(Who Perform Shradh on pitru paksha) हिंदू धर्म में पितृपक्ष का माह पितरों को समर्पित है। इन पूरे 16 दिनों में पितृ अपने वंशज से मिलने के लिए पृथ्वी लोक पर आते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। इस दौरान पितरों काा श्राद्ध करना बेहद जरूरी माना जाता है, ताकि पितृ प्रसन्न हो और वंशज को शुभ फल की प्राप्ति हो सके।
ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति श्राद्ध नहीं करता है। उसे पितृदोष लगता है और उस व्यक्ति को जीवन में कभी सफलता नहीं मिलती है। इसलिए इस दौरान पिंडदान करना बेहद जरूरी होता है। सवाल यह है कि अगर जिस भी जातक के पुत्र नहीं हैं या फिर पुत्र यहां उपस्थित नहीं हैं। तो श्राद्ध कैसे कर सकते हैं।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि बेटे की अनुपस्थिति पर कौन श्राद्ध कर सकता है।
पितृपक्ष मे कौन कर सकता है श्राद्ध (Who Perform Shradh on pitru paksha)
- ज्योतिषी के अनुसार नरक से मुक्ति पुत्र ही दिलाता है। इसलिए पुत्र को ही श्राद्ध (श्राद्ध नियम), पिंडदान करना सबसे जरूरी माना जाता है। अगर पुत्र नहीं हैं, तो परिवार के अन्य लोग भी श्राद्ध कर सकते हैं।
- बेटे के न होने पर पत्नी के द्वारा श्राद्ध किया जा सकता है।
- अगर पत्नी भी नहीं है, तो उनके अपने कुल में जन्मे लोग भी श्राद्ध कर सकते हैं।
- बेटी का पति और नाती भी श्राद्ध कर सकता है।
- अगर बेटा, पोता या प्रपौत्र नहीं है,च तो विधवा स्त्री भी श्राद्ध कर सकती है।
- अगर बेटा गोद लिया हुआ है, तो वह भी श्राद्ध कर सकता है।
- श्राद्ध भतीजा के द्वारा भी किया जा सकता है।
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पितृपक्ष के दौरान इन बातों का रखें विशेष ध्यान ( Pitru Paksha Rules)
- जिस दिन आप श्राद्ध कर रहें हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि अपना मुख दक्षिण दिशा की ओर रखें।
- पितृपक्ष के समय कलह-क्लेश से बचना चाहिए। वरना इससे पितृ नाराज हो सकते हैं।
- पिंडदान चढ़ाने के समय ध्यान रखें कि पितरों का पिंडदान हमेशा तांबे, कांसे और चांदी के बर्तन या फिर प्लेट से ही करें। यह शुभ होता है।
- श्राद्ध करने के बाद ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन जरूर कराएं और दान अवश्य दें। इससे पितृ तृप्त हो सकते हैं और उनके आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में कोई परेशानी नहीं आती है।
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- विष्णु पुराण के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा भाव से श्राद्ध करता है, उससे पितृगण के साथ-साथ सभी देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं और उसे कभी किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही उस व्यक्ति को मरने के बाद मोक्ष (मोक्ष प्राप्त उपाय) की प्राप्ति भी होती है।
इस लेख में विस्तार से जानें कि पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध कौन-कौन कर सकता है और अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।
- विष्णु पुराण के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा भाव से श्राद्ध करता है, उससे पितृगण के साथ-साथ सभी देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं और उसे कभी किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही उस व्यक्ति को मरने के बाद मोक्ष (मोक्ष प्राप्त उपाय) की प्राप्ति भी होती है।
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Image Credit: Freepik
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