सिर्फ बुखार या सिरदर्द नहीं, मलेरिया की ओर इशारा करते हैं ये संकेत, न समझे मामूली

अब मलेरिया से डरने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि डॉक्‍टर विनीषा कामिनी मलेरिया के ऐसे लक्षण बता रही हैं, जिन्हें पहचानकर आप सही समय पर इलाज करवा सकती हैं। इससे आप गंभीर समस्याओं से बच भी सकती हैं।
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मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है, जो प्लास्मोडियम नाम के परजीवी से होती है। ये परजीवी संक्रमित एनाफिलीज मच्छर के काटने से इंसान में फैलते हैं। दुनिया भर में मलेरिया को रोकने और खत्म करने की कोशिशें जारी हैं, फिर भी यह लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2019 में दुनिया भर में मलेरिया के अनुमानित 22.9 करोड़ मामले थे और 4.09 लाख लोगों की मौत हुई थी।

मलेरिया आज भी एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है, खासकर भारत जैसे गर्म और नमी वाले इलाकों में। इसलिए, मलेरिया के शुरुआती लक्षणों को जानना और सही समय पर इसकी पहचान व इलाज कराना बेहद जरूरी है। आज अपोलो हॉस्पिटल्स, विशाखापत्तनम की एमडी (जनरल मेडिसिन) कंसल्टेंट फिजीशियन, डॉक्‍टर विनीषा कामिनी हमें मलेरिया से जुड़ी जानकारी दे रही हैं।

मलेरिया के शुरुआती लक्षणों को पहचानें

मलेरिया के लक्षणों को जल्दी पहचानना सही समय पर इलाज और गंभीर समस्‍याओं से बचने के लिए बेहद जरूरी है। मलेरिया के शुरुआती लक्षण सामान्य वायरल बीमारियों जैसे हो सकते हैं, जिससे बिना सही मेडिकल चेकअप के इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। इन मुख्य लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए-

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बुखार

तेज बुखार मलेरिया के सबसे आम लक्षणों में से एक है। यह अक्सर साइकिल्‍स में आता है, जिसमें ठंड लगना और पसीना आना शामिल है।

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ठंड लगना

बुखार के साथ कंपकंपी और ठंड भी लगती है। यह सभी शरीर की इंफेक्‍शन के प्रति प्रतिक्रिया को दर्शाती है।

थकान

शरीर में इंफेक्‍शन से लड़ने के कारण लगातार थकान और कमजोरी महसूस होना बेहद आम है।

सिरदर्द

मलेरिया के लक्षणों में तेज सिरदर्द भी शामिल है। इसमें सिरदर्द के साथ मसल्‍स और जोड़ों में दर्द भी होता है।

मतली और उल्टी

मलेरिया में पेट से जुड़े समस्‍याओं के लक्षण, जैसे मतली, जी मिचलाना, उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं।

अगर आपको या आपके किसी परिचित को ये लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। डायग्नोज और इलाज में देरी से कई गंभीर समस्‍याएं हो सकती हैं, जिनमें एनीमिया (खून की कमी), पीलिया, किडनी फेलियर, अटैक पड़ना आदि शामिल हैं।

मलेरिया के समय पर डायग्नोज और इलाज का महत्व

मलेरिया का असरदार तरीके से इलाज के लिए समय पर डायग्नोज और इलाज बेहद जरूरी है। रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (RDTs) और माइक्रोस्कोपी जैसे एडवांस डायग्नोस्टिक टूल्‍स का उपयोग करके मलेरिया इंफेक्‍शन की सही पहचान की जा सकती है। एंटी-मलेरिया दवाओं से शुरुआती इलाज से गंभीर बीमारियां का खतरा काफी कम हो जाता है।

मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में जन जागरूकता और शिक्षा की अहम भूमिका है। लक्षणों को समझना और यह जानना कि डॉक्टर से कब मिलना है, आपकी जान बचा सकता है।

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मलेरिया से बचाव के उपाय

  • मच्छरदानी के अंदर सोने से मच्छर के काटने का खतरा काफी कम हो जाता है।
  • घरों के अंदर कीटनाशकों का छिड़काव करने से मच्छरों को कंट्रोल किया जा सकता है।
  • रुके हुए पानी को हटाना और साफ-सफाई में सुधार करना मच्छर पैदा होने वाले स्थानों को कम कर सकता है।

मलेरिया के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर और सही समय पर मेडिकल मदद लेकर कई लोगों की जान बन सकती हैं।

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Image Credit: Shutterstock & Freepik

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