हैरी दोबारा उसी पुस्तकालय से राजा के महल में गया। हैरी को पता था कि उसके पास समय कम है और उसे वो पन्ने ढूंढने हैं। 'आओ, तुम यहां अकेले आए हो? कुछ कारण?' राजा ने पूछा। हैरी ने राजा की तरफ देखा और कहा, 'मैं जानता हूं कि जादूगरनी आपको धोखा दे रही है, मुझे बस इस जगह से निकलना है और मैं उस गुफा तक आपको ले जाऊंगा।' हैरी की बात सुनकर राजा खुश हो गया और अपनी सेना को तैयारी करने के लिए कहा। 'अगर मैं कबीले में वापस गया, तो अब मेरी जान को खतरा होगा। आपको मुझे यहीं रखना होगा।' हैरी ने राजा से कहा। राजा मान गया और हैरी को महल में ही रहने को कहा।
हैरी दो-तीन दिनों तक महल में ढूंढता रहा और राजा अपनी सेना को तैयार होने को कहता रहा। हैरी ने राजा को गुफा तक ले जाने को कहा तो था, लेकिन उसे पता था कि किताब का रास्ता किसी और को नहीं बताया जा सकता। इसलिए हैरी बस अपने लिए समय चाहता था जो तेजी से निकल रहा था। धीरे-धीरे वो दिन भी आ गया जब राजा कबीले पर हमला करने वाला था। राजा ने अपनी सेना के साथ तैयारी कर ली थी और हैरी को भी हथियार लेने को कहा था। हैरी राजा के पीछे-पीछे हथियारों के कक्ष में चला गया था, हैरी ने महल में पहले यह कक्ष नहीं देखा था। वहां चारों तरफ सिर्फ तलवारें, भाले और अन्य हथियार रखे थे, पर हैरी की नजर एक बक्से पर पड़ गई।
'अपने लिए जो हथियार चाहो वो चुन लो,' राजा ने हैरी से कहा। हैरी ने कहा उसे थोड़ा वक्त चाहिए।
राजा के जाते ही हैरी ने वो बक्सा खोला और उसमें किताब के पन्ने मिल गए। हैरी को लग रहा था कि बस वो कुछ भी करके किताब के पन्ने वापस अपनी किताब में जोड़ ले। हैरी तेजी से उस कमरे में गया जहां वो इतने दिनों से रह रहा था। उसने अपने बैग से किताब निकाली और पन्ने उसमें रख दिए। अचानक ये पन्ने अपने आप जुड़ने लगे। हैरी के पास अब वापस जाने का रास्ता था।
हैरी को अब नई किताब में कहानी लिखनी थी। हैरी ने लिखना शुरू किया... उसने राजा को नेक दिल और हिम्मतवाला बना दिया। उसने कबीले के लोगों को जंगली नहीं, बल्कि समृद्ध और प्रकृति की रक्षा करने वाले बना दिया। हैरी लिखता जा रहा था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि जादूगरनी का क्या करे। अंत में उसने जादूगरनी को कबीले की रक्षक बना दिया। अब कबीले को बचाने की जिम्मेदारी योद्धा की नहीं, बल्कि जादूगरनी की थी। हैरी ने किताब में सब कुछ लिख तो दिया था, लेकिन कुछ भी हुआ नहीं।
हैरी को लगा कि आखिर कुछ तो और है, जिसे वो भूल रहा है। इतने में राजा के सैनिक हैरी को बुलाने आ गए। हैरी भी अपना सा मुंह लेकर अपनी दोनों किताबों को बैग में रखकर आगे चल दिया। आखिर क्या है जिससे वो अंजान है? आखिर उसे क्या करना होगा? हैरी सोच ही रहा था कि रास्ते में उसे वही पुस्तकालय दिखा। हैरी को लगा कि जिस जगह से कहानी शुरू हुई थी, उसे वहीं खत्म करना जरूरी था। अब वो कैसे राजा को रोके? हैरी ने एक तरकीब सोची, उसने राजा से कहा कि उसी पुस्तकालय में एक नक्शा है जिसे उसने छुपा दिया था। उसे वहीं जाना है।
हैरी की बात सुनकर राजा ने कहा कि वो भी साथ चलेगा। अब राजा के साथ वो अंदर आ गया, लेकिन अभी भी बात कुछ नहीं हुई। हैरी नक्शा ढूंढने का नाटक करने लगा। उसे आगे क्या करना है कुछ सूझ नहीं रहा था और अब राजा को शक भी होने लगा था।
हैरी ने राजा ने नजर छुपाकर अपनी किताब खोली, जिसमें योद्धा की कहानी लिखी थी, पन्ने पलटते ही वो आखिरी पन्ने पर आ गया और उसे दिखा वो मंत्र। 'अरे हां, वो मंत्र...', हैरी बुदबुदाया। तब तक राजा ने हैरी के हाथ में वो किताब देख ली थी और उसे समझ आ गया था कि हैरी उसके साथ नाटक कर रहा था। हैरी ने सिपाहियों को आवाज दी और किताब छीनने आया। हैरी ने जल्दी से बैग से पेन और नई किताब निकाली और उसे पीछे वही मंत्र लिख दिया जिसे बोलने के बाद हैरी इस दुनिया में आ गया था।
हैरी ने जैसे ही ये पूरा किया अचानक ऐसा लगा जैसे भूकंप आ रहा हो। सब कुछ तहस-नहस होने लगा... हैरी ने कोशिश की आगे बढ़ने की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। हैरी गिर गया और बेहोश हो गया। थोड़ी देर बाद किसी ने हैरी को जगाया... उसकी मां सामने खड़ी थी। 'कल रात भूखा सो गया था, अब जाग नहीं रहा है... क्या हुआ', हैरी की मां ने चिंता में पूछा। हैरी को यकीन नहीं हुआ... वो अपने घर वापस आ गया था.. हैरी अपने उसी कमरे में था जिससे वो माया नगरी में गया था। 'कोई सपना देखा क्या? ऐसी शक्ल क्यों बनाई हुई है..' हैरी की मां ने पूछा। 'सपना? सपना? क्या मैं सपना देख रहा था?' हैरी ने अपना माथा पीटा। उसे तो समझ ही नहीं आ रहा है कि वो सपना देख रहा था या सच में माया नगरी में गया था?
आखिर हैरी उठा, मुंह-हाथ धोकर नीचे नाश्ता करने चला गया... लेकिन अभी भी उसे समझ नहीं आ रहा था... कि ये सपना था या सच।
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