हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को विशेष रूप से फलदायी बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा की तिथि को चंद्रमा पूर्ण बली होता है और अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है इसलिए इस समय व्रत करने के से व्यक्ति को चंद्रमा का बल प्राप्त होता है साथ ही चंद्र की कृपा से व्यक्ति आर्थिक समस्याओं से भी मुक्त होता है। इस प्रकार पूर्णिमा तिथि किसी भी व्यक्ति के जीवन में बहुत ज्यादा मायने रखती है। पूर्णिमा तिथि किसी भी महीने में एक बार होती है।
इस प्रकार साल में 12 पूर्णिमा तिथियां आती हैं जिनका अपना अलग महत्व बताया गया है। ऐसी ही पूर्णिमा तिथियों में से एक है पौष महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि, जिसमें पवित्र नदी में स्नान करने के साथ दान पुण्य का भी विशेष महत्व बताया गया है। आइए प्रख्यात ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जी से जानें पौष के महीने में कब पड़ेगी पूर्णिमा तिथि और इसका क्या महत्व है।
पौष पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
- साल 2022 में पौष मास की पूर्णिमा तिथि 17 जनवरी, सोमवार को पड़ेगी।
- पौष पूर्णिमा तिथि आरंभ: 17 जनवरी, 2022, सोमवार रात्रि 3:18 मिनट से
- पौष पूर्णिमा तिथि समापन: 18 जनवरी, 2022, मंगलवार प्रातः 5:17 मिनट तक
- चूंकि उदया तिथि में पौष पूर्णिमा 17 जनवरी को है इसलिए इसी दिन व्रत पूजन फलदायी होगा।
पवित्र स्नान का है विशेष महत्व
पौष पूर्णिमा के दिन गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्त्व है। इसी वजह से लोग वाराणसी के गंगा घाट में स्नान या हरिद्वार में गंगा नदी में पवित्र स्नान के लिए जाते हैं। यही नहीं लोग पूर्णिमा के दिन संगम में भी पवित्र स्नान के लिए इकट्ठे होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह भी मान्यता है कि यदि आप किसी वजह से स्नान हेतु नदी में नहीं जा सकते हैं तो घर में ही स्नान के जल में थोड़ा गंगा जलमिलाकर स्नान करें। ऐसा करने से भी आपको पवित्र स्नान का ही फल मिलेगा। पूर्णिमा तिथि के दिन पूजा, जप, तप और दान करने का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए अपनी सामर्थ्य अनुसार गरीबों को भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान देना चाहिए।
पौष पूर्णिमा में कैसे करें व्रत और पूजन
- जिस दिन व्यक्ति पूर्णिमा का व्रत करता है उस दिन उसे प्रातः जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए।
- स्नान करके साफ़ वस्त्र धारण करें और घर के मंदिर की सफाई करें।
- मंदिर के सभी भगवानों को स्नान कराकर साफ़ वस्त्र पहनाएं और चंदन तिलक लगाएं।
- यदि आप इस दिन उपवास करते हैं तो पूरे दिन फलाहर व्रत का पालन करें और उपवास रखें।
- इस दिन सत्य नारायण की कथा सुनने का विशेष फल प्राप्त होता है।
- इसलिए घर में ही पंचामृत और पंजीरी का भोग तैयार करके सत्य नारायण की कथा करें और भोग अर्पित करें।
- विष्णु जी को भोग अर्पित करते समय भोग में तुलसी दल अवश्य रखें।
- कथा सुनने के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और विष्णु जी की आरती और हवं करके पूजन समाप्त करें।
कैसे करें पौष पूर्णिमा का दान
- पौष पूर्णिमा के दिन अपनी सामर्थ्य अनुसार किसी गरीब को दान करने का संकल्प लें।
- आप गरीबों को भोजन सामग्री, अन्न, दालें, आटा, चावल आदि का दान कर सकते हैं।
- इस दिन गुड़ का दान भी अत्यंत फलदायी माना जाता है।
- गरीबों को दान स्वरुप कंबल और कपड़े दें और उन्हें भोजन कराएं तथा दक्षिणा दें।
इस प्रकार पूर्णिमा तिथि के दिन पूजन, दान और व्रत उपवास करने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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Image Credit:freepik and unsplash
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