Close
चाहिए कुछ ख़ास?
Search

    Friday Special: आखिर क्यों हुआ था समुद्र मंथन? जानिए रोचक कहानी

    समुद्र मंथन के पीछे छुपी एक रोचक कहानी जिसका संबंध देवी लक्ष्‍मी से भी है, आइए जानते हैं।  
    author-profile
    Updated at - 2019-09-13,13:48 IST
    Next
    Article
    where samudra manthan took place

    हिंदू धर्म में बहुत सारी देवताओं और असुरों के युद्ध की कथाएं प्रचलित हैं। मगर, सबसे ज्यादा जिस कथा के बारे में लोग जानते हैं वह है ‘समुद्र मंथन’। समुद्र मंथन पहला ऐसा काम था जिसे देवताओं और असुरों ने मिलकर किया था। इससे पहले असुरों को देवताओं से हमेश लड़ते हुए ही देखा गया था। अधिकांश लोगों को यही पता है कि समुद्र मंथन पृथ्वी के निर्माण के लिए हुआ था। मगर, विष्णु पुराण में समुद्र मंथन की कुछ और ही कथा छुपी हुई है। समुद्र मंथन का कारण था देवी लक्ष्मी की खोज। जी हां, देवी लक्ष्मी के क्षीर सागर में विलुप होने के बाद जब उनकी तलाश की गई तब हुआ था समुद्र मंथन। आइए जानते हैं इस दिव्य घटना के बारे में। 

    इसे जरूर पढ़ें:  समुद्र मंथन से जुड़े इन 10 रोचक सवालों के दें जवाब

    samudra manthan location

    कथा के अनुसार जब बृह्मा जी ने भगवान विष्णु से पृथ्वी के निर्माण के विषय में बात की तब एक बार फिर भगवान विषणु और देवी लक्ष्मी को एक दूसरे से बिछड़ना पड़ा। उस वक्त देवी लक्ष्मी नाराज हो कर क्षीर सागर की गहराइयों में समाहित हो गई। वहीं भगवान विषणु पृथ्वी लोक को बसाने के बारे में विचार करने लगे। तब पृथ्वी के लगभग पूरे हिस्से में पानी ही पानी था।इस श्राप के कारण राधा रानी को हाथ भी नहीं लगा पाते थे उनके पति

    Recommended Video

    ऐसे में उसे बसाने के लिए बहुत सारी वस्तुओं की जरूरत थी। यह वस्तुएं क्षीर सागर में छुपे हुए थे। तब भगवान विष्णु ने तय किया कि वह समुद्र का मंथन कराएंगे। मगर, इस मंथन के लिए न तो देवता गण तैयार थे और नहीं वह इसे अकेले कर पाने में समर्थ थे। वहीं दूसरी तरफ देवी लक्ष्मी के रुष्ट होने से पूरे बृह्मांड में सभी देवता और असुर श्रीहीन हो गए थे। सभी चाहते थे कि देवी लक्ष्मी वापिस आ जाएं। 

    इसे जरूर पढ़ें:  इन सवालों के जवाब बताएं अगर आपका भी फेवरेट टीवी सीरियल है ‘राधाकृष्ण’

    story of samudra manthan in hindi

    भगवान विष्णु ने तब देवताओं को श्री का लोभ और असुरों को अमृत का लोभ दे कर समुद्र मंथन के लिए तैयार किया था। इसके बावजूद समुद्र को मथना आसान नहीं था। तब भगवान विष्णु ने अपनी माया से मंदार पर्वत को समुद्र के बीचो बीच ला खड़ा किया। इसके बाद मंदार पर्वत से समुद्र को मथने के लिए एक मजबूत रस्सी की जरूरत थी। तब भगवान विष्णु ने भगवान शिव से उनके गले में वास करने वाले नाग वासुकी को समुद्र मंथन के लिए देने के लिए आग्रह किया। इसके बाद बारी आई कि वासुकी के मुंह का हिस्सा कौन पकड़गा और पूछ का हिस्सा कौन पकड़ेगा। वासुकी के मुंह से जैहरीली हवा निकलती थी मगर वह हिस्सा मजबूत था। वहीं पूंछ का हिस्सा कमजोर था। तब असुरों ने तय किया कि वह मजबूत भाग को पकड़ेंगे। हालाकि यह भगवान विषणु की एक चाल थी। इस श्राप की वजह से नहीं हो पाया था राधा-कृष्ण का विवाह

    इसके बाद बारी आई कि मंदार पर्वत के भार को कौन उठाएगा। तब भगवान विष्णु ने कछुए का रूप धारण किया और अपनी पीठ पर मंदार पर्वत को रख लिया। तब कई वर्षों तक समुद्र मंथन का काम चलता रहा। तब जाकर सबसे पहले मंथन से हलाहल निकला। इसे भगवान शिव ने पी लिया। तब ही से उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा। इसके बाद कामधेनू गाय, उच्चैश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी,  कौस्तुभमणि हीरा, कल्पवृष पेड़ और ऐसे 13 रत्न निकले। सबसे आखिर में देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से निकलीं। जैसे ही देवी लक्षमी समुद्र से बाहर आईं सभी देवताओं के गहने और धन वापिस आ गया। भगवान कृष्‍णा से यदि आपको भी है प्रेम तो जवाब दें इन आसान से सवालों का

     
    Disclaimer

    आपकी स्किन और शरीर आपकी ही तरह अलग है। आप तक अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी लाना हमारा प्रयास है, लेकिन फिर भी किसी भी होम रेमेडी, हैक या फिटनेस टिप को ट्राई करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। किसी भी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।

    बेहतर अनुभव करने के लिए HerZindagi मोबाइल ऐप डाउनलोड करें

    Her Zindagi