हममें से ज्यादातर लोग खूबसूरती को सिर्फ चेहरे की चमक, रंग या शरीर की बनावट से जोड़ते हैं, लेकिन क्या सच में यही सुंदरता की पहचान है? असली खूबसूरती वो नहीं जो आईने में दिखती है, बल्कि वो है जो आपके दिल से झलकती है, आपका व्यवहार, आपकी सच्चाई, आपकी मुस्कान और दूसरों के प्रति आपका प्यार। चेहरे की सुंदरता वक्त के साथ फीकी पड़ सकती है, लेकिन दिल की सुंदरता उम्र के साथ और निखरती जाती है।
वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के अवसर पर आइए समझते हैं कि असली खूबसूरती अंदर से कैसे आती है और यह आपको कैसे खास बनाती है। इस बारे में गुरुदेव श्री श्री रविशंकर बताते हैं कि अपनी सुंदरता पर कभी शक मत करो। उनके अनुसार, सच्ची सुंदरता तब खिलती है, जब आपका मन शांत हो, हृदय में करुणा हो और जीवन में प्रेम का प्रवाह बना रहे। इससे ही आपको मानसिक शांति मिलती है।
तुम्हें यह जानने के लिए आईने में देखने की जरूरत नहीं है कि तुम खूबसूरत हो। अगर तुम जीवन में कुछ अच्छा और सच्चा जानना चाहती हो, अगर तुम्हारा दिल दूसरों की मदद करना चाहता है, तो तुम पहले से ही खूबसूरत हो।
कभी-कभी गुस्सा या नफरत इस सुंदरता को ढक देता है, लेकिन यह स्थायी नहीं होता। अगर गुस्सा आता है, तो खुद को दोष मत दो। बस यह सोचो कि गुस्सा थोड़ी देर के लिए आया और चला गया। तुम्हारा असली स्वभाव शांति, प्यार, खुशी और सुंदरता है।
दिमाग सिर्फ तथ्यों को जानता है, लेकिन दिल हर बात को महसूस करता है और उसे बड़ा बना देता है। कविता और संगीत दिल से निकलते हैं, क्योंकि वे भावनाओं से भरे होते हैं। अगर हम सुंदरता को दिमाग से परखने लगें, तो वह खत्म हो जाती है, क्योंकि सुंदरता दिमाग नहीं, दिल की भाषा है।
हम दुखों को बढ़ा-चढ़ाकर देखते हैं। अगर कुछ लोग बीमार हों, तो हम कहते हैं कि यहां तो सब बीमार हैं। हम अपनी परेशानियों को बहुत बड़ा बना देते हैं, लेकिन जब कुछ अच्छा होता है, तो उसे जांचने लगते हैं। हमें उल्टा करना चाहिए। नकारात्मक बातों को समझो और सोचो, ताकि दयालुता पैदा हो और अच्छी बातों को बढ़ा-चढ़ाकर सराहो, ताकि खुशी और सुंदरता बढ़े।
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भारत में कहा गया है कि सत्यम शिवम सुंदरम, जो सत्य है, वही ईश्वर है और वही सुंदर है। सुंदरता दो तरह की होती है-
बाहरी सुंदरता (चेहरे की, शरीर की)
भीतरी सुंदरता (मन की, स्वभाव की)
जब मन साफ और पवित्र होता है, तो वह चेहरे पर झलकता है। छोटे बच्चों की तरह, वे किसी भी रंग या जाति के हों, उनकी मुस्कान और मासूमियत उन्हें सुंदर बनाती है।
असली सुंदरता अंदर से आती है। जी हां, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी मानता है कि आध्यात्मिकता इंसान को आत्मविश्वास, खुशी और शांति देती है। यही सब उसे सुंदर बनाते हैं।
जब तुमने कभी किसी चीज में बहुत सुंदरता महसूस की है, तब तुम अपने असली 'स्व' से जुड़ी हो। जो सुंदरता तुम बाहर देखती हो, वह तुम्हारे अंदर की झलक होती है। मेडिटेशन तुम्हें अंदर और बाहर दोनों की सुंदरता दिखाता है।
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जब तुम किसी चीज की सुंदरता में आनंद लेती हो, तो पूरी सृष्टि तुम्हारे साथ खुश होती है। जीवन का असली मकसद यही है कि तुम समझो-
तुम खुद सुंदर हो।
तुम खुद प्यार हो।
तुम खुद खुशी हो।
जब यह एहसास होता है, तो जो कुछ भी तुम चाहती हो, वह खुद-ब-खुद तुम्हारी जिंदगी में आने लगता है।
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