दिवाली बीतने के बाद छठ जैसे महापर्व का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह पूर्वांचल का सबसे बड़ा पर्व है, जिसमें लोग श्रद्धापूर्वक छठी मैया की पूजा करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य चढ़ाया जाता है। 4 दिनों तक चलने वाले इस पर्व के कई खास नियम हैं और प्रसाद को लेकर भी इसका अपना अलग महत्व है।
छठ पूजा नहाय खाय से शुरू होती है, जिसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास, संध्या अर्घ्य होता है और उषा अर्घ्य देकर इसकी समाप्ति होती है। लोग इसे प्रकृति का उत्सव कहते हैं। इस पर्व में प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाने वाली चीजें आमतौर पर नजर नहीं आती हैं। इसमें मुख्य प्रसाद ठेकुआ होता है, लेकिन उसके अलावा भी ऐसी कई चीजें हैं जो प्रसाद में बनाई और चढ़ाई जाती हैं। चलिए इस लेख में उन चीजों के बारे में जानें।
ठेकुआ
छठ पूजा के अवसर पर सबसे महत्वपूर्ण प्रसाद 'ठेकुआ' होता है। ठेकुआ गुड़, घी और आटे से बनाया जाता है और इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। चूंकि छठ सर्दियों के दौरान मनाया जाता है, इसलिए इस प्रसाद को बनाने का एक तर्क यह दिया जाता है कि आटा, घी और गुड़ आपको गर्म रखता है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।
रसियाव खीर
रसियाव खीर एक विशेष प्रसाद है जो छठ पूजा, खरना के दूसरे दिन तैयार किया जाता है। यह खीर गुड़, दूध और एक स्पेशल चावल जिसे अरवा कहते हैं, से बनाई जाती है। व्रती इस प्रसाद को खाकर अपना निर्जला व्रत शुरू करते हैं जो 36 घंटे तक चलता है। छठ पूजा का उत्सव खीर के बिना अधूरा है और सबसे महत्वपूर्ण प्रसादों में से एक है।
केला
छठ पूजा के भक्त पूजा करते समय छठी मैया को केला भी चढ़ाते हैं, जिसका अपना विशेष महत्व है। छठ मुख्य रूप से बच्चों को सर्दी के मौसम में बीमारियों से बचाने और समस्याओं से बचाने के लिए मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि केला बच्चों की लंबी उम्र के साथ-साथ परिवार की समृद्धि के लिए चढ़ाया जाता है। यही कारण है कि मैया को चढ़ने वाले प्रसाद में केला विशेष रूप से होता है।
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नारियल
जैसा कि आपको पता है कि छठ का पर्व सर्दियों में मनाया जाता है, इसलिए इसमें शामिल ज्यादातर चीजें वो होती हैं जो मौसम में बदलाव के साथ आपके स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाएं। इसी कारण नारियल भी प्रसाद की सूची में शामिल किया जाता है। नारियल के पोषक तत्व बच्चों के शरीर में जाते हैं और यह एक मजबूत प्रतिरक्षा का निर्माण करता है।
गन्ना
जब भक्त अर्घ्य देते हैं तो प्रसाद में गन्ना होना अनिवार्य है और यह छठी मैया की पूजा के समय प्रसाद में चढ़ाया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि फसल केवल सूर्य की कृपा से ही उगाई जाती है, इसलिए छठ के समय नवीनतम फसल सूर्य को अर्पित की जाती है।
कसार के लड्डू
छठ पूजा के दौरान पूजा के समय प्रसाद के रूप में विशेष चावल के लड्डू भी चढ़ाए जाते हैं। इन्हें विशेष चावल से बनाया जाता है जो धान की कई परतों से तैयार किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, चावल की नई फसल पहले सूर्य को अर्पित करना महत्वपूर्ण है और इसलिए छठी मैया को गन्ने के साथ कसार के लड्डू 'भोग' के रूप में चढ़ाने की परंपरा है।
डाभ नींबू
छठ माता को एक विशेष प्रकार का नींबू, जिसे डाभ नींबू कहा जाता है, भी चढ़ाया जाता है। यह नींबू बड़े पीले रंग का होता है और अंदर से लाल/गुलाबी रंग का होता है। इसके कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं और यह विटामिन-सी से भरपूर होता है।
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इतना ही नहीं, छठ के पहले दिन घिया की सब्जी, चना दाल और भात खाने की परंपरा होती है। इसकी के साथ बाकी दिनों में रसिया, पूरी, ठेकुआ, कसार के लड्डू, हरे चने की घुगनी, लाल साग आदि प्रसाद में बनाएं और खाए जाते हैं।
अगर आप छठी मैया को खुश करना चाहें तो आज से ही इस प्रसाद की सूची में से कुछ बना सकती हैं। अगर आप व्रत न भी रखा हो तो भी इन चीजों का सेवन किया जा सकता है।
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Image Credit: Freepik
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