
5 दिसंबर 2025 से हिन्दू पंचांग के अनुसार, एक विशेष और संक्षिप्त पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है जिसे 'छोटा पितृ पक्ष' या 'अधोमुख पितृ पक्ष' कहा जाता है और जो पौष माह में पड़ता है। यह पितृ पक्ष मुख्य अश्विन मास के श्राद्ध पक्ष से भिन्न होता है, लेकिन इसका महत्व उन पूर्वजों के श्राद्ध और तर्पण के लिए अत्यधिक है जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश छूट गया हो। पौष मास के कृष्ण पक्ष की विशेष तिथियों पर श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पितृ दोष से मुक्ति पाने और परिवार में खुशहाली लाने के लिए ये दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि कब से शुरू हो रहा है छोटा पितृपक्ष और किन-किन तिथियों पर पितृ तर्पण एवं श्राद्ध करें?
पौष माह के कृष्ण पक्ष की शुरुआत से ही इस छोटे पितृ पक्ष का आरंभ हो जाता है। दिसंबर 2025 में पौष मास के कृष्ण पक्ष की शुरुआत 5 दिसंबर 2025, शुक्रवार के दिन से हो चुकी है। इसी दिन पौष माह की प्रतिपदा तिथि रहेगी।

यह छोटा पितृ पक्ष पौष मास की अमावस्या तिथि तक चलता है जो कि 28 दिसंबर 2025, रविवार के दिन पड़ रही है। इस पूरे कृष्ण पक्ष के दौरान पूर्वजों के निमित्त तर्पण, दान और श्राद्ध करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
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पौष माह के कृष्ण पक्ष की सभी तिथियां श्राद्ध और तर्पण के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है। यहां प्रमुख तिथियां दी गई हैं जिन पर आप श्राद्ध और तर्पण कर सकते हैं।
| तिथि और वार | अंग्रेजी तिथि | महत्व |
| पौष कृष्ण तृतीया, रविवार | 7 दिसंबर 2025 | रविवार का दिन सूर्य देव का होता है और रविवार के दिन पितृ तर्पण एवं श्राद्ध से पितरों को पिशाच योनी से मुक्ति मिलती है। |
पौष कृष्ण चतुर्थी, सोमवार |
8 दिसंबर 2025 | चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है और इस माह की हतुर्थी तिथि पर पितृ तर्पण से पितरों की अतृप्त आत्मा को मोक्ष मिल जाता है। |
| पौष कृष्ण पंचमी, मंगलवार | 9 दिसंबर 2025 | पौष कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि के दिन पितरों के लिए स्वर्ग का द्वार खुलता है। एस एमें इस तिथि पर तर्पण या श्राद्ध करना उत्तम सिद्ध होगा। |
पौष कृष्ण नवमी, शनिवार |
13 दिसंबर 2025 | इसे मातृ नवमी भी कहते हैं। इस दिन माता और परिवार की अन्य विवाहित महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है जिससे उन्हें मुक्ति मिलती है। |
पौष कृष्ण एकादशी, सोमवार |
15 दिसंबर 2025 | एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है और भगवान विष्णु पितरों के देवता हैं। ऐसे में इस दिन तर्पण और श्राद्ध करने से पितरों को विष्णु कृपा मिलती है और पितृ दोष भी दूर होता है। |
पौष अमावस्या, रविवार |
28 दिसंबर 2025 | यह पौष अमावस्या या पितृ विसर्जनी अमावस्या है। इस दिन पितृ तर्पण और श्राद्ध करने से न सिर्फ पितृ प्रसन्न होते हैं बल्कि उनकी कृपा भी मिलती है और पितृ दोष दूर होता है। |
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पौष मास के कृष्ण पक्ष के दौरान रोज़ाना सुबह स्नान करने के बाद पितरों के लिए जल तर्पण करना सबसे सरल और महत्वपूर्ण उपाय है। एक तांबे के लोटे में गंगाजल या सादा जल, काले तिल और थोड़ी सी कच्ची दूध मिलाकर लें। इसे दक्षिण दिशा की ओर मुख करके सीधे हाथ के अंगूठे और तर्जनी के बीच से धीरे-धीरे गिराते हुए अपने पितरों का नाम लें और उनसे आशीर्वाद मांगें। तर्पण के बाद किसी गरीब या ज़रूरतमंद व्यक्ति को भोजन, वस्त्र, या अनाज का दान करना चाहिए। दान देने से पितर तृप्त होते हैं और प्रसन्न होकर घर परिवार को आशीर्वाद देते हैं।

पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि माना जाता है कि इसमें सभी देवी-देवताओं और पितरों का वास होता है। शनिवार या किसी भी दिन शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके अलावा, घर में लगी तुलसी को रोज़ाना जल चढ़ाएं और उसकी परिक्रमा करें। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पितृदोष शांत होता है।
पितृ पक्ष के दौरान गाय, कुत्ता और कौवे को भोजन कराना एक आवश्यक कर्म माना जाता है। भोजन बनाते समय पहली रोटी गाय के लिए, एक हिस्सा कुत्ते के लिए और एक हिस्सा कौवे के लिए निकालें। कौवों को भोजन खिलाने से पितरों को भोजन पहुंचता है क्योंकि उन्हें पितरों का रूप माना जाता है। गाय को भोजन कराने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
यदि आप किसी विशेष तिथि पर श्राद्ध या तर्पण नहीं कर पा रहे हैं, तो रोज़ाना पितृ पक्ष के दौरान 'ॐ पितृगणाय विद्महे जगद्धारिणे धीमहि तन्नो पितृः प्रचोदयात्' का 108 बार जाप करें। यह मंत्र पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करता है और आपकी ओर से उन्हें सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करता है। जाप के साथ ही, अपनी गलती के लिए क्षमा याचना करें और उनसे आशीर्वाद मांगें।
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