
पौष माह की अमावस्या को हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व दिया जाता है क्योंकि यह तिथि न केवल पितरों को समर्पित है बल्कि इस दौरान सूर्य देव की पूजा भी अत्यधिक फलदायी मानी जाती है। पौष अमावस्या के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और अपने दिवंगत पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान जैसे कार्य करते हैं जिससे पितृ दोष समाप्त होता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इसके अतिरिक्त, इस दिन सूर्य की उपासना करने से व्यक्ति को आरोग्य, तेज और बल की प्राप्ति होती है। इसलिए यह तिथि पितृ कार्य और सूर्य आराधना दोनों के लिए उत्तम मानी जाती है। इस साल पौष अमावस्या 19 दिसंबर की पड़ रही है। इसी कड़ी में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि पौष अमावस्या के दिन कुछ उपाय करने से पितृ दोष से मुक्ति पाई जा सकती है। आइये जानते हैं इस उपायों के बारे में विस्तार से।
पितृ दोष दूर करने का सबसे सरल और महत्वपूर्ण उपाय है पवित्र स्नान और तर्पण। पौष अमावस्या के दिन किसी भी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें। अगर यह संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके खड़े होजाएं। अपने हाथों में जल लेकर उसमें काले तिल मिलाकर 'ॐ पितृभ्यो नमः' का जाप करते हुए धीरे-धीरे जल को धरती पर छोड़ें। इसे ही तर्पण कहते हैं। यह क्रिया करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे संतुष्ट होकर अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवताओं और पितरों का वास माना जाता है। पितृ दोष शांति के लिए पौष अमावस्या की शाम को पीपल के पेड़ के पास एक दीपक अवश्य जलाएं। दीपक में सरसों का तेल का प्रयोग करें।
इसके बाद, पीपल की कम से कम सात बार परिक्रमा करें और हाथ जोड़कर पितरों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा माँगें। यदि पीपल का पेड़ उपलब्ध न हो तो घर के पूजा स्थल पर ही अपने पितरों को याद करते हुए एक दीपक जलाएं।
दान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और कुंडली के दोष शांत होते हैं। पौष अमावस्या के दिन किसी गरीब, असहाय या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न जैसे गेहूं, चावल और गर्म वस्त्रों जैसे कंबल, शॉल आदि का दान करें।
इसके अलावा, किसी ब्राह्मण को घर बुलाकर श्रद्धापूर्वक भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें। दान हमेशा श्रद्धा और गुप्त भाव से करना चाहिए। यह उपाय आपके पितरों को सीधे सुख-शांति प्रदान करता है।

हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन गाय, कुत्ता और कौवे इन तीनों जीवों को पितरों का प्रतीक माना जाता है। अमावस्या के दिन गौ माता को हरी घास या आटे की लोई खिलाएं। कुत्ते को मीठी रोटी या बिस्किट खिलाएं।
सबसे आवश्यक, कौवों के लिए घर की छत पर या खुली जगह पर खीर या रोटी के छोटे टुकड़े रखें। कौवा भोजन ग्रहण करता है तो माना जाता है कि वह भोजन पितरों तक पहुंचता है। इन जीवों को भोजन कराने से पितृ दोष से जुड़ी समस्याएं दूर होने लगती हैं।
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पौष मास सूर्य देव का महीना माना जाता है। पौष अमावस्या पर सूर्योदय के समय तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें थोड़ा सा लाल चंदन और लाल फूल डालकर भगवान सूर्य को अर्घ्य करें। अर्घ्य देते समय 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें।
सूर्य देव प्रत्यक्ष देव हैं और उनकी उपासना करने से पितरों को सद्गति मिलती है। साथ ही, सूर्य की कृपा से व्यक्ति को तेज, आरोग्य और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है।
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Image credit: herzindagi
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