सावन के महीने में शिव पूजन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पूरे महीने में शिव मंत्रों का जाप और कई अलग तरीकों से पूजन करना फलदायी माना जाता है। इस साल सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू हो चुका है और सावन के इस पावन महीने में शिव मंदिरों पर भक्तों की भीड़ लग जाती है। लोग शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
ऐसे में कुछ ऐसे विशेष मंत्र होते हैं जो आपको विशेष फलों की प्राप्ति कराते हैं। इन्हीं मंत्रों में से एक है शिव तांडव स्तोत्र का पाठ। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरे सावन में इस स्तोत्र का पाठ करता है उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलने के साथ मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। आइए ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें सावन के महीने में शिवतांडव स्त्रोत का पाठ क घरने की सही विधि और महत्व।
शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने की विधि
- सावन के महीने में शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने के लिए सबसे पहले प्रातः जल्दी उठें। यदि आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें तो ज्यादा फलदायी होगा।
- स्नान करने के पश्चात साफ वस्त्र पहनें और यदि संभव हो तो शिव मंदिर जाकर जलाभिषेक करें।
- मंदिर में पूजा करते हुए शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करें और दूसरों को भी सुनाएं।
- यदि आप स्त्रोत का पाठ तीजी से करते हैं तो ये अत्यंत फलदायी माना जाता है।
- मान्यता है कि यह स्त्रोत महिलाओं को नहीं पढ़ना चाहिए और जब आप इसका पाठ करें तब ध्यान में रखें कि आपके मन में कोई द्वेष न हो।
किसने की शिव तांडव स्त्रोत की रचना
पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव तांडव स्त्रोत की रचना रावण द्वारा की गई थी। इस स्त्रोत में रावण ने 17 श्वलोकों का वाचन किया था। रावण द्वारा रचित इस स्त्रोत को शिव तांडव स्त्रोत के नाम से जाना गया।
शिव तांडव स्त्रोत के फायदे
- ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सावन के महीने में शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
- ऐसी मान्यता है कि इस स्त्रोत का पाठ करने से घर में कभी भी आर्थिक हानि नहीं होती है।
- इस स्त्रोत के जाप से करियर में सफलता के मार्ग खुलते हैं आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और हर कार्यों में सफलता मिलती है.
- शिव तांडव स्त्रोत के पाठ से शनि की ढैय्या से मुक्ति मिलती है।
क्या है शिव तांडव स्त्रोत
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥
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जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी ।
विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥
धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर-
स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।
कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि
कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥
जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-
कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।
मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥
सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-
प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।
भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः
श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः ॥5॥
ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-
निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम् ।
सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं
महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥
कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।
धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥7॥
इस प्रकार सावन के महीने में शिव तांडव स्त्रोत का पाठ जरूर करना चाहिए जिससे पापों से मुक्ति मिले और जीवन में खुशहाली आए। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के अन्य रोचक लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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