बदलता मौसम कई बीमारियों की वजह बनता है। खासकर बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों को बदलते मौसम में ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है। मौसम में होने वाले बदलाव, अस्थमा के मरीजों के लिए काफी असुविधाजनक होते हैं। अस्थमा पेशेंट्स को सीजनल चेंज के दौरान कई दिक्कतें हो सकती हैं। सुबह-शाम के वक्त अचानक से ठंड का बढ़ जाना या फिर तापमान में होने वाले उतार-चढ़ाव की वजह से अस्थमा पेशेंट्स को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। चाहे गर्मियों के दौरान धूल, प्रदूषण की बात हो, बसंत के समय एलर्जी बढ़ने का खतरा हो , सर्दी या बारिश के वक्त तापमान में गिरावट हो, इन सभी से सांस की नली में दिक्कत हो सकती है और घरघराहट या फिर सांस फूलने की समस्या हो सकती है। आज के इस आर्टिकल में जानते हैं कि मौसम में होने वाले बदलावों के वक्त, अस्थमा के मरीजों के लिए इनहेलर क्यों जरूरी है? ये जानकारी हमें डॉक्टर विक्रम जग्गी, पल्मोनोलॉजिस्ट, MD,DNB दे रहे हैं। डॉक्टर विक्रम जग्गी, अस्थमा चेस्ट एलर्जी सेंटर, दिल्ली और गुरुग्राम के फाउंडर व डायरेक्टर हैं।
मौसम के बदलावों का अस्थमा से संबंध
अस्थमा फेफड़ों में जाने वाले वायुमार्ग की एक सूजन संबधी बीमारी है। यह एक क्रोनिक इंफ्लेमेटरी कंडीशन है। जिसकी वजह से हमारे फेफड़ों में जाने वाले वायुमार्ग में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से ये अधिक संवेदनशील हो जाते हैं और जब ये किसी ऐसी चीज के संपर्क में आते हैं जिससे एलर्जी(स्किन एलर्जी के घरेलू उपाय) हो सकती है तो जल्दी रिएक्ट करते हैं। जब मौसम में बदलाव होता है, किसी भी नए सीजन की शुरुआत होती है तो एलर्जी फैलाने वाले ऐसे कई कण वातावरण में मौजूद होते हैं और हमारा श्वसन तंत्र जब इनके संपर्क में आता है तो इससे वायुमार्ग की मांसपेशियों में ऐंठन आ जाती है। जिसकी वजह से इनसे हवा का गुजरना और अधिक कठिन हो जाता है। मौसम के बदलाव की स्थिति में अस्थमा के लक्षणों का बढ़ना बहुत आम है।
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बदलते मौसम के दौरान अस्थमा पेशेंट्स के लिए इनहेलर्स का महत्व
सबसे पहले तो आपको जिन चीजों से एलर्जी हो रही है या फिर जिन वजहों से आपके लक्षण ट्रिगर होते हैं, उन्हें पहचानें और उनसे दूर रहें। डॉक्टर से नियमित सलाह लें। अगर आपको अपने लक्षणों में किसी तरह का बदलाव महसूस हो रहा है तो डॉक्टर को जरूर बताएं। इनहेलेशन थेरेपी, अस्थमा जैसी श्वसन समस्याओं के लिए काफी प्रभावी और कारगर है। इसकी कई वजहें हैं। जैसे कि-
- नॉर्मल दवाइयों की तुलना में इनहेलर से मेडिसिन की सही मात्रा सीधे फेफड़ों तक पहुंचती है। जिससे तुरंत राहत मिलती है।
- इससे साइड इफेक्ट के चांसेज भी कम होते हैं।
- अगर आप डॉक्टर के कहे अनुसार इनहेलर का इस्तेमाल करेंगे तो अस्थमा के लक्षण कंट्रोल होंगे और अचानक से अस्थमा अटैक आने की संभावना भी घट जाएगी।
- इनहेलर सभी एज ग्रुप वाले लोगों के लिए डॉक्टर के बताए निर्देशानुसार कारगर है। बच्चों के लिए इनहेलर के साथ स्पेसर डिवाइस इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
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इन बातों का भी रखें ख्याल
अगर अस्थमा के पेशेंट्स डॉक्टर के बताए ट्रीटमेंट प्लान को सही तरीके से फॉलो करेंगे तो उनके लिए सीजनल बदलावों में खुद को ढालना आसान होगा। हालांकि कुछ और भी ऐसी बातें हैं जिनका ध्यान रखना बहुत जरूरी है। जैसे कि-
- घर पर एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करना
- अपने हाथों को साफ रखना और उन्हें चेहरे से दूर रखना
- घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनना
- ज्यादा प्रदूषित जगहों पर ना जाना
- श्वसन एक्सरसाइज का अभ्यास करना
अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है तो हमें आर्टिकल के नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
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