15 साल का ये फेरा हैरी की समझ के बाहर था। उसकी समझ छोड़िए, 15 साल से जो योद्धा यहां फंसा हुआ था, उसकी समझ में भी कुछ नहीं आ रहा था। अब तक उसे भी नहीं पता था कि उसे किस कारण इस जगह पर लाया गया है। योद्धा एक बार फिर आया और उसने हैरी से पूछा, 'क्या तुम जानते हो, उस किताब के बारे में कुछ?', हैरी ने ना में सिर हिलाया और फिर कहा, 'मैं खुद नहीं समझ पा रहा हूं। उस लाइब्रेरियन ने कहा था कि किताब का एक भी पन्ना गायब हुआ, तो लाइब्रेरी माफ नहीं करेगी, लेकिन किताब तो पूरी की पूरी ठीक है। फिर क्यों...' कहकर हैरी ने जैसे ही अपने बैग में हाथ रखा, उसके होश ही उड़ गए। किताब फट कैसे गई थी? किताब के कुछ पन्ने गायब थे।
अब हैरी के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी और उसे चक्कर आ रहा था, इतने में योद्धा ने कहा, 'मेरे साथ भी यही हुआ था। मैंने कोशिश की उस किताब को ढूंढने की, लेकिन नहीं ढूंढ पाया। वो कब गायब हुई पता नहीं, लेकिन मैं उसके कारण ही इस नगरी में फंसा हूं। लाइब्रेरी के चक्कर काटता हूं, हाहाहाहा... कितने सालों बाद कोई अंग्रेजी शब्द बोला है मैंने... लाइब्रेरी...,' योद्धा ने कहा। 'लाइब्रेरी? 500 साल पहले लाइब्रेरी?', हैरी ने चौंककर पूछा। 'हां, मैं इस उम्मीद में जाता हूं कि वहां मुझे वो किताब मिल जाए और किसी तरह मुझे पता चल जाए कि 30 दिन बाद क्या होना है। बस यही एक चीज है जो मैंने अपने पहले वाले हैरी से अलग की है। मैंने उस किताब को ढूंढने की कोशिश की और वो लाइब्रेरी मुझे मिल गई। वो पुस्तकालय अभी पूरा बना नहीं है। वो हरा दरवाजा जो धूल से सना था, अभी पुस्तकालय के बाहर चमचमा रहा है। उसके अंदर कुछ एक किताबें ही हैं, लेकिन ना ही वो इंसान मिलता है जिसने चेतावनी दी थी और ना ही वो किताब,' योद्धा ने कहा।
'मैं भी वहां जाना चाहता हूं...' हैरी ने कहा। दोनों ही चल दिए नगर की ओर। हैरी पहली बार कबीले से बाहर निकल रहा था। जंगल के बीच से होते हुए वो आगे बढ़ता चला गया। इतना घना जंगल और पता नहीं क्यों उसे लगा रहा था कि पीछे से कोई उसे देख रहा है। योद्धा तो अपनी गति से चल रहा था, चल क्या रहा था जनाब मानो उड़ रहा था। हैरी को यकीन नहीं हो रहा था कि आखिर कब वो इतना तेज हो जाएगा, उसे कैसे लड़ना आएगा, पर फिर भी वह तेजी से उसके पीछे जाने की कोशिश कर रहा था। हैरी अपने पीछे धीरे-धीरे चलती हुई परछाई को देख रहा था। ये तो वही है... वो बूढ़ी जादूगरनी जिसने कील दिखाई थी। हैरी ने योद्धा को रोकने की कोशिश की, लेकिन वो आगे चला गया था।
हैरी रुका और उस जादूगरनी के पास गया, 'क्या तुमने मेरी किताब के पन्ने चुराए हैं? क्या चल रहा है कुछ तो बताओ, तुम्हें पता है ना कि आगे क्या होने वाला है, मेरे साथ और उस...उसके साथ... क्या होने वाला है?', हैरी लगभग चिल्लाते हुए पूछ रहा था। उसे नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है, लेकिन वो जानना चाहता था। 'तुम्हें इस बार इस चक्रव्यूह को तोड़ना होगा, वर्ना 30 दिन बाद ये सब कुछ फिर से शुरू हो जाएगा। तुम्हें अपनी और उसकी जान बचानी है, तुम्हें मुझे मुक्ति दिलवानी है, तुम ही हो जो 500 साल के इस फेर को तोड़ सकते हो। किताब के पन्ने, राजा के पास मिलेंगे... और...' वो जादूगरनी बोल ही रही थी कि योद्धा वहां आ गया और वो जादूगरनी गायब हो गई।
'तुम तो मुझसे भी ज्यादा धीरे चलते हो...मैं पीछे नहीं रुका था, अपने योद्धा के साथ आगे चलता रहा था,' उसने कहा। 'इसका मतलब तुम बूढ़ी जादूगरनी से नहीं मिले थे?,' हैरी ने पूछा। योद्धा हैरान था... बूढ़ी जादूगरनी से वो तो दोबारा नहीं मिला, फिर हैरी क्यों मिल रहा था। इस बार वो सब नहीं हो रहा था जो होना था, इस बार कुछ अलग ही चल रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ... पर इसका मतलब क्या है?
हैरी और योद्धा किसी तरह से पुस्तकालय पहुंचे, तो हैरी को लगा जैसे उसकी याद ताजा हो गई हो। 500 साल पहले का वो हरा दरवाजा आज उसके सामने नया बनकर खड़ा था। वही इमारत, वही आंगन और वही दरवाजा। अंदर जाते ही हैरी के सामने किताबों की चकाचौंध दुनिया थी। वो धूल भरी राजा-रानियों की किताबें नहीं, एकदम खूबसूरत नक्काशी से सजी किताबें थीं। इतने में ढोल नगाड़े बजने लगे, दोनों ने बाहर आकर देखा, तो राजा की सवारी जा रही थी। राजा की आंखें देखकर हैरी समझ गया कि वो कौन था।
हैरी ने कहा, 'आपको पता है ये कौन है?' योद्धा ने मुड़कर हैरी की तरफ देखा और कहा, 'हां, यहां का राजा...' । हैरी ने ना में सिर हिला दिया... 'ये वही बूढ़ा लाइब्रेरियन है, जिसने किताब देते वक्त मुझे कहा था कि लाइब्रेरी माफ नहीं करेगी।' योद्धा को यकीन नहीं हुआ। उसने राजा को कई बार देखा था, लेकिन कभी सोचा ही नहीं कि ऐसा भी हो सकता है। सच मुच ये वही बूढ़ा था। जादूगरनी ने कहा था कि राजा के पास ही किताब के पन्ने हैं।
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