मां का दूध बच्चे के लिए सबसे अच्छा आहार माना जाता है। इसमें कई पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे की ग्रोथ के साथ-साथ इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मदद करते हैं। ब्रेस्टफीडिंग बच्चे ही नहीं, मां के लिए भी बहुत फायदेमंद मानी जाती है। एक्सपर्ट्स बच्चे के जन्म से 6 माह तक, सिर्फ मां का दूध पिलाने की सलाह देते हैं। वहीं कुछ महिलाएं अपने बच्चे को 6 माह के बाद भी ब्रेस्टफीड कराती हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि आखिर बच्चे को कब तक ब्रेस्टफीडिंग करानी चाहिए।
ब्रेस्टफीडिंग को लेकर पहली बार मां बनीं महिलाओं के मन में कई सवाल होते हैं। जिसमें से बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कब तक कराना चाहिए सबसे ज्यादा कॉमन है। ब्रेस्टफीडिंग कब बंद करनी चाहिए या कब तक कराना फायदेमंद होता है इन सवालों का जवाब एक्सपर्ट Ruth Patterson ने दिया है। Ruth Patterson, Cloudnine Group of Hospitals, Bengaluru में Chief Lactation Consultant हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, ब्रेस्टफीडिंग कब तक करानी चाहिए, यह पूरी तरह से पर्सनल, कल्चरल और हेल्थ पर निर्भर करता है।
ब्रेस्टफीडिंग को लेकर कई स्वास्थ्य संस्थानों ने भी रिक्मेंडेशन दी हैं। WHO के मुताबिक, जन्म से लेकर पहले 6 महीने तक बच्चे को सिर्फ ब्रेस्ट फीडिंग करानी चाहिए। इसका मतलब है कि बच्चे को मां के दूध के अलावा कोई भी भोजन या पानी नहीं देना चाहिए। वहीं 6 महीने की उम्र के बाद, जब बच्चा सेमी-सॉलिड फूड, मैश्ड फूड या हल्की चीजें खानी शुरू कर देता है तब भी मां को ब्रेस्टफीड कराने की सलाह दी जाती है। ब्रेस्टफीडिंग को बच्चे की 2 साल की उम्र तक लाइट फूड के साथ जारी रखा जा सकता है।
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American Academy of Pediatrics (AAP) के मुताबिक, जन्म से 6 महीने तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध ही पिलाना चाहिए। 6 महीने की उम्र से लेकर एक साल या जब तक मां-बच्चा चाहे तब तक ब्रेस्टफीडिंग कराई जा सकती है।
कब तक कराएं ब्रेस्टफीडिंग?
मां के दूध में सभी तरह के प्रोटीन्स, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट, विटामिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में मिलते हैं। यह न्यूट्रियंट्स बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी होते हैं। मां का दूध बच्चे की मांसपेशियां, हड्डियां और अंगों के विकास के लिए जरूरी माना जाता है। 6 महीने तक बच्चे को सिर्फ ब्रेस्टफीडिंग करानी चाहिए, क्योंकि इस दौरान बच्चा अन्य कोई चीज नहीं खा एक्सपर्ट के मुताबिक, बच्चे को दूध एक साल की उम्र तक ब्रेस्टफीडिंग कराने की सलाह दी जाती है। लेकिन इसे मां और बच्चे के कंफर्ट और इच्छा के साथ एक से दो साल की उम्र तक भी जारी रखा जा सकता है।
एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग के फायदे
- एक्सपर्ट के मुताबिक, एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग के भी अनेकों फायदे होते हैं, जिसमें पहला न्यूट्रिशनल सपोर्ट आता है। ब्रेस्ट फीडिंग से बच्चे को जरूरी न्यूट्रिएंट्स और एनर्जी मिलती है।
- एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग से बच्चे की इम्यूनिटी मजबूत होती है, जो उसे कई तरह के इंफेक्शन और एलर्जी से बचाती है।
- एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग मां और बच्चे के बीच इमोशनल बॉन्ड को मजबूत करती है। ब्रेस्टफीडिंग से मां के शरीर में कुछ ऐसे हार्मोन रिलीज होते हैं, जिनसे तनाव कम होता है। जिससे मां को पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा कम रहता है और वह बच्चे के साथ और भी जुड़ाव महसूस करती है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को अपनी डाइट का भी ध्यान रखना चाहिए।
- ब्रेस्टफीडिंग सिर्फ बच्चे के लिए ही नहीं, बल्कि मां के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। ब्रेस्टफीडिंग से मां के लिए कैंसर, टाइप 2 डायबिटीज और पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा कम हो जाता है।

मां पर निर्भर करता है ब्रेस्टफीडिंग जारी रखने का फैसला
एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग पूरी तरह से व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। इसमें सबसे पहले मां की सेहत और कंफर्ट को ध्यान रखना चाहिए। नई मां की मेंटल हेल्थ और फिजिकल हेल्थ दोनों ही जरूरी हैं, ऐसे में ब्रेस्टफीडिंग कितने समय तक करानी है और कब बंद करनी है यह पूरी तरह से मां पर निर्भर करता है।
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साथ ही बच्चे की जरूरत को भी ध्यान में रखना चाहिए। अगर आपका बच्चा कमजोर है और बार-बार बीमार पड़ जाता है, तो ब्रेस्टफीडिंग को जारी रखा जा सकता है। बच्चे का विकास और सेहत को भी एक्सटेंडेड ब्रेस्टफीडिंग के लिए ध्यान में रखा जा सकता है। कई बार बच्चे को दो साल की उम्र तक भी दूध पिलाने की सलाह दी जाती है. क्योंकि दो साल की उम्र तक बच्चे का डाइजेशन सिस्टम पूरी तरह से विकसित हो जाता है और वह पूरी तरह ठोस आहार लेना शुरू कर देता है।
ब्रेस्टफीडिंग कब तक जारी रखनी है यह फैसला पूरी तरह से मां का होता है। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
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