
Tripindi shradh on sarva pitru amavasya: हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह की अमावस्या तिथि को सर्व पितृ अमावस्या है। इस दिन पितरों का श्राद्ध करना बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। जिनकी मृत्यु अमावस्या तिथि, पूर्णिमा और चतुर्दशी तिथि के दिन हुई हो।
उनका श्राद्ध मुख्य रूप से करना चाहिए। जिस भी पितृ का श्राद्ध नहीं किया जाता है, उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती है। यही कारण है कि पूरे साल में 15 दिन पूर्वजों के श्राद्ध के लिए समर्पित है। वैसे तो पितरों की आत्मा की शांति के लिए कई तरह के श्राद्ध किए जाते हैं। जिसमें से एक त्रिपिंडी श्राद्ध भी शामिल है। इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन त्रिपिंडी श्राद्ध कब किया जाता है, नियम क्या है और इसका महत्व क्या है।

शास्त्रों के अनुसार त्रिपिंडी श्राद्ध का मतलब होता है, हमारे द्वारा तीन पीढ़ियों का अपने पितरों का पिंडदान करना है। त्रिपिंडी श्राद्ध में ब्रह्मा, विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) और शिव जी की प्रतिमाओं का पूरे विधि-विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि परिवार में अगर किसी पूर्वज का आत्मा संतुष्ट नहीं है, तो उनके वंशजों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ जाती है। ऐसे में इन आत्माओं को शांत करने के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है, ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो।
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ज्योतिषी के हिसाब से जिस भी व्यक्ति का निधन युवा अवस्था में हो जाता है और अगर उनके सभी अनुष्ठान विधिवत नहीं होते हैं, तो तीन पीढ़ी से पहले के पूर्वजों की आत्मा को शांत करने के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है। अगर जिस भी व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष है, तो उसे भी त्रिपिंडी श्राद्ध जरूर करना चाहिए।
त्रिपिंडी श्राद्ध (श्राद्ध नियम) करते समय किसी का नाम और पितरों के गोत्र का उच्चारण नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को इस बात का ज्ञात नहीं होता है कि वह किस पूर्वज के श्राप से पीड़ित हैं और वह किस पूर्वज को मोक्ष कराना चाहते हैं। परिवार का कोई भी सदस्य त्रिपिंडी श्राद्ध कर सकता है, लेकिन महिलाएं त्रिपिंडी श्राद्ध नहीं कर सकती हैं। इन बातों का विशेष ध्यान रखें।
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जिस भी व्यक्ति के कुंडली में पितृदोष है, उन्हें त्रिपिंडी श्राद्ध जरूर करना चाहिए। इससे दोष से छुटकारा मिल सकता है। त्रिपिंडी श्राद्ध करने से तीन पीढ़ियों से पूर्व के साथ-साथ पूर्वजों को भी शांत करती है।
त्रिपिंडी श्राद्ध के बारे में विस्तार से जानें और यहां बताई गई बातों पर विशेष ध्यान दें। साथ ही अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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