
ब्रज धाम, जिसे मथुरा, वृंदावन और गोकुल के रूप में जाना जाता है भगवान श्री कृष्ण की लीला भूमि है। हर साल लाखों भक्त यहां उनके दर्शन और उनकी अद्भुत लीलाओं के साक्षी बनने आते हैं। भक्त यहां बांके बिहारी, द्वारकाधीश और राधा रमण जैसे प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन करते हैं, लेकिन ब्रज के कुछ ऐसे स्थान भी हैं जो अपनी अनोखी और कम ज्ञात मान्यताओं के कारण विशेष महत्व रखते हैं। ऐसा ही एक स्थान है जहां माना जाता है कि आज भी भगवान श्री कृष्ण की जीभ के दर्शन किए जा सकते हैं। यह स्थान ब्रज के परिक्रमा मार्ग में स्थित है और इसकी मान्यता बेहद अद्भुत और चमत्कारिक है। आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
पौराणिक कथा के अनुसार, तकरीबन 500 साल से भी पहले श्री रघुनाथ दास स्वामी जी हुआ करते थे जो श्री राधा रानी और श्री कृष्ण के परम भक्त थे। वह राधा कुंड के पास ही एक कुटिया में रहा करते थे और रोजाना राधा कुंड में स्नान के पश्चात राधा रानी के नाम का जाप किया करते थे।

एक बार श्री रघुनाथ दास स्वामी जी के मन में आया कि वह राधा कुंड के पास एक कुआं बनवाएं जिसकी रोजाना पूजा हो। वे ऐसा इसलिए चाहते थे ताकि राधा अष्टमी या जन्माष्टमी या गोपाष्टमी के दौरान राधा कुंड पर संतों की लगने वाली भीड़ के बाद भी गृहस्थी भक्तों को भी स्नान का मुका मिले।
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उन्होंने कारीगरों को बुलवाया और कम शुरू करवा दिया। एक दिन जब खुदाई चल रही थी तब कारीगरों को एक पत्थर मिला। उस पत्थर को तोड़ने के लिए जब कारीगर ने कुल्हाड़ी मारी तो पत्थर में से खून निकलने लगा। कारीगर डर गए और उन्हें श्री रघुनाथ जी को बुलाकर सारी बात बताई।
इसके बाद, श्री रघुनाथ जी ने कुएं की खुदाई का काम रुकवा दिया। जिस दिन यह घटना घटी उसी दिन श्री कृष्ण रघुनाथ जी के सपने में आए और उन्हें बताया कि वह पत्थर कोई सामान्य पत्थर नहीं बल्कि गोवर्धन महाराज की जीभ है और चूंकि गोवर्धन एवं कृष्ण में कोई फर्क नहीं है।

ऐसे में वह जीभ श्री कृष्ण की ही हुई। नींद से रघुनाथ जी जागे और कारीगरों को बुलवाकर राधा कुंड के पास उसी स्थान पर उस पत्थर यानी कि श्री कृष्ण की जीभ के लिए मंदिर का निर्माण करवाया और रात में ही जीभ को साफ कर उसे मंदिर में स्थापित किया। साथ में कुएं का काम भी उसी रात पूरा करवाया।
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इस मंदिर का नाम गिरिराज जिव्हा मंदिर है जो राधा कुंड के पास मौजूद है। ऐसा माना जाता है कि जो भी कोई इस मंदिर में श्री कृष्ण की जीभ के दर्शन कर लेता है और कुएं के जल को पीता है उसे वाणी दोष जैसे कि हकलाना, तुतलाना आदि से छुटकारा मिल जाता है।
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