हरियाली तीज भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक ऐसा अनुपम पर्व है, जो प्रकृति के हरे-भरे आंचल में प्रेम और अटूट वैवाहिक संबंधों के उत्सव का प्रतीक माना जाता है। सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी कि तीज को मनाया जाता है। सावन महीने में जब चारों तरफ हरियाली का माहौल होता है तब इस पर्व का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है।
यह त्योहार मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष उल्लास लेकर आता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पति की दीर्घायु के लिए व्रत-उपवास करती हैं। सोलह श्रृंगार में मुख्य रूप से हाथों में मेहंदी लगाना और हरे रंग के पारंपरिक वस्त्र पहनना मुख्य होता है। इस साल भी सावन में हरियाली तीज की तैयारियां जोरों-शोरों पर की जा रही हैं।
ऐसे में इस बात की जानकारी होना बहुत जरूरी है कि साल 2025 में कब है हरियाली तीज का पर्व? इसका महत्व क्या है और यह कैसे अन्य तीज जैसे कजरी और हरतालिका तीज से अलग है? यही नहीं हरियाली तीज के रीति-रिवाज क्या हैं जो इसे एक खास पर्व बनाते हैं।
वास्तव में यह केवल व्रत और पूजा का दिन ही नहीं होता है बल्कि मायके और ससुराल के बीच स्नेह के सेतु की तरह काम करता है। यह दिन प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और शिव-पार्वती के अमर प्रेम की गाथा का प्रतीक है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से यहां हरियाली तीज के हर पहलू के बारे में विस्तार से जानें, जिससे इस पावन पर्व के महत्व और इसे मनाने के अनूठे तरीकों को भली-भांति समझा जा सके।
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अगर हम हरियाली तीज (Hariyali Teej Kab Hai) और अन्य तीज के अंतर की बात करें तो यह तीज दूसरों से बिल्कुल अलग होती है और इसे मनाने का तरीका भी दूसरों से अलग होता है।
जहां एक तरफ हरियाली तीज सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है वहीं कजरी तीज और हरतालिका तीज भादों महीने में मनाई जाती हैं। हरियाली तीज पर महिलाएं हरे रंग की पारंपरिक पोशाक पहनती हैं और सोलह श्रृंगार से खुद को सजाती हैं।
इस दौरान मेहंदी लगाना सबसे खास माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं बड़े ही धूमधाम से मनाती हैं और भगवान शिव के साथ माता पार्वती का पूजन भी करती यहीं हैं।
हरियाली तीज में घर के आस-पास बागीचों में झूले डाले जाते हैं और महिलाएं एक-दूसरे को झूला झुलाती हैं और अपने सुहाग की दीर्घायु के लिए व्रत करके शिव जी से प्रार्थना करती हैं। यही नहीं इस दिन कुँवारी लड़कियां भी अच्छे जीवनसाथी की कामना में उपवास रखती हैं।
तीज | तिथि |
उद्देश्य |
विशेषताएं |
हरियाली तीज |
सावन शुक्ल तृतीया |
सौभाग्य व्रत |
हरे वस्त्र, झूला, मेहंदी, सोलह श्रृंगार |
कजरी तीज |
भाद्रपद कृष्ण तृतीया |
सुख-समृद्धि की कामना |
कजरी गीत, झूला, व्रत |
हरतालिका तीज |
भाद्रपद शुक्ल तृतीया |
अविवाहित कन्याओं के लिए व्रत |
निर्जला उपवास, मिट्टी की मूर्ति |
निष्कर्ष: हरियाली तीज केवल एक व्रत नहीं बल्कि भारतीय परंपरा, स्त्री शक्ति और प्रकृति प्रेम का उत्सव माना जाता है। यह दिन जीवन में प्यार, आस्था और समर्पण का प्रतीक है। साल 2025 में यह पर्व 27 जुलाई को मनाया जाएगा, इसलिए अपनी तैयारियां समय से शुरू करें।
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