ब्लड ट्रांसफ्यूजन के वक्त सबसे बड़ी मुश्किल समान ग्रुप का ब्लड ढूंढने में होती है, ऐसे में लोगों के मन अक्सर यह सवाल आता है कि गलती से गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ जाए तो क्या हो सकता है? इस आर्टिकल में हम लोगों की इस जिज्ञासा का जवाब लेकर आए हैं।
बीमारी या दुर्घटना के बाद हुई हेल्थ इमरजेंसी की कंडीशन में अक्सर खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है, जिसमें सबसे बड़ी मुश्किल समान ग्रुप का ब्लड ढूंढने में होती है। कई बार तो समान ग्रुप का ब्लड ढूंढने में काफी वक्त लग जाता है और ऐसी स्थिति में मरीज की स्थिति भी गंभीर हो जाती है। ऐसे में अक्सर लोगों के मन यह सवाल उठता है कि अगर गलती से चढ़ जाए गलत ग्रुप का ब्लड तो क्या होगा?
इस आर्टिकल में हम लोगों की इस जिज्ञासा का जवाब लेकर आए हैं। बता दें कि इस बारे में हमने लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में कार्यरत डॉ. सतीश कुमार से बात की और उनसे मिली जानकारी यहां आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
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डॉ. सतीश कुमार बताते हैं कि रक्त हमारे हृदय प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। रक्त संचार के जरिए ही शरीर की सभी कोशिकाओं में ऑक्सीजन, एंजाइम, पोषण, हार्मोन आदि पहुंचते हैं। इसके साथ ही यह ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने में भी अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने पर रक्त संचार में बाधा से लेकर रिएक्शन और इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। चलिए गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ने से होने वाले इन सभी संभावित हानिकारक प्रभाव के बारे में जरा विस्तार से जान लेते हैं।
ब्लड सर्कुलेशन में बाधा
गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ने के बाद शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बाधित हो सकता है। असल में दो अलग-अलग ग्रुप में अलग-अलग तरह के एंटीजन मौजूद होते हैं और जब ये आपस में मिल जाए तो रिएक्शन शुरू हो जाते हैं। जैसे कि अगर किसी का ब्लड ग्रुप ‘ए पॉजिटिव’ है और उसे ‘’एबी पॉजिटिव’ का खून चढ़ा दें तो इससे एंटीजन रिएक्शन का खतरा हो सकता है।
ऐसी स्थिति में एंटीजन एक साथ इकट्ठा होकर नसों को ब्लॉक कर देते हैं। नसों के ब्लॉक होने के कारण शरीर का ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है और ब्लड सर्कुलेशन रुकने पर किडनी जैसे अंग काम करना बंद कर सकते हैं। इस तरह से देखा जाए तो गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाना घातक हो सकता है।
एक्यूट हेमोलिटिक रिएक्शन
गलत ग्रुप का ब्लड चढ़ाने पर एक्यूट हेमोलिटिक (Acute Hemolytic Reaction) रिएक्शन का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। बता दें कि एक्यूट हेमोलिटिक रिएक्शन की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब डोनर के ब्लड के रेड सेल्स रिसीवर के इम्यून सिस्टम द्वारा नष्ट हो जाते हैं। ऐसी स्थिति रिसीवर यानी ब्लड लेने वाले व्यक्ति के लिए खतरनाक हो जाती है।
यह रिएक्शन ब्लड चढ़ाते वक्त या फिर इसके तुरंत बाद हो सकता है। इसके लक्षणों के रूप में बुखार आना, ठंड लगना, जी मिचलाना और कमर या सीने में दर्द महसूस हो सकता है। इसके अलावा इस स्थिति में व्यक्ति के पेशाब का रंग काला भी पड़ सकता है, वहीं सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है।
उम्मीद करते हैं सेहत से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करना न भूलें।
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