करवा चौथ की रात एक तरफ जहां पत्नियों के लिए खुशी की रात थी, वही रात काजल के लिए खौफनाक बनकर आई थी… आसमान में चमकता चांद , हवा में अजीब सी ठंडक और माहौल में एक अनकहा डर, काजल ने जैसे ही चांद की तरफ अपनी छलनी उठाई, अचानक चांद का रंग खूनी लाल रंग में दिखाई देने लगा। काजल घबरा गई और उसने फौरन छलनी अपने पति के चेहरे की तरफ कर दिया। कुछ ही मिनटों पहले राघव, काजल के सामने खड़ा था, लेकिन काजल के छलनी घुमाते ही, उसकी जगह कोई और साया खड़ा नजर आया। काजल ने छलनी से उसका चेहरा देख लिया था, ऐसा लग रहा था जैसे उसने कोई बहुत बड़ा गुनाह कर दिया। हवा तेज चलने लगी और काजल की थाली में जल दीपक भी बुझ गया। अपने पति की जगह किसी डरावने साए को छलनी में देखते ही काजल घबरा गई और उसके हाथ से पूजा की थाली भी गिर गई।
पलभर में पूरा आंगन लाल रोशनी से भर गया, छत पर चमकादड़ उड़ने लगे। काजल की जिंदगी की नई शुरुआत हुए अभी 2 महीने ही हुए थे, यह उसका पहला करवा चौथ था और ऐसा लग रहा था, जैसे उसने किसी इंसान के लिए नहीं बल्कि किसी बुरे साए के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था।
काजल एक छोटे-से कस्बे से, शादी करके आई थी। परिवार वालों ने बहुत जल्दबाजी में उसकी शादी करवाई थी। उन्हें लगा था कि राघव बहुत अमीर है और वह उसकी पत्नी को बहुत खुश रखेगा। पूरे दो महीनों से काजल को घर में कुछ अजीब घटनाएं देखने को मिल रही थी, वह हमेशा उसे इग्नोर कर देती थी। कभी आधी रात को उसका पति पैर दबा कर कमरे से बाहर निकलता, और सास ससुर के साथ स्टोर रूम में जाकर बातें करता, तो कभी घर के पीछे वाले हिस्से में आधी रात को पूरा परिवार पूजा करता।
वह हर बात इग्नोर करती आई थी, उसे लग रहा था कि शायद उसके ससुराल वाले पूजा पाठ ज्यादा करते हैं। करवा चौथ की सुबह काजल सरगी खाने के लिए उठी थी। सुबह के लगभग 4 बज रहे थे। उसकी नींद खुली और उसने देखा कि राघव बिस्तर पर नहीं था। उसे लगा कि शायद वह बाथरूम गया होगा। उसने लगभग आधे घंटे तक उसके बाथरूम से निकलने का इंतजार किया, लेकिन वह बाहर नहीं आया। जब भी टाइम निकल गया तो काजल खुद उठकर बाथरूम के दरवाजे तक है और बोली राघव तुम अंदर हो क्या? सुनो मुझे बाथरूम जाना है। अंदर से कोई आवाज नहीं आई। उसने दरवाजा खोला तो अंदर कोई नहीं था।
उसे समझ नहीं आया कि आखिर इतनी रात में राघव कहां गया है। उसने देखा कि कमरे के दरवाजे की कुंडी खुली हुई थी। उसने बाहर की तरफ झांका, लेकिन बाहर भी राघव नजर नहीं आया। तभी उसे स्टोर रुम से कुछ आवाज आई। ऐसा लग रहा था जैसे स्टोर रूम में कोई पूजा कर रहा है, उसने मन ही मन सोचा।
आज मैं पता लगाकर रहूंगी, आखिर इस स्टोर रूम में ये लोग क्या करते हैं। मुझे स्टोर रूम में भी जाने नहीं देते। आधी रात में आखिर स्टोर रूम में क्या काम ? वह गुस्से में स्टोर रूम की तरफ बढ़ रही थी, अभी वह काजल दरवाजे तक पहुंचने ही वाली थी, तभी तीनों लोग दरवाजे से बाहर आए और दरवाजे को कुंडी लगाने लगे।
काजल ने कहा -आप लोग अंदर क्या कर रहे थे?
राघव ने कहा - अरे तुम्हारी सरगी का टाइम हो गया था न , हम वही लेने आए थे।
काजल - तीनों लोग क्या कर रहे थे फिर? सरगी तो कोई 1 भी दे सकता था।
सास -अरे बेटा तुम्हारा पहला करवा चौथ है , ऐसे कैसे कोई 1 दे देता।
काजल ने फिर कहा -अंदर की पूजा हो रही थी न, दरवाजा खोलो मुझे देखना है।
राघव ने काजल का हाथ पकड़ते हुए कहा - अरे काजल कैसी बातें कर रही हो, तुम सरगी खाओ और सो जाओ।
हम तुम्हे जगाना ही नहीं चाहते थे, वरना हम तुम्हे साथ नहीं लेकर आते, चलो तुम शांति से सरगी खाओ और सो जाओ, सुबह आराम से उठना।। तुम्हें पूरे दिन भूखा रहना है। काजल के मन में सवाल तो बहुत सारे थे, लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं था। हर बार वह सवाल करती, लेकिन राघव उसे बहला कर बात बदल देता था। करवाचौथ की सुबह भी ऐसा ही हुआ, वह सरगी खाकर सो गई।
सुबह जब वह उठी, तो उसे घर का माहौल कुछ अलग ही लगा। पूरे घर को शादी की तरह सजा दिया गया था। ऐसा लग रहा था, जैसे घर में शादी है। ऐसी सजावट तो काजल और राघव की शादी में भी नहीं हुई थी। काजल कमरे से बाहर आई, तो देखा सजावट वाले लोग काम में लगे हुए थे, उसने एक आदमी से पूछा, भैया ये किसने सजाने को कहा है? आदमी ने कहा- मालकिन भैया ने कहा है, तभी उसने राघव को छत पर देखा। वह लाइट लगाने में मदद कर रहा था। उसने नीचे से ही आवाज लगाई…
सुनिए- ये क्या हो रहा है। इतनी सजावट क्यों हो रही है?
राघव ने हंसते हुए कहा- अरे आज करवा चौथ है न, तुम्हारा पहला करवा चौथ है तो सजावट तो बनती है।
काजल ने कहा- घर में शादी थोड़ी है, इतनी सजावट करने की क्या जरूरत है।
राघव ने फिर कहा- अरे काजल, तुम्हारे लिए सरप्राइज है। तुम पूरे दिन मेरे लिए भूखी रहोगी, तो क्या मैं घर नहीं सजा सकता। रात में देखना, घर बहुत ज्यादा सुंदर लगेगा। रात में तुम्हारे लिए मेरे लिए सरप्राइज भी है।
राघव की बात सुनकर काजल बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। मन ही मन यही सोचे जा रही थी। राघव मुझसे कितना प्यार करता है। ससुराल वाले मेरे लिए घर सजवा रहे हैं। ऐसे लोग कहां किसी को मिलते हैं। मेरी तो किस्मत ही कमाल की है।
कुछ देर सोचने के बाद काजल ने कहा- मैं जा रही हूं नहाने, तुम मुझे ब्यूटीपार्लर ले जाओगे। राघव- अरे बिलकुल आज तुम्हारा दिन है, तुम जो भी कहोगी, आज सब होगा। राघव की बात सुनकर आस-पास काम कर रहे लोग भी हंसने लगे। काजल भी शरमाते हुए कमरे में भाग गई।
नहाने के बाद राघव, काजल को ब्यूटीपार्लर ले गया। धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा था। राघव ने काजल से कहा- कितना टाइम लगेगा, हमें घर जाना है। काजल ने कहा- आधा घंटा और लगेगा। इतनी सी बात पर राघव को बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया।
उसने चिल्लाते हुए कहा- जितना हो गया है, चलो . बहुत हो गया। 2 घंटे हो गए हैं। अंधेरा होने वाले है। इतना टाइम कौन लगाता है।
राघव को गुस्से में काजल ने पहली बार देखा था। उसने घबराते हुए ब्यूटी पार्लर वाली से कहा, हेयरस्टाइल रहने दो। मैं खुद बना लुंगी। वह नाराज हो रहे हैं।
आधे अधूरे मेकअप में राघव, गुस्से में काजल को घर ले आया। पूरे रास्ते उसने काजल से कोई बात नहीं की।
उसके चेहरे पर किसी बात की चिंता नजर आ रही थी। गुस्से से उसकी आंखें भी लाल हो गई थी।
राघव को इतना ज्यादा गुस्से में काजल ने पहली बार देखा था, इसलिए उसकी भी हिम्मत नहीं हुई की वह कुछ पुछे।
घर पहुंचते ही, राघव सीधा अपने मां-बाप के कमरे में चला गया। काजल मन ही मन सोचने लगी।
ऐसा भी क्या हो गया? इन्हें इतना गुस्सा क्यों आ रहा है। मैंने तो कुछ नहीं किया।
यह सोचते हुए वह कमरे में गई और अपने बचा हुआ मेकअप करने लगी। धीरे-धीरे रात के 8 बज गए थे। काजल चांद निकलने का इंतजार कर रही थी., वहीं दूसरी तरफ राघव अभी तक सास के कमरे से बाहर नहीं आया था। हिम्मत जुटा कर वह सास के कमरे के बाहर गई और बोली.. माजी..माजी…8 बज गए हैं, इनको कह दो कपड़े बदल लेंगे। अंदर से राघव ने कहा- काजल मैंने कपड़े बदल लिए हैं, चांद निकल जाए, तो मुझे बताना। मैं तभी बाहर आउंगा।
काजल ने दुखी मन से कहा- ठीक है और यह बोलते हुए वह कमरे में चली गई। पूरा घर दुल्हन की तरह सजा हुआ था, लेकिन उससे बात करने वाला कोई नहीं था। अकेले ही चुपचाप वह अपने कमरे में बैठी थी, तभी बाहर से शोर सुनाई दिया। चांद निकल आया, चांद निकल आया। काजल ने फौरन थाली सजाई और सास के कमरे के बाहर खड़ी होगई।
सुनिए- चांद निकल आया है.. चलो छत पर चलें।
राघव ने कहा- तुम चलो मैं आ रहा हूं।
काजल ने फिर कहा- हम साथ में चलते हैं न, क्या दिक्कत है।
राघव ने फिर कहा- अरे तुम जाओ मैं आ रहा हूं, 2 मिनट में आता हूं।
काजल अब क्या ही कर सकती थी। दुखी मन से वह थाली लेकर छत की तरफ जाने लगी। तभी उसे दरवाजा खुलने की आवाज सुनाई दी। उसे लगा वह पीछे से आ रहे हैं। तभी राघव ने पीछे से कहा- मुझे पीछे मुड़कर मत देखना। तुम्हारे लिए कुछ सरप्राइज है मेरे पास। काजल ने कहा- ठीक है। काजल ने मन ही मन सोचा, शायद इसलिए ये नाराज हो रहे थे। इनका सरप्राइज खराब हो जाता। क्या पता आज क्या तोहफा देने वाले हैं। काजल आगे-आगे और पीछे-पीछे राघव चल रहा था, लेकिन राघव ने अपना पूरा शरीर एक कंबल से ढक रखा था।
छत पर पहुंचने के बाद काजल बोली- चांद देखूं, आप तैयार हैं? राघव ने कहा- हां मैं तैयार हूं, काजल ने चांद को छलनी से देखा और फिर पति की तरफ पीछे छन्नी घुमाई।
जैसे ही काजल ने छन्नी घुमाई, राघव ने अपने ऊपर से कंबल गिरा दिया। ये राघव नहीं था। कोई हैवान था. पूरे शरीर पर लंबे बाल और अजीब सी डरावनी शकल। शरीर से काला धुंआ निकल रहा था, जैसे ही काजल ने छननी में उसे देखा, डर के कारण उसके हाथ से थाली गिर गई। काजल के मुंह से डर के कारण तेज की चीख निकल गई। वह चिल्लाने लगी, राघव-राघव राघव तुम कहा हों, तभी सामने खड़े हैवान ने कहा- मैं ही राघव हूं। तुम्हारी मुझसे ही शादी हुई है। आज के बाद मैं अमर हो जाउंगा। तुमने मुझे छन्नी में देखकर अमर कर दिया।
काजल ने कांपती हुई आवाज में कहा – न-नहीं… तुम मेरे राघव नहीं हो सकते…
उसकी आंखें फैल गईं, दिल तेजी से धड़कने लगा। वो पीछे हटने की कोशिश करने लगी, लेकिन उसके पैर कांप रहे थे। अगले ही पल, डर और सदमे से वह जमीन पर गिर गई।
राघव… राघव… वह सिर्फ यही नाम बार-बार चिल्लाए जा रही थी। उसकी आवाज में दर्द, डर और भरोसे के टूटने का भाव था
सामने खड़ा वो हैवान जैसे हर शब्द के साथ और विकराल होता जा रहा था। उसकी सांसों से धुआं निकल रहा थाय़
उसी वक्त काजल की नजर जमीन पर बिखरी पूजा की थाली पर पड़ी। दीया अभी भी जल रहा था। हैवान जिस कंबल को ओढ़कर आया था, उसी पर थाली गिरी थी। दीये की लौ ने धीरे-धीरे उस कंबल के कोने को जला दिया। काजल के भीतर जैसे कोई उम्मीद जागी- शायद यही उसका बचने का मौका था। वो चुपचाप दीये को अपनी उंगलियों से आगे खिसकाने लगी, ताकि आग तेजी से फैले। कंबल से धुआं उठने लगा, और कुछ ही सेकंड में उसमें आग लग गई। हैवान - या कहो राघव -उसी जलते कंबल के ऊपर खड़ा था।
पहले तो उसे कुछ एहसास नहीं हुआ, लेकिन जैसे ही आग ने उसके कुर्ते का किनारा पकड़ा, वो पीछे हटने की कोशिश करने लगा, पर तब तक देर हो चुकी थी। काजल जमीन पर बैठी थी, उसकी आंखें हैवान पर टिकी थीं। वो न चीख रही थी, न भाग रही थी- बस देख रही थी। जैसे किसी सच्चाई के सामने पत्थर बन गई हो।
धीरे-धीरे आग राघव के शरीर पर फैलने लगी। उसकी चीखें इतनी तेज थी कि आस-पड़ोस के लोग भी अपने छतों से झांकने लगे थे। राघव जमीन पर गिरा, आग बुझाने की कोशिश करने लगा, लेकिन आग का रूप इतना विकराल हो गया था कि बुझने का कोई नाम नहीं ले रहा था।
काजल ने देखा- हर पल के साथ वो शरीर सिमटता जा रहा था, जैसे कोई परछाई जल रही हो। और कुछ ही देर में वहां सिर्फ राख बच गई। कुछ बचा तो बस एक अधजली सोने की चेन- वही जो काजल ने शादी में राघव के गले में पहनाई थी। काजल फूट-फूट कर रो रही थी। घर सुना पड़ा था और सास-ससुर भी ऊपर नहीं आ रहे थे। राघव के जाने का दुख तो उसे हो रहा था, लेकिन हैवान स बचने की खुशी भी उसके मन में थी।
वह छत से नीचे गई और सास-ससुर को खोजने लगी, जैसे ही कमरे में गई, उसने देखा कमरे में भी जली हुई राख पड़ी थी। ऐसा लगा, जैसे राघव के साथ शायद उनका भी शरीर जल का राख हो गया था। चांद भी लाल रंग से वापस सफेद रंग का नजर आने लगा था। ऐसा लग रहा था, जैसे भगवान ने खुद ही उसकी जान बचा ली थी।
यह कहानी पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है और इसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है। यह केवल कहानी के उद्देश्य से लिखी गई है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। ऐसी ही कहानी को पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।