ऑफिस में काम करते समय कई बार स्ट्रेस इस हद तक बढ़ जाता है कि हम किस तरह व्यवहार करते हैं, इसका हमें खुद ही पता ही नहीं चलता। यह ऑफिस स्ट्रेस ना सिर्फ हमारी कार्यक्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि इसके कारण हमारा व्यवहार, सोचने की शक्ति यहां तक कि बोलने का तरीका भी बदल जाता है। कई बार तो हमें खुद पर ही गुस्सा आने लगता है या फिर तनाव के चलते रातों की नींद उड़ जाती है। यह हम सभी के साथ कभी ना कभी जरूर हुआ हो। अगर कोई प्रोजेक्ट हो, जो आपको अगले दिन देना हो और आपकी आधी तैयारी भी पूरी ना हो तो आपको कैसा लगेगा।
यकीनन आप रातभर जागकर उसे पूरा करना चाहेंगी। इसी तरह, अगर आपके पास अचानक से ढेर सारा वर्क लोड आ जाए तो स्ट्रेस होना स्वाभाविक है। इस ऑफिस स्ट्रेस में हम अपने कलीग्स के साथ ही रूखा व्यवहार करने लगते हैं या फिर छोटी-छोटी बातों पर आपा खो देते हैं। ऐसा करने से प्रोफेशनल इमेज भी डाउन होती है। उस समय हम खुद को बेहद असहाय महसूस करते हैं।
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आपने भी इस स्थिति का कभी ना कभी सामना किया होगा या फिर हो सकता है कि आप बेहद हाई लेवल ऑफिस स्ट्रेस से गुजर रही हों। इस स्थिति में परेशान होने की बजाय आपको समझदारी का परिचय देना होगा, जैसा कि इमोशनली इंटेलिजेंट लोग करते हैं। जी हां, इमोशनली इंटेलिजेंट लोगों का ऑफिस स्ट्रेस को हैंडल करने का तरीका काफी अलग होता है। तो चलिए जानते हैं इमोशनली इंटेलिजेंट लोग किस तरह करते हैं ऑफिस स्ट्रेस को हैंडल-
बोलने से पहले सोचना
अधिकतर मामलों में देखा जाता है कि जब लोगों का वर्क स्ट्रेस बढ़ जाता है तो उनकी सोचने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे लोग किसी भी बात पर तुरंत रिएक्ट कर देते हैं और बाद में उन्हें पछतावा होता है। लेकिन इमोशनली इंटेलिजेंट लोग ऑफिस स्ट्रेस को अपने उपर हावी नहीं होने देते।
वह अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल में आने वाली दिक्कतों से उपर अपनी समझ को रखते हैं। जब भी उन्हें किसी बात को लेकर तनाव होता है तो वह खुद को कूल डाउन करने के लिए थोड़ा समय लेते हैं और फिर उस सिचुएशन के बारे में सोचते हुए लॉजिकल हल ढूंढते हैं।
लिखना
सुनने में आपको शायद अजीब लगे लेकिन बहुत से प्रोफेशनल्स अपने नेगेटिव इमोशनल को चैनलाइज करने के लिए राइटिंग का सहारा लेते हैं। वह एक डायरी बनाकर उसमें अपने दिनभर की बातें लिखते हैं। साथ ही अगर किसी सिचुएशन पर उन्होंने नेगेटिव रिएक्ट किया हो तो वह यह भी लिखते हैं कि इस स्थिति में वह बेहतर क्या कर सकते थे। इससे उन्हें कई फायदे होते हैं।
सबसे पहले तो लिखने के जरिए वह अपने मन की बात को आसानी से एक्सप्रेस कर पाते हैं। जिससे उनके मन में किसी तरह का भारीपन नहीं होता। साथ ही जब वह नेगेटिव सिचुएशन के बेहतर ऑप्शन डायरी में लिखती हैं तो इससे वह अगली बार बेहतर तरीके से रिएक्ट कर पाती हैं।
ट्रिगर को पहचानना
इमोशनली इंटेलिजेंट लोगों में एक खास बात होती है कि वह अपने स्ट्रेस के ट्रिगर को पहचानते हैं। दरअसल, ऐसी कई परिस्थितियां होती हैं, जो अपने तनाव के लिए ट्रिगर का काम करती हैं। हो सकता है वह कलीग्स के कमेंट हो, वर्कलोड हो, या टीम के अन्य लोगों का काम समय पर खत्म ना करना, ऐसी कई चीजें होती हैं, जो ऑफिस स्ट्रेस की वजह बन सकती हैं।
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अक्सर हमें इसका पता नहीं होता और हम तनाव में जीते हैं, जबकि इमोशनली इंटेलिजेंट लोग उस ट्रिगर को पहचानकर उसे tackle करते हैं।
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