पीरियड्स को लेकर ना जाने कितनी बातें कही और सुनी जाती हैं। भारत में तो पीरियड्स को लेकर जितने लोग उतनी तरह की बातें। आपकी दादी-नानी के भी पीरियड्स को लेकर अलग तरह के नियम होते होंगे जिनमें अचार नहीं छूना, पानी के पास नहीं जाना, बाल नहीं कटवाना जैसे कई सारे नियम बताए गए होंगे। यकीनन अगर साइंस को देखें तो इस तरह के नियम बड़े अजीब लगते हैं क्योंकि हम लॉजिकल सोचते हैं। आपके पीरियड्स को लेकर जितने ज्यादा मिथक मौजूद हैं उतने शायद ही किसी और चीज़ के लिए होते हों।
पीरियड्स की समस्याएं भी बहुत होती हैं। अब खुद ही सोचिए क्रैम्प्स और पीठ दर्द के बीच, हार्मोन्स के उतार-चढ़ाव के समय अगर आपसे कोई कहे कि नहीं जी आप एक जगह अलग होकर बैठ जाएं तो बुरा तो लगेगा ही। अब भी भारत में कई जगहों पर ऐसे रिवाज माने जाते हैं और छोटी लड़कियों को भी पीरियड्स के समय जमीन पर बिस्तर से अलग सोने और खाने-पीने की चीज़ों को ना छूने को कहा जाता है। पीरियड्स को हिंदू धर्म में अशुद्ध माना जाता है। पर ऐसा क्यों? इसका जवाब तो शास्त्रों में कई कहानियों के जरिए मिलेगा और उसके बारे में फिर कभी बात करेंगे, लेकिन आज हम विज्ञान की बात करते हैं।
विज्ञान मानता है कि पीरियड्स एक नेचुरल चीज़ है जिससे आपके डेली रूटीन में कोई फर्क नहीं पड़ता है।
पीरियड्स को लेकर कई मिथक हैं जिन्हें विज्ञान अलग तरह से देखता है और ऐसे ही एक मिथक के बारे में हम बात करते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि पीरियड्स के समय बाल नहीं कटवाने चाहिए। मिथक है कि पीरियड्स के दौरान बाल कटवाने से अशुभ होता है। पर क्या वाकई इसका कोई वैज्ञानिक तर्क भी है?
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देखिए इसे लेकर अगर आप किसी भी डॉक्टर से पूछेंगे तो उनका जवाब होगा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है आप कभी भी बाल कटवा सकती हैं। अधिकतर लोगों की यही राय होगी। रिसर्च कहती है कि इसका संबंध हमारे हार्मोन्स से हैं जो पीरियड्स के दौरान ऊपर-नीचे हो जाते हैं।
ह्यूमन बॉडी के बदलावों की बात करें तो पीरियड्स के दौरान हमारे शरीर के एस्ट्रोजन लेवल में बदलाव होता है और ये काफी तेज़ी से गिर जाता है। ये फैक्ट है जिसके बारे में सभी को पता है, लेकिन एस्ट्रोजन का असर हेयर लॉस से होता है ये भी फैक्ट है। यही कारण है कि गिरते हुए एस्ट्रोजन के कारण प्रेग्नेंसी के बाद और मेनोपॉज के समय हेयर लॉस ज्यादा होता है। अब ऐसे समय में अगर आप कोई हेयर ट्रीटमेंट करवाएंगी तो हो सकता है कि नॉर्मल से ज्यादा हेयर लॉस हो।
इसके अलावा, और कोई भी कारण नहीं होता है कि आप पीरियड्स के दौरान बाल ना कटवाएं। ये बस शरीर का रूटीन हिस्सा होता है और पीरियड्स के दौरान हेयर लॉस वैसे भी थोड़ा ज्यादा होने लगता है। बालों और स्किन में हार्मोनल बदलाव के अलावा और कुछ नहीं होता। ये भी बॉडी टू बॉडी बदलता है तो हो सकता है कि कुछ महिलाओं को इससे परेशानी ना भी हो।
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अब यहां पर साइंस बॉडी सेंसिटिविटी से जुड़ी होती है। हमारा शरीर इस दौरान पहले से ही दर्द में होता है। हार्मोनल बदलाव बॉडी को थोड़ा और सेंसिटिव बना देते हैं। इस कारण अगर आप वैक्सिंग जैसी कोई चीज़ करवाती हैं तो बॉडी का रिएक्शन दर्द के प्रति ज्यादा होता है। पीरियड्स के दौरान थोड़ा ज्यादा डिस्कंफर्ट भी हो सकता है क्योंकि वैक्स पुलिंग के दौरान आपकी स्किन खिंचती है। इसलिए अधिकतर महिलाएं इस दौरान वैक्सिंग अवॉइड करती हैं।
अब आपको साइंस के हिसाब से भी ये पता चल गया है कि पीरियड्स और बालों का क्या लॉजिक है। ऐसा ही कोई और सवाल अगर आपके दिमाग में है तो हमें जरूर बताएं। कमेंट बॉक्स में अपना सवाल लिखकर भेजें और हम अपनी स्टोरीज के जरिए उसे हल करने की कोशिश करेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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