नरगिस दत्त एक ऐसी एक्ट्रेस थीं, जिनकी बिग स्क्रीन पर प्रेजेंस एक अलग ही जादू बिखेरती थी। उन्होंने बरसात, आवारा और आग जैसी फिल्मों में राज कपूर के साथ हिट जोड़ी बनाई। वहीं, साल 1957 में फिल्म मदर इंडिया में उनकी परफार्मेंस ने उन्हें एक अलग मुकाम पर पहुंचाया। नरगिस दत्त एक ऐसी अदाकारा थीं, जिन्होंने ना केवल अपनी बेहतरीन एक्टिंग का जलवा बिखेरा, बल्कि उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में भी अपना लोहा मनवाया।
नरगिस दत्त को लोग ऐसी अदाकारा के रूप में याद करते हैं, जो राज्यसभा के लिए निर्वाचित पहली महिला फिल्म स्टार थीं। इतना ही नहीं, नरगिस पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली अभिनेत्री थीं। नरगिस के बाद रेखा से लेकर जया बच्चन तक कई अदाकाराओं ने राज्यसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। लेकिन नरगिस दत्त का राज्यसभा के लिए निर्वाचित होना यकीनन कई मायनों में खास था। तो चलिए आज इस लेख में एक्ट्रेस नरगिस दत्त के बारे के जीवन के बारे में बता रहे हैं-
नरगिस दत्त का प्रारंभिक जीवन
नरगिस का जन्म 1 जून, 1929 को फातिमा राशिद के रूप में हुआ था। उन्होंने 1935 में तलाश-ए-हक में एक बाल कलाकार के रूप में अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की। उस समय उन्हें फिल्म के क्रेडिट में बेबी नरगिस के रूप में नामित किया गया था। जिसके बाद फातिमा का नाम नरगिस ही हो गया। लेकिन उनका अभिनय वास्तविक फिल्मी करियर फिल्म तमन्ना के साथ 1942 के साथ शुरू हुआ।
इसे जरूर पढ़ें- नरगिस ने राजकपूर के प्यार में किए थे ये 3 काम
नरगिस दत्त का पारिवारिक जीवन
नरगिस दत्त ने साल 1958 में नरगिस ने अपनी मदर इंडिया के सह-कलाकार और अभिनेता सुनील दत्त से शादी कर ली और अभिनय को लगभग अलविदा कह दिया। उन्होंने केवल कुछ ही फिल्मों में छिटपुट काम किया। उनके तीन बच्चे प्रिया, नम्रता और संजय दत्त थे। नरगिस की 1981 में अग्नाशय के कैंसर से मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के एक साल बाद 1982 में, सुनील दत्त ने उनकी याद में नरगिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन की स्थापना की थी।
नरगिस दत्त की उपलब्धियां
- नरगिस दत्त राज्यसभा के लिए नामांकित होने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री थीं। उन्हें 1980 में राज्यसभा के लिए नामांकन मिला।
- वह पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली अभिनेत्री थीं।
- उन्होंने मदर इंडिया के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता है।
- 1970 के दशक की शुरुआत में, नरगिस द स्पास्टिक सोसाइटी ऑफ़ इंडिया की पहली संरक्षक बनीं। संगठन के साथ मिलकर उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम किया।

इसे जरूर पढ़ें- आखिर क्यों नरगिस दत्त की मौत के दो साल बाद रोए थे संजय दत्त? इस घटना ने बदली थी जिंदगी
कुछ इस तरह दुनिया को कहा अलविदा
2 अगस्त 1980 को, राज्यसभा के एक सत्र के दौरान नरगिस दत्त बीमार पड़ गईं, जिसका प्रारंभिक कारण पीलिया माना गया। उन्हें बॉम्बे के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में, 1980 में उनमें अग्नाशय के कैंसर का पता चला और न्यूयॉर्क शहर के मेमोरियल स्लोअन-केटरिंग कैंसर केंद्र में इस बीमारी का इलाज कराया गया। लेकिन भारत लौटने पर, उनकी हालत बिगड़ गई। बाद में, गंभीर रूप से बीमार होने के बाद 2 मई 1981 को कोमा में चली गईं और अगले दिन 51 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें बड़ा क़ब्रस्तान मुंबई में दफनाया गया था।
7 मई 1981 को, उनके बेटे की पहली फिल्म रॉकी के प्रीमियर पर, उनके लिए एक सीट खाली रखी गई थी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकीअपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- Instagram
क्या आपको ये आर्टिकल पसंद आया ?
आपकी स्किन और शरीर आपकी ही तरह अलग है। आप तक अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी लाना हमारा प्रयास है, लेकिन फिर भी किसी भी होम रेमेडी, हैक या फिटनेस टिप को ट्राई करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। किसी भी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।