रिटायरमेंट के बारे में जब भी बात होती है तो हमेशा 60 साल की उम्र के बाद का दौर याद आता है, लेकिन सही मायने में इसकी तैयारी 30 की उम्र से ही शुरू करनी चाहिए। दरअसल, भारत में अधिकतर लोगों की यही समस्या होती है कि रिटायरमेंट के समय उनकी ठीक से सेविंग्स नहीं रहती है। देखिए एक बात का ध्यान रखने की जरूरी है कि रिटायरमेंट फंड हमेशा गोल्स सेट करने के बाद ही बन पाता है। अगर आपने अभी से तैयारी शुरू नहीं की है तो रिटायरमेंट के बाद समस्या होगी।
अगर आप भी अपना रिटायरमेंट फंड प्लान करने जा रही हैं तो चलिए आपको हम बताते हैं कि कैसे आप अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग की शुरुआत कर सकती हैं।
1. सबसे पहले सेट करें गोल्स
सबसे पहले ये बात जान लें कि बिना गोल्स सेट किए आप किसी भी तरह का फंड नहीं स्टार्ट कर सकती हैं। रिटायरमेंट फंड की बात करने पर अधिकतर लोग लाख के हिसाब से प्लानिंग करते हैं कि रिटायर होने पर उनके बैंक अकाउंट में इतने लाख होने चाहिए। ये सही भी है कि आप एक बड़ा अमाउंट तैयार कर लें, लेकिन अपने मासिक खर्च का भी ख्याल रखें। आपका पूरे महीने का खर्च कितना होता है और रिटायर होने पर कितने हजार प्रति माह का खर्च हो सकता है और उस समय महंगाई कैसी होगी ये सब कुछ सोचने के बाद ही आपको अपने गोल्स सेट करने चाहिए।
आप अगर अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग इस हिसाब से कर रही हैं कि रिटायर होने के बाद आपके पास एक घर तो होना ही चाहिए तो फिर आप उस खर्च को मद्देनजर रखते हुए अपने गोल्स सेट करें।
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2. जल्दी शुरुआत करें
वैसे तो 30 की उम्र तक आपको रिटायरमेंट फंड बनाना शुरू कर देना चाहिए, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि अगर आप शुरुआत जल्दी कर सकती हैं तो उसके लिए देर करें। अपने रिटायरमेंट फंड की प्लानिंग जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी करें। बच्चों की पढ़ाई, शादी, ईएमआई, लाइफ इंश्योरेंस और लोन पेमेंट आदि को ध्यान में रखते हुए रिटायरमेंट की प्लानिंग की जाती है।
जितनी जल्दी जिम्मेदारियों के परे सेविंग्स शुरू करेंगे उतनी जल्दी ये आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।
3. पेंशन स्कीम्स का पता करें
वैसे तो सबसे लोकप्रिय नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) है, लेकिन आप अन्य कई सारी पेंशन स्कीम्स का पता लगा सकती हैं। सरकारी और प्राइवेट दोनों के मामले में अलग-अलग पेंशन स्कीम्स मौजूद है। सरकार भी बूढ़ी होती जनसंख्या के लिए अलग-अलग तरह की पेंशन स्कीम चलाने के बारे में सोच रही है।
पेंशन स्कीम्स में इन्वेस्ट करने से दो अलग फायदे हैं। पहला तो ये कि आप इससे टैक्स सेविंग कर सकती हैं। दूसरा ये कि आपका पेंशन फंड अलग से ही बनता जाएगा। जहां तक नेशनल पेंशन स्कीम की बात है तो 18 से 60 साल की उम्र तक का कोई भी भारतीय सिटीजन इसमें निवेश कर सकता है।
4. लायबिलिटी को ध्यान में रखें
सैलरी जितनी है उतना ही खर्च करना है ये जरूरी नहीं है। अधिकतर लोग आजकल लोन अपने हिसाब से ले लेते हैं और उसके कारण अपनी लायबिलिटी बढ़ाते रहते हैं। एक साथ कई सारे लोन अगर आप ले लेंगी तो उन्हें चुकाते-चुकाते सेविंग नहीं हो पाएगी।
आप अपने लिए एक टार्गेट सेट करें कि महीने में इतना कर्ज चुकाना है, उससे ज्यादा नहीं। इसी के साथ, सेविंग्स का भी टार्गेट सेट करें कि एक महीने में इतना तो सेव करना ही है।
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5. सरकारी स्कीम्स का ध्यान रखें
कई मामलों में सरकारी स्कीम्स रिटायरमेंट के लिए सबसे अच्छी साबित हो सकती हैं। इसका कारण ये है कि सरकारी स्कीम्स में सेविंग्स बॉन्ड्स के तहत होती हैं और इंटरेस्ट भी प्राइवेट के मुकाबले ज्यादा मिलता है। ये पैसा सुरक्षित है।
अगर आप एक साथ रिस्क लेकर सब कुछ म्यूचुअल फंड्स में डाल देंगी तो उसके एक साथ डूबने की गुंजाइश भी ज्यादा होगी। इसलिए ये बेहतर होगा कि आप अपने निवेश को सिलसिलेवार तरीके से करें और किसी न किसी सरकारी स्कीम में निवेश करें। आप थोड़ा पैसा सरकारी स्कीम्स में और थोड़ा प्राइवेट में भी लगा सकती हैं।
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए कोई ऐसी स्कीम ही चुनें जिसमें ज्यादा रिस्क ना हो। क्या आपने रिटायरमेंट प्लानिंग शुरू कर दी है? अपने जवाब हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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