
20 नवंबर 2025 का दिन मार्गशीर्ष अमावस्या के कारण बहुत खास है जिसे 'पितरों की अमावस्या' भी कहा जाता है। इस दिन मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि रहेगी जो दोपहर लगभग 12:17 बजे तक रहेगी, इसलिए इस दिन स्नान-दान करना और पितरों के लिए तर्पण करना बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह गुरुवार का दिन है और ज्योतिष के अनुसार इस दिन चतुर्ग्रही योग और कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है जिससे यह दिन पूजा-पाठ, धार्मिक कार्यों और दान-पुण्य के लिए अत्यंत फलदायी रहेगा। ऐसे में आइये जानते हैं एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी से आज का पंचांग।
| तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
| मार्गशीर्ष अमावस्या (दोपहर 12:17 बजे तक)/शुक्ल प्रतिपदा | विशाखा | गुरुवार | शोभन | चतुष्पाद/नाग |

| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 06:48 बजे |
| सूर्यास्त | शाम 05:26 बजे |
| चंद्रोदय | नहीं |
| चंद्रास्त | नहीं |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| ब्रह्म मुहूर्त (स्नान के लिए) | सुबह 05:03 बजे से सुबह 05:55 बजे तक |
| अभिजीत मुहूर्त | दोपहर 11:45 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक |
| गोधुली मुहूर्त (दान के लिए) | शाम 05:24 बजे से शाम 05:51 बजे तक |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 01:54 बजे से दोपहर 02:37 बजे तक |
| सायाह्न संध्या (पीपल के पेड़ की पूजा के लिए) | शाम 05:26 बजे से शाम 06:46 बजे तक |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| राहु काल | दोपहर 01:27 बजे से दोपहर 02:46 बजे तक |
| गुलिक काल | सुबह 09:27 बजे से सुबह 10:47 बजे तक |
| यमगंड | सुबह 06:48 बजे से सुबह 08:07 बजे तक |
| दुर्मुहूर्त (पहला भाग) | सुबह 10:19 बजे से सुबह 11:02 बजे तक |
| दुर्मुहूर्त (दूसरा भाग) | दोपहर 02:37 बजे से दोपहर 03:20 बजे तक |

आज के दिन का मुख्य धार्मिक महत्व मार्गशीर्ष अमावस्या के रूप में है। इसे पितृ अमावस्या या दर्श अमावस्या भी कहा जाता है जिसके कारण यह दिन पितरों के लिए समर्पित होता है और इस दिन श्राद्ध कर्म, तर्पण, स्नान-दान और गरीब-जरूरतमंदों को भोजन कराना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
आज के दिन पितरों को प्रसन्न करने और दोषों को शांत करने के लिए उपाय करना अत्यंत फलदायी होता है। इसके लिए आपको सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए, फिर पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए और संभव हो तो किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन या दान अवश्य देना चाहिए। इसके अलावा, दुर्भाग्य को दूर करने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना भी बहुत शुभ माना जाता है।
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