बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए क्यों जरूरी है सुवर्णप्राशन, जानें इसके लाभ

कहते हैं सुवर्णप्राशन बच्चों के लिए फायदेमंद होता है। एक्सपर्ट से इसके लाभ और बच्चों को देने का तरीका आइए यहां जानें। 

 
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नवजात शिशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए कई सारे टीकाकरण करवाने पड़ते हैं। हर मां चाहती है कि उसके बच्चा हमेशा स्वस्थ रहे, इसलिए शुरू से ही उसके टिकाकरण पर बहुत ध्यान दिया जाता है। बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए सुवर्ण प्राशन भी एक तरह का टिकाकरण ही है। इसे देने से बच्चों स्वास्थ्य पर एक साकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है।

विश्वाकेयर की फाउंडर और आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. जैना विशाल पटवा बताती हैं कि सुवर्ण प्राशन संस्कार आयुर्वेद में बच्चों के लिए वर्णित 16 आवश्यक अनुष्ठानों में से एक है। यह सबसे महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक मौखिक टीकाकरण में से एक है जिसे हर बच्चे को अनिवार्य रूप से दिया जाना चाहिए।

बीसीजी जैसे आधुनिक टीकाकरण जैसे पोलियो ड्रॉप्स, हेपेटाइटिस आदि की तुलना में यह टीकाकरण सबसे बेहतर होता है। इसके किसी तरह के दुष्प्रभाव भी नहीं होते। इसमें आप स्वर्ण भस्म को शहद, घी आदि में मिलाकर बच्चों पिलाते हैं और इसके कई फायदे होते हैं।

इस आर्टिकल में चलिए हम डॉ. जैना की मदद से यह जानें कि यह क्या होता? इसके क्या फायदे हैं और इसे बच्चों को कैसे देना चाहिए वो आपको बताएं।

क्या होता है सुवर्णप्राशन?

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सुवर्णप्राशन वह प्रक्रिया है, जिसमें सुवर्ण भस्म (सोने की शुद्ध राख) को जड़ी-बूटियों के अर्क से तैयार घी और तरल या सेमी-सॉलिड रूप में शहद के साथ मिलाकर बच्चों को दिया जाता है। यह एक ऐसा वैदिक प्रोग्राम है जो बच्चों के शारीरिक और साइकोलॉजिकल लेवल के पूर्ण विकास में मदद करता है। इससे न सिर्फ उनकी इम्यूनिटी मजबूत होती है, बल्कि उनकी मानसिक कैपेसिटी भी अच्छी होती है।

कितने साल के बच्चों को देना चाहिए सुवर्णप्राशन?

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अब सवाल है कि यह इसे कितने साल तक बच्चों को दिया जाना चाहिए? डॉ. जैना बताती हैं कि नवजात शिशु को भी यह दिया जा सकता है। बच्चे को उसके जन्म के पहले दिन से ही इसे दें और 16 साल तक की उम्र के बच्चों को दे सकते हैं। यह उन बच्चों के लिए भी फायदेमंद होता है जो ऑटिज्म, लर्निंग डिफिकल्टी आदि जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं।

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सुवर्णप्राशन के इंग्रीडिएंट्स क्या हैं?

सुवर्ण प्राशन के जरूरी इंग्रीडिएंट्स में सोने की राख, वाचा, शंखपुष्पी, ब्राह्मी, गुडुची सत्व, यष्टिमधु, अश्वगंधा (पीरियड्स में अश्वगंधा का सेवन सही या गलत) सहित 22 हर्ब्स, घी और शहद शामिल होते हैं।

सुवर्णप्राशन के क्या लाभ हैं?

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इसके कई सारे लाभ हैं। डॉ. जैना बताती हैं कि यह कुल मिलाकर आपके बच्चे को स्वस्थ बनाता है। इसके कई लाभ इस प्रकार हैं-

  • सुवर्ण प्राशन प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाता है और सामान्य संक्रमणों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है, इस प्रकार बच्चों को बार-बार बीमार पड़ने से रोकता है।
  • यह बच्चों में शारीरिक शक्ति का निर्माण करता है और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाता है और उसी के लिए सहनशक्ति में भी सुधार करता है।
  • सुवर्ण प्राशन की नियमित खुराक बच्चे की बुद्धि, समझने की शक्ति, कुशाग्रता, विश्लेषण शक्ति, स्मरण शक्ति को अनोखे तरीके से सुधारती है।
  • यह पाचक अग्नि को प्रज्वलित करता है, पाचन में सुधार करता है और पेट से संबंधित शिकायतों को कम करता है।
  • सुवर्णप्राशन बच्चे की भूख में भी सुधार करता है।
  • यह प्रारंभिक शारीरिक और मानसिक विकास को पोषित करने में मदद करता है।
  • यह बच्चों में एक अंतर्निहित मजबूत रक्षा तंत्र विकसित करता है, जो मौसमी परिवर्तन और अन्य प्रचलित संक्रमणों के कारण होने वाली बीमारियों और शिकायतों के खिलाफ सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है।
  • यह किसी भी बीमारी के मामले में शरीर को जल्दी ठीक होने में मदद करता है।
  • यह बच्चों को विभिन्न एलर्जी से बचाता है।
  • यह बच्चों को शुरुआती चरण के दौरान होने वाली बीमारियों से बचाता है।
  • त्वचा का रंग निखारने में मदद करता है।

सुवर्णप्राशन का सही समय क्या है?

डॉ. जैना बताती हैं, 'सुवर्ण प्राशन वेदों में वर्णित मंत्रों का जप करते हुए प्रमाणित आयुर्वेदिक विधियों का उपयोग करके तैयार किया जाता है और इसे ऐसे ही तैयार करना चाहिए। सुवर्णप्राशन प्रतिदिन सुबह जल्दी किया जा सकता है, या कम से कम प्रत्येक पुष्य नक्षत्र पर- एक शुभ दिन जो हर 27 दिनों के बाद आता है पर देना चाहिए। ऐसे दिन पर यह बच्चों को उत्कृष्ट लाभ देता है।'

अगर आप भी चाहती हैं कि आपका बच्चा स्वस्थ रहे तो उसे सुवर्ण प्राशन जरूर करवाना चाहिए। इसके लिए आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं।

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Image Credit: freepik and google searches

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