हमारी जान पहचान में ऐसा कोई ना कोई व्यक्ति जरूर निकल आता है जो किसी टॉक्सिक रिलेशनशिप में हो, लेकिन उसे वही टॉक्सिक रिलेशनशिप अच्छी लग रही हो। लड़कियों के साथ यह अधिकतर होता है, अगर मैं अपनी ही बात करूं, तो मेरे फ्रेंड सर्कल में भी ऐसी कई लड़कियां हैं जिन्हें टॉक्सिक मैस्कुलिनिटी बहुत पसंद है। फिल्मी कहानियों को देखें तो अधिकतर हिरोइन साधारण, भोली-भाली, सबका ख्याल रखने वाली नरम दिल लड़की दिखाई जाती है और हीरो एक माचौ मैन की एक ऐसी छवि लिए रहता है जहां उसका फिजिकल और वर्बल एब्यूज भी ग्लोरिफाई किया जाता है।
यह समस्या सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित नहीं है। असल जिंदगी में भी हमने ऐसा देखा है। पर ऐसा होता क्यों है? समस्या किस तरह से शुरू होती है। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट की सीनियर चाइल्ड और क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और हैप्पीनेस स्टूडियो की फाउंडर और रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉक्टर भावना बर्मी ने इस बारे में हमसे बात की है। डॉक्टर भावना लंबे समय से अलग-अलग लोगों की रिलेशनशिप्स को स्टडी कर रही हैं। रिलेशनशिप हम किस तरह से बनाते हैं उसका कारण हमारी साइकोलॉजी से जुड़ा होता है।
अंग्रेजी में girls always like bad boys जैसी कहावत मशहूर है। अगर इन्हें किसी डेफिनेशन में बांधा जाए, तो हम पाएंगे कि ऐसे पुरुष जो बोल्ड होते हैं, मैस्कुलिनिटी की जगह टॉक्सिक मैस्कुलिनिटी दिखाते हैं, अपनी सेक्सुएलिटी को लेकर जरूरत से ज्यादा कॉन्फिडेंट रहते हैं, बागी होते हैं, इमोशनली उपलब्ध नहीं होते हैं। ऐसे ही कई गुण उनमें मिल जाएंगे। 'Social Psychology of Attraction and Romantic Relationships' की ऑथर और पीएचडी प्रोफेसर मैडलीन ए फुगेरे ने तो अपनी किताब में यही लिखा है।
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इसके बारे में डॉक्टर भावना बर्मी ने विस्तार से हमें बताया। उनका कहना है कि महिलाएं अधिकतर ऐसे लड़कों की तरफ अट्रैक्ट होती हैं जिनकी पर्सनैलिटी में व्यवहारिक गुण कम होते हैं। उन्हें अपनी गलती की माफी मांगना नहीं आता और उनके व्यवहार में क्या गलती है इसके बारे में उन्हें पता नहीं होता। इसका एक कारण ह्यूमन साइकी भी हो सकती है। हमें वही चीज चाहिए होती है जिसे पाना आसान नहीं होता है। इस तरह के लड़के पजेसिव होते हैं जो थोड़ा स्पेशल फील करवाते हैं। कुछ मामलों में उनकी सेक्सुअल अपील भी ज्यादा होती है। (एक्सपर्ट से जानें कलर साइकोलॉजी)
डॉक्टर भावना के अनुसार, "ग्रे कैरेक्टर वाले लड़के अधिकतर रिलेशनशिप में एक तरह का रोमांच और उत्साह लेकर आते हैं। महिलाएं उस प्यार की आदी हो जाती हैं। जब उनका पार्टनर अच्छे मूड में है तब उन्हें रिवॉर्ड का अहसास होता है। रिश्ते में यही अनिश्चितता उन्हें एक्साइट करती है।"
"महिलाएं अधिकतर एक तरह का फ्रीडम खोजती हैं जो उन्हें इस तरह की पर्सनैलिटी वाले लड़कों से मिलता है। इस तरह के लड़के हमेशा कॉन्फिडेंट रहते हैं और इसलिए उनकी सेल्फ एस्टीम भी ज्यादा बढ़ती है।"
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डॉक्टर भावना का कहना है कि अगर किसी लड़की की अंदरूनी भावनाएं किसी कारण से बाहर नहीं आ पाती हैं या उसे कोई प्रेशर फील होता है, तो वो बैड ब्वॉयज की तरफ आकर्षित होती है। ऐसे में लड़की अपने अंदर के बागी को बाहर लाती है। रेबेल या विद्रोही जैसे लक्षण अधिकतर बचपन की किसी दबी हुई भावना के कारण बाहर आते हैं। महिलाओं को बचपन से ही आज्ञाकारी और सहमत होने के लिए ट्रेन किया जाता है। ऐसे में मन में इस तरह की भावनाएं आ जाना आम है। महिलाएं अपने मन में ऐसी इच्छा रखने लगती हैं कि उनकी जिंदगी में भी कोई ऐसा व्यक्ति हो जो डटकर दुनिया का सामना कर सके।
यही कारण है कि अधिकतर महिलाएं ग्रे शेड वाले लड़कों की तरफ आकर्षित होती हैं। रिलेशनशिप में रेड फ्लैग्स देखने के प्रथा शायद इसी कारण शुरू हुई। मजाक में कई बार ऐसे बोल दिया जाता है कि अच्छे लड़के तो हमेशा फ्रेंड जोन हो जाते हैं। शायद उसके पीछे यही कारण हो। आपकी इस मामले में क्या राय है? हमें इसके बारे में कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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