कम करने और उन सभी तक पौष्टिक भोजन पहुंचाने के उपाय खोजने होंगे जो लोग भूख और कुपोषण से पीड़ित हैं।
वर्ल्ड फूड डे के दौरान होने वाले कार्यक्रम
हर साल वर्ल्ड फूड डे पर अलग-अलग देशों में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें खाद्य सुरक्षा, कृषि विकास और पोषण जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाती है। स्कूलों, कॉलेजों या संस्थानों में भी इस दिन पर खास कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, ताकि बच्चों से लेकर बड़ों को खाने का महत्व पता लगे।
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इसमें कैसे हम योगदान दे सकते हैं?
वर्ल्ड फूड डे का मतलब सिर्फ जागरूकता फैलाना नहीं है, बल्कि इसे हमें अपनी जिंदगी में उतारना चाहिए। हम छोटे-छोटे बदलाव से एक बड़ा बदलाव कर सकते हैं।
- खाने की बर्बादी से रोकना, ताकिकिसी और को आसानी से सर्व किया जा सके।
- ऐसी चीजें खरीदें जो जैविक और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देते हैं।
- खाद्य वितरण कार्यक्रमों में शामिल होकर भुखमरी के खिलाफ अभियान में सहयोग करें।
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Image Credit- (@Freepik)
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