हिंदू धर्म में हर वर्ष भादो माह के बाद श्राद्ध आते हैं। 15 से 16 दिन मनाए जाने वाले श्राद्ध का हिंदू धर्म में बहुत महत्व होता है। इन दिनों हर घर में अपने पूरवजों को याद कर उनके नाम पर धर्म कर्म करने की परंपरा है। मगर इसके अलावा इन दिनों कौओं को बहुत महत्व दिया जाता है। गरुड़ पुराण में भी इस बात की व्याख्या मिलती हैं कि कौवे यमराज के संदेश वाहक होते हैं और श्राद्ध के दिनों में वह घर-घर जाकर खाना खाते हैं जिससे यमलोक में बैठे उनके पितृों की आत्मा को संतुष्टी मिलती है। इस बारे में पंडित दयानंद शास्त्री बताते हैं, ‘शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि कौवा पितृ-दूत होता है। इतना ही नहीं अगर श्राद्ध के दिनों में कौवा सुबह-सुबह आपके घर की मंडेर पर बैठ कर कांव-कांव करता है तो उसे भी बहुत शुभ माना जाता है।’
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पंडित जी आगे बताते हैं, ‘ श्राद्ध के समय कौओं और पीपल के पेड़ को पितृों का प्रतीक माना जाता है। इन दिनों आपको कौओं को खाना और पीपल के पेड़ को पानी पिलाया जाता है। आम दिनों में भी ऐसा कहा गया है कि कौवा अगर आंगन में कांव-कांव कर रहा होता है तो यह किसी मेहमान के आने का संकेत होता है। ऐसे में श्राद्ध में यदि आप कौओं को भोजन कराते हैं तो समझ लें कि आप अपने पूरवजों को भोजन करा रहे हैं।’
इसे जरूर पढ़ें: जानें इस बार श्राद्ध करने से कैसे मिलगी 100 तापों से मुक्तिकौओं के उपर ही ‘कागशास्त्र’ की रचना की गई है। इस शास्त्र में एक प्रसंग के अनुसार भगवान राम एवं सीता पंचवटी में एक वृक्ष के नीचे बैठे थे। भगवान राम देवी सीता के बालों में फूल लगा रहे थे और यह दृश्य देव लोग से इंद्र के पुत्र जयंत देख रहे थे। जब उनसे यह नहीं देखा गया तब उन्होंने ईर्ष्यावश कौए का रूप धारण किया और सीताजी के पैर में चोंच मार दी। तब उन्हें सजा के रूप में भगवान राम ने बाण चला कर उनकी एक आंख फाड़ दी तब से कौए को एकाक्षी कहा जाता है।साईं बाबा के इन 11 वचनों का जाप करेंगी तो दूर होगी हर समस्या
पंडित जी कौए की खासियत बताते हैं, ‘कौवा एक विस्मयकारक पक्षी है। इनमें इतनी विविधता है कि इस पर एक 'कागशास्त्र' की रचना की गई है। रामायण के एक प्रसंग के अनुसार भगवान राम एवं सीता पंचवटी में एक वृक्ष के नीचे बैठे थे। प्राचीन ग्रंथो और महाकाव्यों में कौओं से जुड़ी कई रोचक कथाएँ और मान्यताएं हैं। पुराणों के अनुसार कौवों की मौत कभी बीमारी से या वृद्ध होकर नहीं होती है। कौवे की मौत हमेशा आकस्मिक ही होती है और जब एक कौआ मरता है, तो उस दिन उस कौवे के साथी खाना नहीं खाते है। कौवे की खासियत है कि वह कभी भी अकेले भोजन नहीं करते है। वह हमेशा अपने साथी के संग मिल बांटकर ही भोजन करता है।‘16 दिनों तक मां लक्ष्मी की ऐसे करें पूजा, धन की होगी वर्षा और पूरी होगी मन्नत
जानिए कौओं को देखना होता कितना शुभ
यदि अपने घर के आसपास आपको किसी कौए की चोंच में फूल-पत्ती दिखाई दे तो समझ जाएं कि इससे मनोरथ की सिद्धि होती है।
अगर आपको किसी गाय की पीठ पर कौआ बैठा नजर आए तो समझ जाएं कि उस दिन आपको बहुत अच्छा भोजन खाने को मिलेगा।
कोई कौआ यदि आपको चोंच में सूखा तिनका दबाए दिख जाए तो उससे आपको धन लाभ होता है।
अगर आपको अपनी दाईं ओर कौआ भोजन करता हुआ दिख जाए तो इससे आपके काम में रुकावट होती है।
यदि आपको कौआ किसी घर की छत पर या पेड़ पर बैठा दिख जाए तो आपको अचानक ही धन लाभ होता है।
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