शादी तोड़ दूल्हा जाता है काशी यात्रा पर? जानें तमिल नाडु में शादी से जुड़े इस रिवाज के बारे में

  • Hema Pant
  • Editorial
  • Updated - 2023-07-31, 19:38 IST

शादी के लिए कुंडली मिलाने से लेकर दोष देखने तक, हर एक चीज का खास ध्यान रखा जाता है। इसलिए शादी को बेहद पवित्र बंधन मना जाता है। 

what is kashi yatra marriage ritual in hindi
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भारत में शादी किसी समारोह से कम नहीं होती है। बिना रिवाजों के शादी संपन्न नहीं होती है। हर राज्य में शादी से जुड़े अलग-अलग रिवाज निभाए जाते हैं। हर रस्म का खास महत्व होता है। तमिल नाडु में शादी बेहद सिंपल तरीके से होती हैं। क्या आपने काशी यात्रा के बारे में सुना होगा? यहां भी कुछ ऐसा ही होता है। दूल्हा शादी से पहले काशी यात्रा पर जाता है। क्या आप जानना चाहते हैं कि इस रिवाज में क्या होता है और कैसे निभाया जाता है, तो इस आर्टिकल को आखिर तक जरूर पढ़ें।

काशी यात्रा का महत्व

significance of kashi yatra

काशी यात्रा मनु के नियमों के चार चरणों में से एक को संदर्भित करती है। यह ब्रह्मचर्य आश्रम से उत्पन्न हुई है। इसमें बताया गया है कि कैसे एक व्यक्ति गृहस्थ जीवन में जाने से पहले अपने ज्ञान और बुद्धि को व्यापक करता है।

क्या होती है काशी यात्रा?

हालांकि, इस रिवाज ऐसा नहीं होता है। इसमें लड़के को गृहस्थ जीवन से डर लगने लगता है। ऐसे में वह सब कुछ छोड़ काशी जाने का सोचता है।

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कैसे पता चलता है कि दूल्हा काशी यात्रा पर जा रहा?

दूल्हा काशी यात्रा पर जा रहा है, इस बात का पता तब चलता है जब वह अपनी जरूरत से जुड़ा सामान पैक करने लगता है। इसमें छाता, नारियल, चावल, डंडी और धोती होती है। (मां बेटे के फेरे क्यों नहीं देखती है?)

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कैसे दूल्हे को काशी यात्रा पर जाने से रोका जाता है

जब पिता यह देखता है कि दूल्हा काशी यात्री के लिए जा रहा है, तो ऐसे में वह हस्तक्षेप करता है। पिता दूल्हे को गृहस्थ आश्रम के बारे में बताना शुरू करता है। वह बताते हैं कि मुक्ति और मोक्ष का एक जरिया गृहस्थाश्रम भी है। यही नहीं, पिता बताता है कि कैसे उनकी बेटी जीवन भर उसका साथ देगी। हर सुख-दुख का साथी बनेगी।

इसके बाद वह दूल्हे को कुछ उपहार भी देते हैं। दूल्हा गिफ्ट को स्वीकार करता है और मंडप पर जाने के लिए हामी भरता है।(चावल फेंकने की रस्म क्यों होती है?)

तमिल नाडु शादी से जुडे़ अन्य रिवाज

tamil nadu marriage ritual

  • यहां भी दूल्हा-दुल्हन की कुंडली मिलाई जाती है, ताकि पता चल जाए की जोड़े के कितने गुण मिल रहे हैं। यहां 12 गुण मिलने जरूरी हैं। इसे नक्षत्र पोर्थम कहा जाता है।
  • पंडा काल मुहूर्त में बांस की लकड़ी को दूध और पानी से साफ किया जाता है। फिर हल्दी और चंदन के पानी से भी साफ करना होता है। अब इस बांस को दरवाजे के बाहर किसी कोने में रखा जाता है।
  • सुमंगली प्रार्थनानाई भी शादी से जुड़ा एक रिवाज है। इस रस्म में 7 महिलाएं शामिल होती हैं, जिनमें से एक वह लड़की होती है, जिसे पीरियड्स नहीं हुए होते हैं।

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Image Credit: Freepik & Shutterstock

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