
अमावस्या वह दिन है जब चंद्रमा पूरी तरह से अदृश्य रहता है और रात के समय घोर अंधकार होता है जो हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है जिस कारण लोग इस दिन स्नान, दान, तर्पण और श्राद्ध जैसे कार्य करके अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके अलावा, अमावस्या को काली, लक्ष्मी और भैरव जैसी शक्तियों की पूजा के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है और यह दिन आध्यात्मिक अनुष्ठानों, तपस्या और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति पाने के उपायों के लिए शुभ माना जाता है। हालांकि नए कार्य शुरू करने के लिए यह तिथि अशुभ मानी जाती है। आइये जानते हैं वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि साल 2026 में कब-कब पड़ेगी अमावस्या?
यूं तो साल 2026 में 13 महीने पड़ रहे हैं क्योंकि इस साल अधिक मास का योग बन रहा है, लेकिन अमावस्या तिथियां 12 ही रहेंगी क्योंकि एक अमावस्या खाली जा रही है।
| माह | तिथि | दिन | अमावस्या का नाम |
| जनवरी | 18 जनवरी | रविवार | माघ अमावस्या (मौनी अमावस्या) |
| फरवरी | 17 फरवरी | मंगलवार | फाल्गुन अमावस्या (भौमवती अमावस्या) |
| मार्च | 19 मार्च | गुरुवार | चैत्र अमावस्या (हिन्दू नववर्ष से पहले की अमावस्या) |
| अप्रैल | 17 अप्रैल | शुक्रवार | वैशाख अमावस्या |
| मई | 16 मई | शनिवार | ज्येष्ठ अमावस्या (शनि अमावस्या) |
| जून | 15 जून | सोमवार | ज्येष्ठ अधिक अमावस्या (सोमवती अमावस्या) |
| जुलाई | 14 जुलाई | मंगलवार | आषाढ़ अमावस्या |
| अगस्त | 12 अगस्त | बुधवार | श्रावण अमावस्या (हरियाली अमावस्या) |
| सितंबर | 11 सितंबर | शुक्रवार | भाद्रपद अमावस्या |
| अक्टूबर | 10 अक्टूबर | शनिवार | अश्विन अमावस्या (सर्व पितृ अमावस्या) |
| नवंबर | 09 नवंबर | सोमवार | कार्तिक अमावस्या (दीपावली) |
| दिसंबर | 08 दिसंबर | मंगलवार | मार्गशीर्ष अमावस्या |
मौनी अमावस्या (18 जनवरी): माघ माह की अमावस्या को अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन मौन रहकर स्नान और दान करने का विधान है।
शनि अमावस्या (16 मई और 10 अक्टूबर): जब अमावस्या शनिवार को पड़ती है, तो इसे शनि अमावस्या कहते हैं। यह शनि देव की पूजा और साढ़ेसाती या ढैय्या के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए बहुत शुभ मानी जाती है।
सोमवती अमावस्या (15 जून और 09 नवंबर): जब अमावस्या सोमवार को पड़ती है, तो इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस दिन विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।
सर्व पितृ अमावस्या (10 अक्टूबर): यह आश्विन मास की अमावस्या होती है, जिसे पितृ पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है। इस दिन सभी अज्ञात और ज्ञात पितरों का श्राद्ध किया जाता है।
दीपावली (09 नवंबर): कार्तिक माह की अमावस्या के दिन महालक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है।
अमावस्या का सबसे महत्वपूर्ण उपाय पितरों को प्रसन्न करना है। इस दिन पवित्र नदियों, तालाबों या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों का तर्पण (जल अर्पित करना) करना चाहिए।

तर्पण के जल में काले तिल, कच्चा दूध और फूल मिलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, गाय के गोबर के उपले पर दूध, चावल की खीर का भोग लगाकर पितरों को अर्पित करना चाहिए, इससे पितर प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, वस्त्र, जूते-चप्पल, कंबल या तिल का दान करना चाहिए। किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
ज्योतिष के अनुसार, गुप्त दान (बिना किसी को बताए दान) करने से इसका फल कई गुना अधिक मिलता है और जीवन में आने वाली कई बाधाएं दूर होती हैं। दान करने से नवग्रहों की अशुभता भी कम होती है और कुंडली में मौजूद दोषों का निवारण होता है।
यह दिन पीपल के पेड़ की पूजा के लिए भी विशेष माना जाता है। अमावस्या की शाम को पीपल के पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और उसकी तीन या सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
साथ ही, घर की दक्षिण दिशा में भी तिल के तेल या सरसों के तेल का एक दीपक जलाना चाहिए। दक्षिण दिशा यमराज और पितरों की दिशा मानी जाती है, इसलिए इस दिशा में दीपक जलाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका मार्ग प्रकाशित होता है, जिससे घर पर उनकी कृपा बनी रहती है।
धन की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी अमावस्या की रात को कुछ उपाय किए जाते हैं। अमावस्या की शाम को घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए।
इस दीपक में रुई की बत्ती की जगह लाल रंग के धागे का उपयोग करें और थोड़ी सी केसर डाल दें। यह उपाय महालक्ष्मी को प्रसन्न करता है और घर में धन आगमन के योग बनाता है। इसके अलावा, रात में 5 लाल फूल और पाँच जलते हुए दीपक किसी बहती हुई नदी या जल में प्रवाहित करने से भी धन लाभ होता है।
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