कहा जाता है कि मां बनना किसी भी स्त्री के लिए दुनिया का सबसे खूबसूरत अहसास है। एक नन्हीं सी जान को जन्म देना वास्तव में खुद स्त्री के लिए दूसरे जन्म के बराबर होता है। प्रेग्नेंसी में तो महिला को अपना ख्याल रखना ही होता है। प्रसव के बाद तो उसे खुद का अपना अधिक ख्याल रखने की जरूरत होती है, ताकि बच्चे का स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहे।
हम सभी ने अपने घर में देखा है कि एक नई मां या जच्चा का विशेष रूप से ख्याल रखा जाता है। उसे खाने से लेकर नहाने तक कई तरह के नियमों का पालन करना होता है, ताकि महिला का शरीर प्रसव के बाद तेजी से रिकवर हो सके। हालांकि, उन बातों में कितनी सच्चाई होती है, इसके बारे में कोई नहीं जानता। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको पोस्टपार्टम केयर से जुड़े कई तरह के मिथ्स और उनकी सच्चाई के बारे में बता रहे हैं-
सच्चाई- यह सच है कि अधिकतर महिलाओं को डिलीवरी के बाद बेबी ब्लूज या डिप्रेशन का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन हर महिला के साथ ऐसा ही हो, यह जरूरी नहीं है। यहां तक कि कुछ लोग बेबी ब्लूज़ को भी डिप्रेशन समझ लेते हैं, जबकि ये दोनों पूरी तरह से अलग हैं। बेबी ब्लूज कुछ ही दिनों में स्वाभाविक रूप से दूर हो जाते हैं। जबकि पोस्टपार्टम डिप्रेशन को दूर करने के लिए एक्सपर्ट की जरूरत पड़ सकती है।
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सच्चाई- नई मां के लिए दूध का सेवन करना अच्छाहै, क्योंकि यह वसा और प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है। लेकिन फिर भी इसे सीमित मात्रा में ही लिया जाना चाहिए। लगभग 150 मिलीलीटर दूध दिन में दो बार लेना पर्याप्त है। आपको दूध के अलावा अपने अन्य आहार पर भी ध्यान देना चाहिए। सिर्फ दूध से स्तनपान बेहतर होगा, यह सोचना ठीक नहीं है।
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सच्चाई- यह एक कॉमन मिथ है, जिसे अधिकतर महिला सच मानती हैं। उन्हें लगता है कि अगर वे बीमार हैं, तो उन्हें स्तनपान नहीं करवाना चाहिए, क्योंकि इससे शिशु भी बीमार हो जाएगा। जबकि ऐसा नहीं है। ज्यादातर समय, बीमार होने पर बच्चे को दूध पिलाना बिल्कुल ठीक होता है क्योंकि स्तनपान के माध्यम से आपके बच्चे में संक्रमण फैलने की कोई संभावना नहीं होती है। अगर फिर भी आपके मन में संशय है तो आप एक बार डॉक्टर की सलाह ले सकती हैं।(ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इन चीजों का न करें सेवन)
सच्चाई- यह भी एक पॉपुलर मिथ है। अक्सर प्रसव के बाद जच्चा के कमरे में एक लोटा पानी का रखा जाता है और उसे पूरे दिन में केवल उतना ही पानी पीने की अनुमति होती है। ऐसा माना जाता है कि प्रसव के बाद अधिक पानी पीने से महिला का पेट फूल जाएगा। जबकि यह बिल्कुल मिथक है। नई माताओं के लिए पानी का सेवन महत्वपूर्ण है ताकि वे अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहें। उनके शरीर को अच्छी तरह से काम करने और अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए दिन में कम से कम 3-4 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। अगर महिला कम पानी पीती है, तो इससे उसके शरीर में रक्त के थक्के बन सकते हैं।(डिलीवरी के बाद अमृत है अजवाइन का पानी)
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तो अब आप भी किसी मिथ पर भरोसा करने से पहले उसकी सच्चाई जानने का प्रयास करें। आपकी इस विषय पर क्या राय है, हमें कमेंट बॉक्स में अवश्य बताइएगा।
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