किसी भी जोड़ में अगर दर्द हो और इससे जोड़ में मूवमेंट भी असर हो, तो यह समस्या आर्थराइटिस कहलाती है। मूवमेंट जोड़ में सूजन के कारण प्रभावित होता है। डाॅक्टरों का मानना है कि देश में ज्यादातर महिलाएं सोरायसिस से जुड़ी समस्याओं के बारे में पूरी तरह नहीं जानते हैं, जिसके दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं। उन्हीं में से एक समस्या सोरायटिक आर्थराइटिस की है, जिसके लक्षणों को आसानी से पहचाना जा सकता है।
सोरायटिक आर्थराइटिस जिसे आप पीएसए के नाम से भी जानते हैं। इसे अक्सर सोरायसिस मान लिया जाता है। जबकि ये इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस का एक प्रकार है, जिसकी वजह से उंगलियों, पैर के अंगूठों, घुटनों व पीठ में सूजन हो जाती है और उसके साथ जोड़ों में दर्द भी होता है और वो सख्त हो जाते हैं। कई मामलों में पीएसए के लक्षण और इसको लेकर भ्रम नहीं होना चाहिए।
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गुरुग्राम स्थित क्वेस्ट क्लीनिक और मुंबई के रेऊम डर्मा क्लीनिक प्रभादेवी के कंसल्टेंट फिजिशियन डॉक्टर सुशांत शाइन का कहना है, "सोरायटिक आर्थराइटिस कई सारे जोड़ों जैसे उंगलियों, कलाई टखने और कमर के जोड़ों को एक साथ प्रभावित कर सकता है। उसकी वजह से उन जोड़ों में सूजन हो जाती है और उनमें दर्द होता है, वे सख्त हो जाते हैं। इसके इलाज में देरी करने से परेशानी और बढ़ सकती है इसलिए सोरायसिस के मरीजों के लिए यह जरूरी है कि उससे जुड़े लक्षणों पर नजर रखें।"
उन्होंने कहा कि मरीजों को यह सलाह दी जाती है कि इस बीमारी को प्रभावी रूप से मैनेज करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। कुछ प्रमुख बदलावों में बैलेंस डाइट और स्मोकिंग न करने जैसी चीजें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पीएसए किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। वैसे यह आमतौर पर 30 से 50 साल के लोगों में अधिक पाया जाता है।
डॉक्ट सुशांत शाइन ने कहा, "जब कोई व्यक्ति इस समस्या से ग्रस्त हो जाता है तो कई बार जोड़ों में होने वाली सूजन और दर्द की वजह से उन्हें घर के रोजमर्रा के कामों को करने में भी मुश्किल आती है जिससे उनका हर दिन चलना-फिरना सीमित हो जाता है। अगर इसका इलाज ना कराया जाए तो उसकी वजह से जोड़ स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि इसकी समय पर पहचान होनी चाहिए, जिससे सोरायटिक आर्थराइटिस के लक्षणों का प्रभावी तरीके से मैनेज करने में मदद मिल सकती है।"
उन्होंने कहा, "अगर समय पर इसे अपनाया जाए तो उपचार के उन्नत विकल्प जैसे बायोलॉजिक्स भी इस बीमारी का प्रभावी प्रबंधन करने में मददगार हो सकते हैं। मरीजों के लिए यह बेहद जरूरी है कि समय पर उनकी बीमारी का पता चल सके और इलाज में देरी नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे आगे चलकर बीमारी और गंभीर रूप ले सकती है।"
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अगर आपको भी इनमें से कोई लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यह सोरायटिक आर्थराइटिस का लक्षण हो सकता है।
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