World Immunization Week: बीमारियों से कैसे बचाव करती है वैक्सीनेशन, एक्सपर्ट से पाएं पूरी जानकारी

अप्रैल के आखिरी सप्ताह में विश्व टीकाकरण सप्ताह मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य बीमारियों से बचाव के लिए लोगों को टीकाकरण के संबंध में उचित जानकारी देना है।

 
world immunization week

मेडिकल साइंस, जीवन को बेहतर और सुरक्षित बनाने के लिए हमेशा से प्रयासरत रहा है। इस कड़ी में बीमारियों से बचाव के लिए नई-नई दवाओं और टीकाकरण का ईजाद होता रहता है। हालांकि आम लोगों को इस बारे में कम ही जानकारी हो पाती है। इसलिए लोगों को टीकाकरण (Vaccination) के बारे में जानकारी देने के लिए हर साल अप्रैल के आखिरी सप्ताह (World Immunization Week) यानी 24 अप्रैल से लेकर 30 अप्रैल तक विश्व टीकाकरण सप्ताह मनाया जाता है।

आज 24 अप्रैल से विश्व टीकाकरण सप्ताह की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में इस मौके पर हम आपको टीकाकरण के बारे में सही और पूरी जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं। बता दें कि हमने इस बारे में हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. सोहिनी सेनगुप्ता से बात की है और उनसे मिली जानकारी आपके साथ यहां शेयर कर रहे हैं।

गौरतलब है कि साल 1974 में लोगों में टीकाकरण के लिए जागरूकता लाने के उद्देश्य से विश्व टीकाकरण सप्ताह की शुरुआत की गई। बीते 50 सालों में इस दिशा में कई सारे जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। हमारा यह आर्टिकल भी इसी दिशा में छोटा सा प्रयास है। यहां आपको टीकाकरण और उसकी पूरी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

how does vaccination help in fighting diseases

क्या है टीकाकरण (What is Vaccination)?

सबसे पहले बात कर लेते हैं कि आखिर टीकाकरण है क्या? तो बता दें कि टीकाकरण, व्यक्ति को घातक बीमारियों से बचाव का सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। टीकाकरण के जरिए रोग विशेष के प्रति शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए व्यक्ति को दवा की खुराक ओरल या इंजेक्शन के रूप में दी जाती है।

कैसे काम करता है टीका (How Does Vaccination Work)?

अब बात करते हैं कि टीका यानी वैक्सीन से बीमारियों से बचाव कैसे होता है। बता दें कि वैक्सीनेशन में घातक बीमारियों से सुरक्षा के लिए शरीर में उससे लड़ने के लिए आवश्यक एंटीबॉडी तैयार किए जाते हैं। असल में किसी संक्रामक बीमारी के संक्रमण के बाद शरीर में एंटीबॉडी बनते हैं जो उस बीमारी से लड़ने में सहायक साबित होते हैं। वैक्सीनेशन के जरिए शरीर में वैसे ही एंटीबॉडी का निर्माण किया जाता है, जैसे कि उस रोग विशेष के चपेट में आने पर होता है।

बता दें कि ज्यादातर वैक्सीनेशन में घातक बीमारियों के निष्क्रिय वायरस को शरीर में प्रवेश किया जाता है, जो बीमारी का खतरा तो पैदा नहीं करते हैं बल्कि शरीर को इस बीमारी से लड़ने के लिए तैयार करते हैं। ऐसे में देखा जाए तो वैक्सीनेशन शरीर को घातक बीमारियों के संपर्क में आने से पहले उनसे सुरक्षा प्रदान करने का प्रभावी तरीका है।

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इस तरह से देखा जाए तो वैक्सीन, किसी रोग विशेष के प्रति सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। इसीलिए आजकल प्रेग्नेंसी और बच्चों के जन्म के साथ ही कई तरह के टीकाकरण शुरू हो जाते हैँ। इनमें बीसीजी, चेचक, पोलियो, हेपेटाइटिस बी, जापानी एन्सेफलाइटिस और रोटावायरस वैक्सीन शामिल हैं। गौरतलब है कि जब तक इन बीमारियों के वैक्सीन का ईजाद नहीं हुआ था, तब इन बीमारियों का सामना करना लोगों के लिए नामुमकिन हो रखा था।

पोलियो के उदाहरण से इस तथ्य को आप आसानी से समझ सकते हैं। साल 1950 में पोलियो की वैक्सीन आने से पहले पोलियो अपने आप में असाध्य रोग था। इसके कारण लोग सालों तक अपाहिज होते रहे। वैक्सीन आने के बाद इसकी संख्या में लगातार कमी आई और आज स्थिति यह है कि भारत समेत दुनिया के कई देश पोलियो मुक्त हो चुके हैं। बता दें कि साल 2014 में भारत को WHO से पोलियो मुक्त प्रमाण मिला था।

महिलाओं के लिए जरूरी है यह वैक्सीन

बीते साल ही सर्वाइकल कैंसर के लिए वैक्सीन का भी ईजाद किया गया है, जिसके जरिए युवा महिलाओं को योनि और उसके आस-पास के अंगों में होने वाले कैंसर से सुरक्षा प्रदान किया जाता है। बता दें कि 10 से 45 साल की उम्र की महिलाओं को यह सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन लगाया जाता है। अगर आपकी उम्र सीमा भी यही है तो आप यह टीका लगवा सकती हैं।

उम्मीद करते हैं कि सेहत से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करना न भूलें।

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Image Credit: Freepik

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